रोम- जब भी आप्रवासियों या इस्लाम के बारे में सोचते हैं तो इटली वह देश नहीं है जिसका नाम मस्तिष्क में आता है|
अपने उत्तरी पड़ोसियों के विपरीत इटली के पास कोई ऐसा आर्थिक चमत्कार नहीं है जिसके लिए भारी मात्रा में श्रम शक्ति को आयातित करने की आवश्यकता हो| आप्रवास के लिए किसी गहरे सम्बन्ध का भी कोई कारण यहाँ नहीं दिखता जैसा कि ब्रिटेन के लिए दक्षिण एशिया में दिखता है| इटली में फ्रांस की तरह कोई बड़ी जिहादी हिंसा भी नहीं हुई है| स्वीडन की तरह यहाँ तुष्टीकरण की अजीब कहानियां भी सुनने को नहीं मिलतीं और बेल्जियम की तरह यहाँ कोई भेदभावपूर्ण क्षेत्र भी नहीं है जहां कि गैर मुस्लिम नहीं जा सकते | नीदरलैंड की तरह कोई मुखर इस्लाम विरोधी राजनेता भी नहीं हुआ है जो गीर्ट वाइल्डर्स के बराबर का हो और जर्मनी की तरह कोई आप्रवास विरोधी राजनीतिक दल भी बड़ी राजनीतिक शक्ति नहीं बन सका है|
परन्तु इन सबके बाद भी इटली में जो भी परिवर्तन हो रहे हैं वह इसके उत्तरी सहयोगियों से कहीं से भी कम ध्यान देने लायक नहीं है| तार्किक रूप से तो ये परिवर्तन इन मामलों में बेहतर रूप से जाने वाले देशों से कहीं अधिक गहरे , अधिक दूरगामी और अधिकारों से वंचित करने वाले हैं |
इटली के मामले में अधिक जानकारी न रखने वालों के लिए उनका भूगोल इस प्रकार है| इटली पर्याप्त रूप से भूमध्यसागर में है जिसके चलते समुद्री रास्ते से अवैध आप्रवास करने वालों के लिए यह आकर्षक लक्ष्य हो जाता है , इसके साथ ही इटली का राज्यक्षेत्र उत्तरी अफ्रीका तक चला जाता है : लेम्पेदुसा एक छोटा सा प्रायद्वीप है जिसकी जनसंख्या मात्र 6,000 है जो कि ट्युनिसिया के तट से 70 मील ( 113 किलोमीटर), लीबिया से 184 मील (300 किलोमीटर) है| 2016 में 181,000 आप्रवासी इटली में दाखिल हुए और लगभग सभी अवैध थे और समुद्री रास्ते से आये थे|
यह एक बड़ी चुनौती थी जब लीबिया के मुवम्मर कद्दाफी ने आप्रवास के प्रवाह को कभी बढ़ाकर कभी घटाकर इटली से रियायतें लेने का खेल खेला जैसा खेल अब तुर्की के रिसेप तईप एरडोगन जर्मनी के साथ खेल रहे हैं| परन्तु अक्टूबर 2011 में कद्दाफी के सत्ता से बेदखल होने के बाद से लीबिया में जो अराजकता की स्थिति है उसने कहीं गंभीर चुनौती खडी कर दी है| कम से कम कद्दाफी को पर्याप्त ढंग से कीमत दी जा सकती थी ; असंख्य स्थानीय मजबूत लोगों और मानव तस्करों से डील करना कितना कठिन है|
यह रुझान उस भयावहता की ओर जा रहा है जिसे कि फ्रांसीसी बुद्धिजीवीरेनाड केमस ने जनसंख्या का स्थानान्तरण कहा था , 2016 में 285,000 इटलीवासियों ने अपना गृह स्थान छोड़ा जिसमें कि पिछले वर्षों के मुकाबले काफी वृद्धि हुई है|
इटली को नहीं जानने वालों के लिए अब इतिहास की बात| सिसिली में मुसलमान लगभग पांच शताब्दियों 827-1300 तक रहे, हालांकि इसका विजयोल्लास अन्दालुसिया से कम है पर इस्लामवादी उस युग को याद करते हैं और सिसिली को वापस चाहते हैं| रोम जो कि केथोलिक चर्च का स्थान है इस्लामवादी आक्रोश और महत्वाकांक्षा का सबसे बड़ा प्रतीक है और इसी कारण यह जिहादी हिंसा का सबसे बड़ा निशाना बन सकता है|
