10 नवम्बर से 21 नवम्बर तक हुये इजरायल और हमास के दूसरे युद्ध ने सही और गलत को लेकर नई बहस आरम्भ कर दी है और इस बहस में दोनों ही पक्ष बडी संख्या में अपनी स्थिति स्पष्ट न कर पाने वालों को अपने पाले में खींचने का प्रयास कर रहे हैं (सीएनएन और ओआरसी के अनुसार 19 प्रतिशत अमेरिकी अभी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं, रासमुसेन के अनुसार यह स्थिति 38 प्रतिशत है) । इस बहस के केंद्र में नैतिकता का प्रश्न है कि क्या इजरायल एक अपराधी देश है जिसे कि अस्तित्व का अधिकार नहीं है जो कि सेना तैनात कर सके? या फिर यह कानून के शासन का एक आधुनिक उदारवादी देश है जो कि न्यायसंगत ढंग से अपने निर्दोष नागरिकों की रक्षा कर सकता है?
किसी भी समझदार व्यक्ति के लिये तो यह स्वाभाविक है कि इजरायल को किसी भी अनावश्यक आक्रमण से स्वयं को बचाने का न्यायसंगत अधिकार है। 2008 -09 के प्रथम इजरायल हमास युद्ध के दौरान प्रतीकात्मक रूप से एक कार्टून दिखाया गया था कि फिलीस्तीनी आतंकवादी बच्चे को घुमाने वाली ठेली के पीछे से गोली चला रहा है जबकि इजरायल का सैनिक बच्चे को घुमाने वाली ठेली के सामने से गोली चला रहा है।
अधिक कठिन प्रश्न यह है कि आगे के हमास और इजरायल युद्ध को कैसे रोका जाये। कुछ पृष्ठभूमि देखें: यदि इजरायल द्वारा स्वयं की रक्षा करना 100 प्रतिशत न्यायसंगत है तो इसकी सरकार भी इस संकट को अपने ऊपर थोपने के लिये उत्तरदायी है । विशेष रूप से इसने वर्ष 2005 में दो भ्रामक एकतरफा सेना की वापसी की:
- गाजा से: जनवरी 2003 में एरियल शेरोन ने प्रधानमंत्री के रूप में पुनः चुनाव गाजा से सभी इजरायली नागरिकों और सैनिकों की एकतरफा वापसी के अपने विरोधियों के निर्णय की आलोचना करके जीता फिर रहस्यमय ढंग से नवम्बर 2003 में इसी नीति का अनुपालन किया और अगस्त 2005 से इसे लागू कर दिया। उस समय मैंने इसकी आलोचना की थी , " किसी भी लोकतंत्र द्वारा की गयी अब तक की सबसे बडी भूल"
- फिलाडेल्फी गलियारे से वापसी: अमेरिका के दबाव में और विशेष रूप से अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस के दबाव में शेरोन ने सितम्बर 2005 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये , " सहमति का समझौता" जिसके अनुसार मिस्र और गाजा के मध्य 14 किलोमीटर लम्बा और 100 मीटर चौडा फिलाडेल्फिया गलियारे से इजरायल की सेना की वापसी हो गयी। असंतुष्ट " यूरोपियन संघ सीमा सहयोग मिशन ने रफाह क्रासिंग बिंदु" पर अपना स्थान लिया।
समस्या यह थी कि मिस्र के अधिकारियों ने इजरायल के साथ 1979 की संधि के अंतर्गत ( III:2) यह आश्वासन दिया था कि , " किसी भी शत्रुता , हिंसा के कार्य के खतरे को रोकेंगे" परंतु वास्तव में तो उन्होंने सुरंगों के सहारे गाजा में भारी मात्रा में हथियार की तस्करी होने दी। इजरायल की दक्षिणी कमान ने पूर्व प्रमुख डोरोन अल्मोग ने वर्ष 2004 के आरम्भ में लिखा, " तस्करी का रणनीतिक आयाम है क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में हथियार और सामग्री शामिल हैं, ताकि इजरायल के विरुद्ध कहीं अधिक गहरे आक्रमण के लिये गाजा को आक्रमण के लिये मुख्य स्थान के रूप में परिवर्तित किया जा सके" ।
अल्मोग को लगा कि ये नीतियाँ मुबारक शासन के लिये " खतरनाक जुआ" है और " इसमें भयानक रणनीतिक खतरा है " जो कि, " इजरायल और मिस्र की शांति संधि को खतरे में डाल सकता है और समस्त क्षेत्र की स्थिरता को भी खतरे में डाल सकता है" । इस विषय में मिस्र के ढीले ढाले रुख के लिये उन्होंने अधिकारियों में व्याप्त इजरायल विरोधी भाव को और इसी बहाने मिस्र के लोगों के इजरायल विरोधी भाव को व्यक्त हो जाने के लिये इसे प्रयोग करने को उत्तरदायी माना ।
शेरोन ने अहंमन्यतापूर्ण भाव से "सहमति के समझौते" पर हस्ताक्षर किये और यह इजरायल की सुरक्षा के पूरी तरह विपरीत था। निश्चित रूप से इजरायल की सुरक्षा के इस स्तर को हटा देने से गाजा में हथियारों में कई गुना की वृद्धि हुई और इसकी परिणति फज्र 5 मिसाइल के रूप मे हुई जो कि इस माह तेल अवीव तक पहुँच गयी।
वर्ष 2009 में डिफेंस अपडेट के डेविड एसहेल ने तर्क कहा था कि गाजा में हथियारों की पहुँच को प्रभावी ढंग से रोकने के लिये इजरायल सुरक्षा बल को फिलाडेल्फी गलियारे को वापस ले लेना चाहिये और इसका आकार बढा देना चाहिये " प्रायः 1,000 मीटर की सुरक्षा पंक्ति में बना देना चाहिये" भले ही ऐसा करने का अर्थ 50,000 गाजा निवासियों को नये स्थान पर ले जाना होगा। रोचक बात यह है कि वर्ष 2008 में फिलीस्तीन अथारिटी के अहमद क्यूरे ने व्यक्तिगत रूप से इसी के समान कदम का समर्थन किया था।
अल्मोग ने इससे आगे पाया कि चूँकि गाजा में काफी गहरे रूप से ईरान भी शामिल है इसलिये उन्होंने सलाह दी कि फिलाडेल्फी गलियारे को किसी का भी क्षेत्र न बनाकर 10 किलोमीटर तक चौडा कर दिया जाये। उन्होंने मुझे लिखा कि अमेरिका की सेना का अभियंता विभाग तस्करी निरोधी बाधा का निर्माण करेगा और अमेरिका की सेना सीमा पर लगातार पहरा देगी। दूसरे सबसे अच्छी बात यह है कि इसे इजरायल के लोग स्वयं करें। ( मई 1994 का गाजा जेरिको समझौता अब भी लागू है और " सेना नियुक्ति क्षेत्र" पूरी तरह इजरायल के नियंत्रण में है जिसके चलते जेरूसलम के लिये यह कानूनी आधार बनता है कि वह इस महत्वपूर्ण सीमा फिलाडेल्फिया गलियारे को वापस ले ले)
इसके विपरीत इजरायल के रक्षा विभाग के पूर्व उच्च अधिकारी माइकल हर्जोग ने मुझे बताया कि अब फिलाडेल्फी गलियारे को वापस लेने के लिये इजरायल को देर हो चुकी है और गाजा में हथियारों की आवाजाही रोकने के लिये मिस्र पर अंतरराष्ट्रीय दबाव ही समाधान है। इसी प्रकार पूर्व राजदूत डोर गोल्ड Dore Gold ने भी नये हथियारों को रोकने के लिये इजरायल और अमेरिका की संयुक्त व्यवस्था का समर्थन किया है।
मुझे अमेरिका की प्रभावशाली भूमिका पर संदेह है, चाहे वह सैन्य भूमिका हो या कूटनीतिक ; इजरायल के लोगों को स्वयं ही अस्त्र हस्तांतरण को रोकना होगा। पश्चिमी सरकारों को हमास को संकेत देना चाहिये कि वे अगली बार मिसाइल आक्रमण पर अपनी प्रतिक्रिया में जेरूसलम को प्रेरित करेंगे कि वह फिलाडेल्फी गलियारे को वापस ले और इसका विस्तार करे ,ताकि भविष्य में अधिक आक्रामकता को बचाया जा सके और साथ ही मानवीय त्रासदी और राजनीतिक संकट भी।