मैं लम्बे समय से कहता आया हूँ कि इजरायल के विरुद्ध आक्रामक , कलुषित हृदय का अरब युद्ध वास्तव में जेरूसलम , चेकप्वाइन्ट या बस्तियों में न होकर फिलीस्तीनी शरणार्थियों से जुडा है।
ऐसा इसलिये है कि संयुक्त राष्ट्र संघ सहायता और कार्य एजेंसी ( फिलीस्तीनी शरणार्थियों के लिये बना संगठन ) द्वारा सेवित आधिकारिक शरणार्थियों की संख्या 50 लाख है , इनमें से केवल 1 प्रतिशत वास्तविक शरणार्थी हैं जो कि इस एजेंसी की परिभाषा में उपयुक्त बैठते हैं " जून 1946 से मई 1948 के मध्य जिनका सामान्य निवास स्थान फिलीस्तीन था , जिन्होंने 1948 के अरब इजरायल संघर्ष के चलते अपने घर और अपनी जीविका दोनों की खो दिये हैं" । अन्य 99 प्रतिशत उन शरणार्थियों के वंशज हैं और जिन्हें मैं नकली शरणार्थी कहता हूँ ।
इससे भी बुरा यह कि जो 1948 में जीवित थे वे अब मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं और लगभग पचास वर्षों में एक भी शरणार्थी जीवित नहीं रहेगा, (Refugee Survey Quarterly में माइक डम्पर द्वारा किये गये आकलन के आधार पर) जबकि उनके नकली शरणार्थियों के वंशजों की संख्या बढकर 2 करोड हो जायेगी और यदि इसे इसी प्रकार चलने दिया गया तो यह न जाने कितनी हो जायेगी।
इस विषय इसलिये मह्त्वपूर्ण है कि शरणार्थी स्तर के घातक परिणाम हैं, यह इन लाखों गैर शरणार्थी लोगों के जीवन को नष्ट करता है क्योंकि इससे वे न केवल अलग थलग रहते हैं वरन उन पर एक विद्रूप और अवास्तविक स्वप्न लादा जाता है कि एक दिन वे इजरायल के अपने मूल निवास स्थान वापस जायेंगे और साथ ही उन्हें शरणार्थी स्तर दिये जाने से इजरायल के हृदय में एक कटार स्थायी रूप से चुभो कर रखी जाती है जो कि यहूदी राज्य को खतरे में डालता है तथा मध्य पूर्व को बाधित करता है। .
अरब इजरायल संघर्ष का समाधान करने के लिये आवश्यक है कि नकली फिलीस्तीनी शरणार्थियों के प्रसार को रोका जाये और उन्हें स्थायी रूप से बसाने की प्रकिया बंद हो। 1948 चला गया अब वास्तविकता को देखने की आवश्यकता है।
मुझे इस बात को बताते हुए गर्व हो रहा है कि मिडिल ईस्ट फोरम के अंतर्गत स्टीवेन जे रोसेन और मेरे द्वारा पिछले वर्ष चलाये गये अभियान के उपरांत U.S. Senate Appropriations Committee ने 24 मई को एक सीमित किंतु मह्त्वपूर्ण संशोधन पारित किया $52.1 billion fiscal 2013 State Department and foreign operations appropriations bill
इस संशोधन को ( इलिनोयस के रिपब्लिकन) मार्क किर्क ने प्रस्तावित किया जिसके अंतर्गत गृह मंत्रालय को कांग्रेस को यह सूचित करना होगा कि अमेरिका के करदाताओं का प्रत्यक्ष 240 मिलियन डालर की आर्थिक सहायता जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ सहायता और कार्य एजेंसी के माध्यम से फिलीस्तीनी शरणार्थियों को दी जाती है उसका क्या उपयोग हुआ? मार्क किर्क ने प्रश्न किया कि कितने लाभार्थी संयुक्त राष्ट्र संघ सहायता और कार्य एजेंसी की अर्हता पर खरे उतरे जो कि उन्हें वास्तविक रूप से शरणार्थी बनाता है। उनमें से कितने शरणार्थी नहीं हैं और शरणार्थियों के वंशज हैं।