इटली का भूजनाकिंकी उत्तरी यूरोप से भी बुरा है कुल संतानोत्पत्ति दर ( प्रत्येक महिला को होने वाले बच्चे ) 1.3 है जो कि पड़ोसी फ्रांस से भी कम है (2.0) | पत्रकार गिउलियो मेओती ने मुझे बताया कि आप्रवासियों कि सन्तानोत्पत्ति दर लगभग 2.0है जबकि इटली के मूल निवासियों की दर0.9 है| कुछ छोटे कस्बों में तो मूल इटली निवासी लुप्त होते जा रहे हैं| उनमें से एक केंडेला है जहां कि 1990 में जनसंख्या 8,000 थी जो कि आज 2,700 रह गयी है, इस कारण वहाँ आर्थिक रूप से उत्पादक आप्रवासियों को बसने के लिए प्रेरित करने के लिए नकद का प्रलोभन दिया जा रहा है| बिएट्रिस लोरेंजिन इटली के स्वास्थ्य मंत्री ने भूजानाकिंकी रुझान को " भविष्यवाणी" बताया है|
सब कुछ मिलाकर सभी तथ्य मिलकर इटली के लिए सभ्यतागत संकट उपस्थित करते हैं| परन्तु इन सबके मध्य सत्य को स्वीकार न करने की दीवार बढ़ती ही जा रही है| यह सत्य है कि नार्दर्न लीग और फाइव स्टार मूवमेंट अंधाधुंध आप्रवास का विरोध करते हैं पर इस विषय पर उनका ध्यान नहीं है| हालांकि उत्तर में आप्रवास और इस्लामवाद पर पूरी बहस असंतुलित और सिरे से खारिज की जाने वाली है पर इटली में तो यह बहस कहीं अधिक बुरी स्थिति में है| एक दशक पहले जिन आवाजों ने इसका सामना किया था जैसे कि मगदी अलाम, ओरियाना फलासी, फियामा निरेन्स्तीन, इमेनुअल ओटोलेंगी और मार्सेलो पेरा अब वे प्रासंगिक नहीं हैं| इस तथ्य को अस्वीकार किया जा रहा है|
पोप फ्रांसिस ने बिना बाधा के आप्रवास जारी रखने की वकालत की है और बिना किसी आलोचना के आप्रवासियों का स्वागत किया है, इसके चलते इस विषय पर कोई विवेकपूर्ण बहस कठिन हो गयी है| इसमें एक राजनीतिक पेंच भी आ गया है कि प्रधानमंत्री पाओलो जेन्तिलोनी पूरी तरह वामपंथी रुझान के हैं और जो भी आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है उसे शायद ही ध्यान में रख रहे हैं|
इटली में 12 शहरों और कस्बों को घूमने के बाद मुझे ऐसा आभास हुआ कि संकट काफी बड़ा है जिसका सामना इटली के लोगों को करना है| ( अमेरिका के पाठकों को इसकी तुलना अपने देशवासियों की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक नाडी की धड़कन के खतरे की उपेक्षा से करनी चाहिये) | एक चित्रकार ने पादुआ के एक पार्क में नए इटली का चित्र लिया : एक मूर्ति चार शाखाओं से घिरी है | इटली की सात अधिक अवस्था की महिलायें एक बेंच पर किसी तरह बैठी हैं और आठ अफ्रीकी पुरुष अलग अलग तीन बेंचों पर फैलकर बैठे हैं| यह द्रश्य अपने आप में इस बात का सारांश है कि आप्रवासियों के प्रति इतलीवासियों की अरुचि है और आप्रवासियों के मन में श्रेष्ठता का क्या भाव है?
आखिर कब इटली के लोग जागेंगे और भूजनाकिंकी खतरे और सभ्यतागत संकट का सामना करेंगे जो उनकी अद्वितीय आकर्षक सभ्यता के समक्ष उपस्थित है? मेरा अनुमान है कि रोम पर किसी बड़े जिहादी आक्रमण के बाद |