2004 में न्यूयार्क बफैलो के निकट से आरम्भ हुए मुस्लिम टेलीविजन चैनल " ब्रिजेज टीवी" को विदेश मंत्री कोलिन पावेल के मीडिया सहयोगी स्टूवर्ट होलीडे का जबर्दस्त समर्थन प्राप्त हुआ : , " मैं आपकी उस अभिव्यक्ति की अभिरुचि की प्रशंसा करता हूँ जिसके द्वारा आप आपसी समझ और सहिष्णुता को बढावा दे रहे हैं" इसके साथ ही ब्रिजेज टीवी को मीडिया में भी काफी समर्थन मिला , अनालोचक अकादमिक प्रतिक्रिया तथा खेल ही हस्तियों जैसे मुहम्मद अली और हकीम ओलाजुवान का आशीर्वाद भी मिला।
हालाँकि अपने आरम्भ से ही ब्रिजेज टीवी ने असत्य का सहारा लिया। राजनीतिक स्तर पर इसका आधार वह मिथ्या प्रचार था कि अमेरिका में मुसलमानों के साथ भेदभाव होता है और वे पीडित हैं। इस विचार को अभिव्यक्ति 2000 में तब मिली जब सीनेट ने एक प्रस्ताव पास करते हुए अमेरिका के मुस्लिम समुदाय के साथ "भेदभाव" और " बदले की प्रतिक्रिया" की भावना की कठोर निंदा की , उसी समय से यह अपमानजनक असत्य जारी है।
विचारधारागत स्तर पर ब्रिजेज टीवी एक छल था जो कि " वहाबी लाबी" का ही एक सदस्य होने के बाद भी नरमपंथी होने का ढोंग करता था। देश के सबसे बुरे इस्लामवादी कार्यकर्ताओं द्वारा समर्थित ( निहाद अवाद, इब्राहिम हूपर, इकबाल युनुस , लौवे साफी) यह एक कट्टरपंथी भेडिया था जो कि नरमपंथी भेड की खाल में छुपा था।
आर्थिक स्तर पर ब्रिजेज टीवी ने अपने निवेशकों के समक्ष अमेरिका के मुसलमानों की काल्पनिक जनसंख्या प्रस्तुत की 70 से 74 लाख जो कि वास्तविक संख्या से 2 से 3 गुना अधिक थी जिससे कि आर्थिक दृष्टि से यह स्टेशन पहले ही दिन से उपयोगी नहीं रहा।
अंत में पारिवारिक स्तर पर ब्रिजेज टीवी ने स्वयं को समीक्षक जुहदी जासेर के शब्दों में स्टेशन का पहला " सार्वजनिक विवाह भागीदारी बताया " ; मुजम्मिल हसन ने गर्वपूर्वक इस बात को कहा कि किस प्रकार उनकी पत्नी आसिया जेड हसन ने उन्हें ब्रिजेज टीवी स्थापित करने के लिये प्रेरित किया। वह स्टेशन की स्थापना , इसके अर्थ सहित इसके व्यापारिक विस्तार के लिये उत्तरदायी थे जबकि उनकी पत्नी इस्लाम के आदर्शों और संस्कृति के प्रति समर्पण सहित कार्यक्रम निदेशक थीं।
वास्तव में आसिया के तलाक के वकील ने बताया कि युगल , "शारीरिक संघर्ष की स्थिति में प्रायः आ जाते थे" और अपने विवाह के कुल आठ वर्षों के काल में यह सदैव हुआ अब तो हाल में मामला यहाँ तक पहुँच गया है कि मुज्जमिल ने जान से मारने धमकी भी दी है। सलमा जुबैर जो कि कहती है कि वह आसिया की बहन है उसके अनुसार, " आसिया ने अपने आठ वर्षों का वैवाहिक जीवन भय में व्यतीत किया है" ।
आसिया ने अपने तलाक की प्रक्रिया " क्रूर और अमानवीय व्यवहार" के आधार पर आरम्भ की तथा 6 फरवरी को एक संरक्षण के आदेश के द्वारा मुजम्मिल को अपने मिले जुले घर से बाहर निकालने का आदेश प्राप्त कर लिया जिससे कि वह अत्यंत क्रुद्ध हुआ , स्थानीय पुलिस प्रमुख के अनुसार मुजम्मिल , " आवास पर वापस आया और दरवाजे पर धक्का देने लगा और एक खिडकी भी तोड दी"
