अपनी चुनाव विजय के बाद अपनी " धन्यवाद" यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 दिसंबर को घोषणा की कि,
हम एक नयी विदेश नीति का अनुपालन करेंगे जो कि अपनी अतीत की भूलों से सबक लेगी | हम सरकारों को अपदस्थ करने या शासन को अस्थिर करने को रोकेंगे |याद करिए मध्य पूर्व में 6 अरब डालर खर्च किये गए , 6 अरब | हमारा उद्देश्य स्थिरता है अराजकता नहीं , क्योंकि हम अपने देश ( संयुक्त राज्य) का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं | यही समय है , यही समय है|
हम किसी भी देश के साथ भागीदारी को तैयार हैं जो कि आई एस आई एस और कट्टर इस्लामी आतंकवाद को हराने के लिए हमारा साथ देना चाहता है , बात ये है कि शर्तें हमारी होंगी , शर्तें हमारी होंगी | दूसरे देशों के साथ सम्बन्ध में जहां तक संभव हो हम साझे हित पर ध्यान देंगे और शान्ति, आपसी समझ और सद्भाव के नए युग का अनुपालन करेंगे |
इसमें सबसे महत्वपूर्ण वाक्यांश है " हम शासन को अस्थिर करने और सरकारों को अपदस्थ करना रोक देंगे" , " हम किसी भी देश के साथ भागीदारी को तैयार हैं जो कि आई एस आई एस और कट्टर इस्लामी आतंकवाद को पराजित करना चाहता है" , " जहां भी संभव है हम साझे हित पर ध्यान देंगे"
इन तीन घोषणाओं से क्या समझा जाए ? वाल स्ट्रीट जर्नल के गेराल्ड सीब ने सबसे पहले इस वाक्यांश पर ध्यान दिया और उनके अनुसार " यह गंभीर अर्थों वाला भयावह बयान है" और उनके अनुसार इसका निष्कर्ष है कि ट्रम्प " किसी विचारधारा के दायरे के बोझ से मुक्त रहना चाहते हैं साथ ही उनकी इस नीति में कोई निरंतरता भी नहीं होगी"
मैं इसे दूसरे रूप से सुन सकता हूँ | ट्रम्प का कहना है , " आई एस आई एस को छोड़कर मैं कोई अन्य इराक या लीबिया नहीं बनाऊंगा, बल्कि इसके बजाय अस्तित्वमान शासन के साथ कार्य करना पसंद करेंगे| मैं करदाताओं के धन को मध्य पूर्व में खर्च नहीं करना चाहता हूँ" ( या इसका और विस्तार करें तो अमेरिका के लोगों का जीवन नहीं खोना चाहता )| इस प्रकार वे स्वयं को जार्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा से दूर करते प्रतीत होते हैं , ट्रम्प उन दोनों को ही अतिशय महत्वाकांक्षी पाते हैं जो कि क्षेत्र के आक्रोश का शिकार होकर फंस गए थे |
ठीक है इसके साथ इन्हें शुभकामनाएं| क्षेत्र का यह आक्रोश आपको अकेला नहीं छोड़ सकता जैसा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से लगातार अमेरिका के नेताओं ने स्वयं को इसी स्थिति में पाया है| त्रात्स्की उद्धरण इस मामले में उपयुक्त है आप भले ही मध्य पूर्व में रूचि न रखें पर मध्य पूर्व को आपमें रूचि है|
1982 में कुछ ही महीनों तक अमेरिका के शीर्ष कूटनीतिक रहने के बाद जार्ज शुल्ज ने एक महत्वपूर्ण बात कही थी , " जब तक आप इस पर कुछ नहीं करेंगे आपको विदेश मंत्री के रूप में अपना 100 प्रतिशत समय मध्य पूर्व पर खर्च करना होगा| यह विषय आपको खा जाता है और यह विषय हर समय आपके पास आता रहता है" | शुल्ज के उत्तराधिकारी जेम्स बेकर ने विदेश मंत्री के रूप में अपने संस्मरण का आधा भाग मध्य पूर्व को दिया है|
मैंने एक बार उनके उत्तराधिकारीवारेन क्रिस्टोफर को मध्य पूर्व का विदेश मंत्री कहा था |
बिल क्लिंटन ने यासर अराफात को अनेकों बार ओवल आफिस में बुलाया जो कि किसी भी दूसरे विदेशी मेहमान से अधिक था | 11 सितम्बर से अफगानिस्तान और इराक में युद्ध तक जार्ज डब्ल्यू बुश का शासन काल किसी अन्य मुद्दे से अधिक मध्य पूर्व के मुद्दे से ही कहीं अधिक परिभाषित हुआ | बराक ओबामा इराक युद्ध के चलते राजनीतिक रूप से अनजाने की स्थिति से विपक्ष में आ गए और सीरिया में अपना सबसे बुरा अपमान कराया |
ट्रम्प और उनकी टीम ईरान डील से , लीबिया, सीरिया, इराक और यमन में गृहयुद्ध , इस्लामवाद , अनियंत्रित आप्रवास , एरडोगन का दुष्ट होते जाना , सिसी का मामला, सउदी की आर्थिक समस्या, फिलीस्तीनियों का इजरायल को अस्वीकार करना, नशीली दवाओं की ट्रैफिकिंग और इसके अतिरिक्त कितने ही विषय हैं जिनसे कि ट्रम्प और उनकी टीम छूट नहीं सकती | इसके अतिरिक्त अपने रास्ते पर चलते हुए " कट्टर इस्लामी आतंकवाद" शब्द पर जोर देते हुए अमेरिका के दूतावास को तेल अवीव से जेरुसलम करने के आशय से तो यही संकेत मिलता है कि मध्य पूर्व की धुरी से बाहर आने की तैयारी है |
इन सबके लिए काफी व्यापक नीति की आवश्यकता होगी | गेराल्ड सीब के विपरीत मेरी भविष्यवाणी है कि मध्य पूर्व के मामले में ट्रम्प की सामान्य रूप से उपेक्षा की नीति काफी कम समय तक रहेगी |