नकाब और बुर्का के मोर्चे पर नया क्या है?
यह बात याद दिलाने की है कि दोनों ही वस्त्र मुस्लिम महिला के शील के लिये हैं नकाब आँख को छोड्कर सभी कुछ ढकता है जबकि बुर्का समस्त चेहरे को ढकता है। दो वर्ष पूर्व नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध लगे में मैंने अभिलेखित किया था कि किस प्रकार ये दो चीजें आपराधिक और आतंकवादी खतरों को आमन्त्रित करती हैं।
क्या अब अब भी यह मामला है?
आपराधिकता: जार्डन इस बात की झलक देता है कि किस प्रकार नकाब और बुर्का अविधिक सहयोगी है: एक समाचार के अनुसार संकेत मिलता है कि 50 लोगों ने इस्लामी वस्त्रों का प्रयोग कर 170 आपराधिक गतिविधियों को गत दो वर्षों में किया या फिर प्रत्येक चार दिन पर एक घटना , इस आपराधिक लहर के चलते जार्डन के कुछ लोग इस बात की माँग उठाने के लिये प्रेरित हुए कि इन इस्लामी सर ढँकने को या तो प्रतिबंधित किया जाये या नियंत्रित किया जाये।
कोई भी अन्य देश सर ढँकने से सम्बंधित इतने अपराध की घटना के बारे में नहीं बताता जितना कि फिलाडेल्फिया , पेंसिलवेनिया का कहना है कि 2007 से 2008 के मध्य सोलह माह में अनेक डकैतियाँ हुई (3 बैंक लूटे गये एक रियल एस्टेट लीज कार्यालय में लूट) और एक पुलिस अधिकारी की ह्त्या भी हुई।
यूनाइटेड किंगडम पश्चिम में दूसरा सबसे बुरा उदाहरण है। पश्चिमी मिडलैण्ड्स , ग्लासगो और आक्सफोर्डशायर में मुस्लिम स्वामित्व वाले आभूषण की दूकान को निशाना बनाया गया । दूंसताबल और लूटोन से सटे शहर में दो ट्रैवल एजेंसी पर आक्रमण हुआ जबकि ट्रक चालक पर बर्मिंघम में आक्रमण हुआ । इन सभी मामलों में केवल लूट आशय नहीं था ,लन्दन में टीन एज के लोगों ने नकाब की तरह के चहरे ढँककर एक किशोर लडके को चाकू घोंप दिया।
पश्चिम में अन्य आपराधिक घटनाओं में पूर्वी यूरोप में पाकेटमार राटेरडम में इस्लामी की भाँति सर ढँककर रहते हैं जबकि उत्तरी कारोलिना हिडेन्टिन( 6,000 जनसंख्या) में पीपुल्स बैंक में बुर्का पहनकर सशस्त्र लूट की घटना हुई। साल्ट लेक शहर की 14 वर्षीय एलिजाबेथ स्मार्ट को जिस व्यक्ति के अगवा किया उसने उसे नकाब जैसा वस्त्र पहनने को विवश किया ताकि नौ माह तक उसे छिपा कर रख सके।
इसकी प्रतिक्रिया में बैंक, क्रेडिट यूनियन , आभूषण स्टोर और विद्यालय ढँके हुए लोगों की पहुँच को कम कर रहे हैं। उदाहरण के लिये चेरीविले, उत्तरी कारोलिना की कारोलिना फेडेरल क्रेडिट यूनियन ने उनसे दूर रहने का फैसला किया है जो कि हैट, चश्मा या ऐसी चीजों के साथ हैं जिसके लिये अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
