कामिक पुस्तकों या कामिक्स को इस्लाम के मिशन या प्रचार को आग़े बढाने के तरीके के रूप में प्रयोग करना ( अरबी नाम दावा) ?
हाँ , एक वर्ष पूर्व हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कामिक पुस्तकों के कलाकारों के लिये एक कार्यशाला आयोजित की थी कि किस प्रकार " अमेरिका के लोगों की इस्लाम और मध्य पूर्व को लेकर बेचैनी" को व्यक्त करें। और अब इस सप्ताह के अंत में जार्जटाउन विश्वविद्यालय एक पीबीएस वृत्तचित्र ,Wham! Bam! Islam! जारी करेगा जिसके द्वारा एक कामिक पुस्तक The 99 को लेकर उल्लास मनाया जायेगा।
The 99 सुनने में कोई अद्भुत नहीं लगता । Adweek ने इसके कथानक की व्याख्या की, ""पराराष्ट्रीय महानायकों की एक टीम बुराई की शक्तियों से लडने के लिये परस्पर एकत्र होती है" । अमेरिका के बच्चों के नेटवर्क हब ने इसे पूरी तरह व्याख्यायित किया है, """इसकी रचना मध्य पूर्व के विद्वान और मनोविज्ञानी डा. नैफ अल मुतावा ने की है , इसमें महानायक चरित्र हैं जिन्हें कि अपनी शक्तियों को द्विगुणित करने के लिये एक साथ कार्य करना चाहिये । The 99 का प्रत्येक सदस्य विश्व के 99 मूल्यों जैसे ज्ञान ,दया, शक्ति या स्वामिभक्ति में से किसी एक को अवश्य धारण करता है और वे सात महाद्वीपों के 99 विभिन्न देशों से आते हैं। इस श्रृँखला के महानायक विविधतावादी संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सकारात्मक आदर्श नायक हैं जो कि शांति और न्याय की स्थापना के लिये एक साथ कार्य करते है"
आखिर विविध संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक मूल्यों के प्रसार पर कौन आपत्ति कर सकता है?
लेकिन यदि बारीक नजर डाली जाये तो इस कामिक पुस्तक के इस्लामी स्वभाव का पता चलता है। इसका शीर्षक 99 इस्लाम की उस परिकल्पना को व्यक्त करता है जिसके अनुसार ईश्वर के 99 नाम हैं और उनमें से प्रत्येक कुरान में है जो कि उसके कुछ गुणों को धारण किये हुए है : दयावान, सौजन्यता, कृपालु, सबसे पवित्र और सबसे शांतिपूर्ण परंतु साथ ही प्रतिशोध लेने वाला, कष्ट देने वाला और मृत्यु का कारण।
कामिक पुस्तक जिसे कि तेशकील मीडिया ग्रुप कुवैत ने निर्मित किया है वह आंशिक तथ्यात्मक और आंशिक काल्पनिक कथा कहती है जो कि 1258 ईसवी में आरम्भ होती है जब मंगोलों ने बगदाद को घेर लिया था । कल्पना की गयी है कि पुस्तकालय लिपिकों ने शहर के प्रमुख पुस्तकालय के ज्ञान को बचा लिया और इसे 99 रत्नों में कूट रूप में रख दिया जिसे कि समस्त विश्व में बिखेर दिया गया। नायकों को इन " रत्न की शक्तियों" को प्राप्त करना है कि इससे पूर्व कि वे खलनायकों के हाथ में चली जायें। इन में से सभी एक सामान्य मुसलमान हैं जो कि उस रत्न के सम्पर्क में आकर महानायक शक्तियाँ प्राप्त कर लेते हैं और ईश्वर के 99 गुणों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सभी महानायक मुस्लिम हैं ( कोई भी ईसाई, यहूदी, हिंदू या बौद्ध नहीं है) उनमें से कुछ पश्चिमी देशों जैसे अमेरिका और पुर्तगाल से आते हैं। इसके विपरीत खलनायक गैर मुस्लिम हैं।