12 फरवरी को युगल का टीवी स्टेशन पर एक दूसरे से आमना सामना हुआ और 6.20 सायंकाल मुजम्मिल पुलिस के पास गया और बताया कि उसकी पत्नी के अवशेष कहाँ मिलेंगे? अधिकारियों को उसकी पत्नी का शरीर स्टेशन के विशाल कक्ष में मिला जो कि बिना सर के शव था और उस पर अनेक बार चाकू से वार के निशान थे। जासूसों ने मुजम्मिल पर हत्या का आरोप लगाया है और उस चाकू को खोज रहे हैं जिसे कि हत्या में प्रयोग किया गया है।
एक विश्वसनीय सूत्र ने मुझे सूचना दी है जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण समाचार है कि पुलिस ने पाया था कि मुजम्मिल ने अनेक बार अपनी पत्नी से कहा था कि इस्लामी विधि के अंतर्गत उसे तलाक देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने उसे उद्धृत किया कि आसिया का सर कट गया है इसलिये वह जन्नत नहीं जा सकती।
मुजम्मिल के बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि उसके मुवक्किल को निर्दोष माना जायेगा क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
आगे एक बडी लडाई सामने है जिसमें कि इस अपराध को कैसे परिभाषित किया जाये क्या यह घरेलू हिंसा है या आनर किलिंग । इस्लामिस्ट वाच की सपना जैदी ने आनर किलिंग की परिभाषा करते हुए बताया है, " किसी बालिका या महिला की हत्या जिसने कि तथाकथित रूप से अपने परिवार को शर्मिंदा किया हो" । पश्चिमी समाज के लिये पूरी तरह अपरिचित यह आशय परम्परागत मुस्लिम जीवन में सामान्य बात है।
मिडिल ईस्ट क्वार्टर्ली के लेख, "Are Honor Killings Simply Domestic Violence में नारीवादी सिद्धांतकर्ता फिलिस चेस्लर ने इन दोनों धारणाओं में कुल आठ विभिन्नतायें गिनाईं, जिनमें कि अपराध करने वाले और पीडित की पहचान, हत्या की परिस्थितियाँ , आवेश में हुई हिंसा की मात्रा, हत्यारे की मानसिक स्थिति तथा परिवार की प्रतिक्रिया।
क्या आसिया ऐसे अपराध में मारी गयी जो कि भावना आधारित था या फिर परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिये ऐसा हुआ। क्या हिंसा सामान्य थी या मुस्लिम विशेषता के स्वभाव की थी? इस्लामिक सोसाइटी आफ नार्थ अमेरिका ने इसे घरेलू हिंसा माना है जबकि नेशनल आर्गनाइजेशन फार वूमेन की न्यूयार्क शाखा ने इसे आनर किलिंग की संज्ञा दी है।
ब्रिजेज टीवी का अपराध वास्तव में तो किसी में भी खरा नहीं उतरता और हमें इसके वास्तविक स्वरूप को निर्धारित करने के लिये अभी और अधिक सूचनाओं की आवश्यकता है। परन्तु जैसे जैसे राजनीतिक रूप से सही होने की शक्तियाँ इस हत्या के इस्लामी आयाम को बाहर करने का प्रयास कर रही हैं तो हमें परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के आशय को जीवित रखना चाहिये। खुशफहमी के धोखों से उबरने का समय आ गया है कि अब ब्रिजेज टीवी के कठोर सत्यों के बारे में बोला जाये।