आतंकवाद: बुर्का आतंकवाद पर तालिबान की निर्भरता से आत्मघाती स्वरूप की घटनाओं ने इस रणनीति को लेकर अफगानिस्तान को विश्व का केन्द्र बना दिया है। दो अवसरों पर अधिकारियों ने इससे पहले कि बम विस्फोट हो पाता उसे विफल कर दिया एक बार एक रूसी जो कि इस्लाम में धर्मांतरित हो गयी उसने पक्तिया प्रांत में आटोमोबाइल में 500 किलोग्राम विस्फ़ोटक रखा तथा दूसरा एक अफगान महिला जलालाबाद में एक बम छुपाकर ले गयी।
प्रायः बुर्का के माध्यम से हिंसक आशय को छुपाये रखने का पता आक्रमण के बाद ही चलता है।
- हाजी याकूब नामक तालिबान कमांडर गजनी प्रांत में बुर्का में तब मारा गया जब उसने अमेरिकी सेना पर आक्रमनण के बाद भागने का प्रयास किया।
- एक तालिबान मुल्लाह खालिद ने फराह प्रांत में भीड्भाड वाले बाजार में पुलिस पेट्रोल पर आक्रमण किया जिसमें कि 12 लोग मारे गये( 7 पुलिसकर्मी और 5 नागरिक)
- हेलमंड प्रांत में एक आत्मघाती हमलावर ने पस्तो भाषी ब्रिटिश सैनिक को मार दिया इससे पहले की सर में गोली मारकर उसे मार नहीं दिया गया।
- पन्द्रह आत्मघाती हमलावर आत्मघाती पेटी, कलाश्निकोव और ग्रेनेड लांचर के साथ पक्तिया प्रांत में एक सरकारी आवास में घुस गये और 12 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
इराक में ऐसी तीन घटनाये हुईं ( एक पुरूष उग्रवादी ने गर्भवती महिला बनकर राज्यपाल को मारने का प्रयास किया, तथा दो आत्मघाती हमलावरों ने 22 शिया तीर्थयात्रियों को मार डाला) जबकि पाकिस्तान में ऐसी दो घटनायें हुईं ( रिक्शा के द्वारा 15 लोगों की ह्त्या कर दी) मुम्बई में जिस आक्रामण में 200 के अधिक लोग मारे गये उसमें भी एक रहस्यमयी बुर्का महिला शामिल थी। अन्य क्षेत्रों में ऐसे आक्रमणों में मौरिटानिया में एक फ्रांसीसी पर्यटक जो कि पिकनिक मना रहा था उसपर आक्रमण तथा बहरीन में आक्रमण ।
एक फ्रांसीसी जिस पर कि 3.8 मिलियन डालर की हेराफेरी का आरोप था वह नकाब के सहारे दुबई भाग गया।
अभी हाल में हुए एक अध्ययन के अनुसार इंगलैण्ड और आयरलैण्ड में पाया गया है कि शरीर ढँकने वाली महिलायें ( तथा उनका स्तनपान करने वाले बच्चे) रिकेट रोग का शिकार होती हैं क्योंकि उनके अंदर विटामिन डी की कमी होती है जो कि धूप से आती है।
इस विषय पर अधिक विस्तार के लिये मेरे वेबलाग से "The Niqab and Burqa as Security Threats.") देखें।
इससे पूर्व भी मैंने इन " छुपाने वाली, अस्वास्थ्यकर, सामाजिक रूप से पृथक करने वाली , आतंकवाद को सुविधा देने वाली तथा आपराधिक मित्रवत वस्त्रों को सार्वजनिक स्थलों पर बन्द करने की बात कही है" अब ऊब चुके जार्डनवासियों के साथ मैं फिर से यह दुहराता हूँ। इस्लाम के लिये आवश्यक है कि या तो नकाब या बुर्का पहना जाये जबकि सार्वजनिक कल्याण के लिये आवश्यक है कि इसे प्रतिबंधित किया जाये। आखिर और कितनी लूट और आतंकवाद की घटनाओं के बाद इसके लिये अफगानिस्तान से जार्डन और यूनाइटेड किंगडम से फिलाडेल्फिया तक आदेश पारित करने का सामान्य विवेक आयेगा।