अल मुतावा The 99 के लिये विरोधाभाषी लक्ष्य बताते हैं " मेरा उद्देश्य किसी का मतान्तरण करना नहीं है" । उनकी आशा है कि इस प्रकार , " यहूदी बच्चे को लगता है कि इसके चरित्र यहूदी हैं, और ईसाई बच्चे को लगता है यह ईसाई है और मुस्लिम बच्चे को लगता है कि यह मुस्लिम है और हिंदू बच्चे को लगता है कि यह चरित्र हिंदू है"
अन्य अवसर पर उन्होंने इस श्रृँख़ला के बारे में कहते हुए समाप्त किया कि, " अरब जगत को बेहतर नायक चरित्रों की आवश्यकता है" । उन्हें " इस्लामी जगत के बच्चों के लिये नये प्रकार के महानायक की रचना" की प्रेरणा मिली और उनकी आशा है कि उनके कार्य से मुसलमानों की एक पीढी को बचाने में सहायता मिलेगी। वे तो यह मानते हैं कि उनके कार्टून के चरित्र से " इस्लाम की प्रतिष्ठा को भी बचाया जा सकेगा"। निश्चित रूप से 99 के बारे में बहस से इसके इस्लामी तत्व पर जोर पड्ता दिखाई देता है। द न्यूयार्क टाइम्स ने भी माना कि इसके महानायक विशेष रूप से मुस्लिम युवा पाठकों और मुस्लिम गुणों की ओर लक्षित हैं। टाइम्स (लंदन) ने इस श्रृँखला को ईसाई, यहूदी और नास्तिक बच्चों के अंदर प्राचीन इस्लामी मूल्यों को स्थापित करने का मिशन बताया।
इसी प्रकार बराक ओबामा ने कामिक पुस्तक की प्रशंसा की कि इसने ' " अनेक युवाओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और उन महानायकों के साथ जो कि इस्लाम की शिक्षा और सहिष्णुता को धारण किये हुए हैं" एक इस्लामी निवेशक बैंक ने जिसके उत्पाद पूरी तरह शरियत के सिद्धांतों के अनुकूल होते हैं उसने15.9 मिलियन अमेरिकी डालर तेशकील में निवेश किया है और इसकी इस बात के लिये प्रशंसा की है कि इसने " इस्लाम की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रकाशित किया है"
संक्षेप में The 99 अरबी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है जो कि प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी सामग्री को धारण किये है और खुले रूप से इस्लाम को प्रोत्साहित कर रही है। यदि यह मान भी लें कि इसका इस्लाम का आयाम आधुनिक है तो भी यह श्रृँखला गैर मुस्लिम के मध्य गोपनीय रूप से मिशन और प्रचार ( दावा) के रूप में ही है।
कामिक पुस्तक के अतिरिक्त अल मुतावा ने कुछ अन्य चीजें भी विकसित की हैं ( आनलाइन कामिक्स, गेम्स, लंच बाक्स और थीम पार्क) और अन्य की योजना पर कार्य कर रहे हैं ( समाचार पत्र कामिक्स,स्टिकर और सम्भवतः खिलौने) । परंतु इनमें से अधिकतर वे कार्टून एनिमेशन के रूप में चाहते हैं। यद्यपि हब नेटवर्क ने The 99 को 2011 में प्रसारित करने की योजना बनायी थी पर ऐसा नहीं हुआ क्योंकि आलोचना के चलते इसने इसके प्रसारण से स्वयं को अलग रखा जो कि, " ईसाई , यहूदी और नास्तिक बच्चों में इस्लामी मूल्य डालता था"
संक्षेप में, पश्चिमी बच्चों का इस्लाम के प्रति शिक्षित होने का क्रम तो विद्यालयों में पहले से ही जारी है पाठ्यक्रम, अतिरिक्त विद्यालय सामग्री और कक्षाओं की यात्रा से और अब इसमें कामिक पुस्तक और अन्य वास्तविक और सम्भावित वस्तुओं से यह और भी बढ गया है। हो सकता है कि The 99 मुस्लिम बच्चों के लिये बहुत अच्छा हो लेकिन जार्जटाउन विश्वविद्यालय के समर्थन के बाद भी गैर मुस्लिम बच्चों को इस प्रकार के प्रचार का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिये।