अरब इजरायल गतिरोध को कैसे दूर किया जाये? धीरे धीरे एक ही स्वर सुनाई दे रहा है न केवल फिलीस्तीनियों की ओर से वरन विश्वविद्यालयों और मीडिया के टिप्पणीकारों की ओर से भी कि स्थिति में तभी सुधार आ सकता है जबकि इजरायल की सेनायें पश्चिमी तट और गाजा से तत्काल हट जायें।
क्या ऐसे कदम से सहायता मिलेगी या फिर इससे स्थिति और बुरी हो जायेगी? जरा दो वर्ष पूर्व इसी सप्ताह दक्षिणी लेबनान से इजरायल की इसी प्रकार की वापसी पर ध्यान दें जिसके लिये अभी तक इजरायलवालों को भारी कीमत चुकानी पड रही है।
थोडी पृष्ठभूमि: लगभग दो दशकों से इजरायल से सटे लेबनान के भाग पर इजरायल की सेना टुकडी ने एक " सुरक्षा पेटी" बना रखी है ताकि इजरायल के उत्तर से उग्रवादी इस्लामी गुट हिज्बुल्लाह के आक्रमण से इजरायल की सुरक्षा की जा सके। हिज्बुल्लाह आम तौर पर औसतन इजरायल के 25 लोगों को प्रति वर्ष मारता है और इसके चलते वहाँ चल रहा सेना का आपरेशन इजरायल में अत्यंत अलोकप्रिय है। 23 मई, 2000 को प्रधानमंत्री एहुद बराक ने इस असंतोष के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमा से एकतरफा वापसी की।
बराक इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि हिंसा थम जायेगी: उन्होंने कहा कि. " दुखद स्थिति समाप्त हो गयी है" उनके सहयोगी शिमोन पेरेज कहीं अधिक मुखर थे , "अब उत्तर पर आक्रमण की सम्भावना नगण्य है क्योंकि सीरिया और हिज्बुल्लाह के पास काफी कुछ खोने को है"
इस आशावाद में वे अकेले नहीं थे। इजरायल में अमेरिका के राजदूत मार्टिन इंडिक ने इस वापसी को, " सुनहरी मौका" बताया। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव कोफी अन्नान ने इसे, " लेबनान के साथ इजरायल के लिये भी खुशी का दिन बताया "
परंतु हिज्बुल्लाह के निर्णय किया कि " इजरायल ईकाई" ने अब भी लेबनान राज्य क्षेत्र के चार क्षेत्रों पर कब्जा कर रखा है और उन्होंने लडाई जारी रखी।
इजरायल की वापसी के दो वर्ष के भीतर हिज्बुल्लाह ने इजरायल के लक्ष्यों पर बिना किसी भडकाने की कार्रवाई के 40 आक्रमण किये हैं जिसमें कि शेबा फार्म के नाम से जाने जाने वाले सेना पोस्ट और इजरायल की उत्तरी सीमा से सटे नागरिक गाँवों में ये आक्रमण हुए हैं। इसने तीन सैनिकों और एक अधिकारी का अपहरण ( सम्भवतः उनकी हत्या भी कर दी) भी किया।
अप्रैल के आरम्भ में चीजें और भी खराब हुई जब कि प्रतिदिन हिज्बुल्लाह की ओर से एक आक्रमण होने लगा। जिसमें कि 1,160 मोर्टार राउंड , 205 एंटी टैंक मिसाइल और अनेक जमीन से आसमान में मार करने वाली मिसाइल से आक्रमण शामिल था। सबसे बुरा आक्रमण 10 अप्रैल को हुआ जब कटूशा राकेट नागरिक लक्ष्य और छह सैन्य ठिकानों पर गिरा। पिछले महीने हिज्बुल्लाह ने इजरायल के लक्ष्यों पर कम से कम नौ और आक्रमण किये जिसमें कि पाँच लोगों की मौत हुई।
इससे अधिक खतरे की आशंका है। हिज्बुल्लाह इजरायल सरकार को सीरिया के विरुद्ध बदले की कार्रवाई के लिये उकसा सकता है( जिसका कि लेबनान पर नियंत्रण है) । सीरिया सम्भवतः रासायनिक या जैविक हथियारों से प्रतिक्रिया दे सकता है या फिर सफलतापूर्वक मिस्र, इराक या अन्य अरब देशों की पुनः तैनाती के लिये प्रेरित कर सकता है। रणनीतिकार गाल लुफ्त ने सही ही लिखा है कि " हिजबुल्लाह में क्षमता है कि वह इजरायल को क्षेत्रीय युद्ध में घसीट लाये"
अन्नान के "खुशी के दिन" का क्या।
हाल में उत्तरी इजरायल के गाँव के मेयर ने प्रायश्चित किया कि , "हमने सोचा था कि जब इजरायल की सेना वापस होगी तो अंततः हमें शांति प्राप्त होगी" " मुझे समझ नहीं आता कि हिज्बुल्लाह क्या कर रहा है"
वास्तव में यह समझना सरल है। इजरायल की वापसी उल्टी पडी क्योंकि जेरूसलम ने अपने शत्रु को कम आँका। फिलीस्तीनी अथारिटी की भाँति हिज्बुल्लाह भी कुछ विवादित क्षेत्र से इजरायल के सैनिकों को मात्र हटाना नहीं चाहता है। यह इजरायल को नष्ट करने से कम कुछ भी नहीं चाहता।
इस प्रकरण से पश्चिमी तट और गाजा के लिये प्रासंगिक तीन बिंदु निकलते हैं:
- जब इजरायल ऐसे शत्रु के समक्ष पीछे हटता है जो कि इसका विनाश चाहता है तो इसे उसकी कमजोरी माना जाता है। इससे उस शत्रु को आक्रमण तीव्र करने का बल मिलता है। इसकी शिक्षा यह है: इजरायल को विवादित क्षेत्रों से हटने के बारे में तभी सोचना चाहिये कि जब वह अपने शत्रुओं से मान्यता प्राप्त कर ले।
- संकल्प से ही इजरायल के शत्रु प्रभावित होते हैं न कि इसके शस्त्र भंडार से। मई 2000 में इजरायल की वापसी के कुछ ही दिनों बाद हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरुल्लाह ने कहा, "इजरायल के पास परमाणु हथियार और भारी भरकम हथियार होंगे परंतु ईश्वर की कसम यह एक मकडी के जाल से भी कमजोर है"
- यहाँ तक कि जब भी इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र संघ की माँगों को भी स्वीकार किया है तो भी इसे कोई लाभ नहीं हुआ है। लेबनान में स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के 4,000 जवानों ने हिज्बुल्लाह के हाल के हिंसक अभियान को रोकने के लिये कुछ भी नहीं किया।
जो लोग पश्चिमी तट और गाजा से इजरायल की एकतरफा वापसी के लिये कह रहे हैं वे एक बार फिर इजरायल के शत्रुओं की महत्वाकाँक्षा को कमतर आँक रहे हैं। ऐसे किसी भी कदम से अधिक खून बहेगा न कि कम।