किर्क ने अपने संशोधन में कहीं भी यह नहीं कहा है कि नकली शरणार्थियों के लाभ को समाप्त किया जाये या कम किया जाये। इस संशोधन के सीमित स्वभाव के बाद भी किर्क इसे निर्णायक मानते हैं। निश्चित ही ऐसा है जैसा कि वरिष्ठ सीनेट जीओपी ने बताया कि जार्डन सरकार और संयुक्त राष्ट्र संघ सहायता और कार्य एजेंसी की ओर से भी कडा विरोध सम्भव है और जिसे कि Foreign Policy पत्रिका के जोश रोगिन ने आक्रोशपूर्ण लडाई बताया।
आक्रोश क्यों? क्योंकि गृह मंत्रालय या राज्य विभाग को इस बात के लिये विवश किया गया कि वह वास्तविक फिलीस्तीनी शरणार्थियों और नकली के मध्य भेद करे , अमेरिका और अन्य पश्चिमी सरकारें ( जो कि कुल मिलाकर संयुक्त राष्ट्र संघ सहायता और कार्य एजेंसी के कुल बजट का 80 प्रतिशत है) तो यह तय कर सकती हैं कि नकली शरणार्थियों को काटा जाये और इस प्रकार इजरायल की ओर " वापसी के अधिकार" को कमतर कर सकते हैं।
दुख की बात तो यह है कि ओबामा प्रशासन ने इस विषय को बडी लापरवाही से लिया। उप गृह मंत्री थामस आर नाइड्स द्वारा किर्क के पूर्ववर्ती संशोधन का विरोध करते हुए जो पत्र लिखा गया वह पूरी तरह असंगतता को दर्शाता है। एक ओर तो नाइड्स कहते हैं कि किर्क अमेरिका सरकार पर इस बात के लिये दबाव डाल रहे हैं कि वह, " फिलीस्तीनी शरणार्थियों के स्तर के सम्बंध में सार्वजनिक निर्णय करे व इस संवेदनशील विषय के परिणाम को पहले ही निर्णीत करे व इसका फैसला करे" । दूसरी ओर नाइड्स स्वयं ही " लगभग 50 लाख फिलीस्तीनी शरणार्थी" बता रहे हैं" और इस प्रकार वास्तविक और नकली शरणार्थियों को एकसाथ मिला रहे हैं और जिस मामले को वे खुला छोडने की बात करते हैं उसी के बारे में स्वयं ही पहले ही निर्णय कर रहे हैं। 50 लाख शरणार्थियों की संख्या कोई दुर्घटना नहीं है जब इसके बारे में राज्य विभाग या गृह मन्त्रालय के प्रवक्ता पैट्रिक वेन्ट्रेल ने स्वीकार किया कि उनकी सरकार उस सिद्धांत का समर्थन करती है जिसके अंतर्गत शरणार्थियों के वंशज को शरणार्थी का दर्जा दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त " संशोधन के चलते फिलीस्तीनियों तथा अपने सहयोगियों विशेष रूप से जार्डन की ओर से प्रतिक्रिया की बात करके" नाइड्स ने अरब को इस बात के लिये आमंत्रित किया है कि वे अमेरिकी सीनेट पर दबाव डालें एक ऐसा संकेत जो कि राज्य विभाग के लिये ठीक नहीं है।
यद्यपि इजरायल के 64 वर्षों के अस्तित्व में एक के बाद एक अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात का संकल्प व्यक्त किया है कि अरब इजरायल संघर्ष का समाधान करने का वे प्रयास करेंगे लेकिन उनमें से सभी ने इस संघर्ष के सबसे विद्रूप स्वरूप की अवहेलना की है और वह है शरणार्थी मुद्दे को जानबूझकर इस प्रकार प्रयोग करना कि वह यहूदी राज्य के अस्तित्व को ही चुनौती दे। सीनेटर किर्क और उनके स्टाफ के साहस और बुद्धिमत्ता की सराहना की जानी चाहिये कि उन्होंने असुखद वास्तविकता की ओर ध्यान दिलाया और ऐसे परिवर्तन का प्रारम्भ किया जो कि संघर्ष का मर्मस्थल है।