यूरोप में हुए हाल के चुनावों के स्वभाव का विश्लेषण करते हुए केटी ओडोनेल ने पोलोटिको में लिखा " इटली से लेकर फिनलैंड तक हर जगह राष्ट्रवादी पार्टियां उभर रही हैं और महाद्वीप में इस बात का भय व्याप्त हो रहा है कि फिर से उन्हीं नीतियों की पुनरावृत्ति होगी जिसके चलते 20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में विनाश का मार्ग प्रशस्त हुआ था" | अनेक यहूदियों ने भी जैसे यूरोपीय यहूदी संघ की प्रमुख मेनाकेम मार्गोलिन ने अपनी चिंता प्रतिध्वनित की और उन्हें लगता है " समस्त यूरोप में लोकप्रियतावादी आन्दोलनों के चलते एक वास्तविक ख़तरा उत्पन्न हो गया है|"
इन सभी देशों में आस्ट्रिया और जर्मनी स्वाभाविक रूप से अधिक चिंता का कारण बन जाते हैं क्योंकि ये नाजीवाद की गृहभूमि है| आस्ट्रिया में फ्रीडम पार्टी आफ आस्ट्रिया ( एफ पी ओ) और आल्टरनेटिव फार जर्मनी ( ए एफ डी) जिन्हें कि क्रमशः 26 प्रतिशत और 13 प्रतिशत मत मिले हैं उन्होंने इन दोनों देशों में स्वयं को महत्वपूर्ण राजनीतिक आवाज के रूप में स्थापित किया है और पर्यवेक्षकों को डरा दिया है| ऐसा हुआ भी है कि जब जर्मनी के विदेश मंत्री सिगमर गैब्रियल ने ए एफ डी को " सही मायने में नाजी" बताया | जर्मनी की यहूदियों की केन्द्रीय समिति के पूर्व राष्ट्रपति चार्लोट नोबलोच ने कहा " सबसे बुरा सपना सच हो गया"|
क्या इनकी बात सही है कि हम 1930 के दशक में लौट रहे हैं? या फिर इसके विपरीत यह उग्रवाद इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि यूरोप के लोग अपनी मौलिकता और संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं? मैं दूसरे तर्क के साथ हूँ |
वैसे देखा जाए तो ये राजनीतिक दल पुराने संदर्भ वाले राष्ट्रवादी नहीं हैं क्योंकि न तो ये ब्रिटिश साम्राज्य की सत्ता का बखान कर रहे हैं और न ही जर्मनी की रक्त शुद्धता और पूर्वजों के साथ अपने सम्बन्ध को जोड़ रहे हैं | इसके विपरीत उनका यूरोपीय और पश्चिमी नजरिया है और इसके लिए यदि कोई नाम दिया जा सकता है तो वह है " सभ्यतावादी"| दूसरा, ये लोग रक्षात्मक हैं , उनका ध्यान पश्चिमी संस्कृति को बचाने पर है न कि उसे नष्ट करने पर जैसा कि नाजी और कम्युनिष्ट स्वप्न देखते थे और न ही इसे बढाने पर जैसा फ्रांस की सरकार ने लम्बे समय तक किया | वे यूरोप के एथेंस , फ्लोरेंस और एम्स्टर्डम को जीतने के बजाय उसे बचाए रखना चाहते हैं |
तीसरा , इन राजनीतिक दलों को अति दक्षिणपंथी नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनमें दक्षिण ( संस्कृति) और वामपंथ ( आर्थिक नीति) का मिश्रण है | उदाहरण के लिए फ्रांस में मरीन ले पेन की पार्टी नेशनल फ्रंट फ्रांस के बैंकों के राष्ट्रीयकरण की बात करती है और इसे वामपंथियों का समर्थन मिल रहा है|
दक्षिणपंथी के विपरीत ये राजनीतिक दल आप्रवास विरोधी हैं| गैर पश्चिमी लोगों का विशाल और कभी कभी अनियंत्रित आप्रवास अपने ही घर में पराया सा अनुभव कराता है और इसके चलते इनकी अपील बढ़ रही है| विदेशियों से घिरे हुए पेंशनधारी लोगों की दुखद कथाएं और समस्त यूरोप में अपने आपर्टमेंट से बाहर निकलने में असुरक्षित अनुभव करने वाले लोगों की व्यथा या फिर स्कूल में एकमात्र मूल निवासी बच्चे का अपने स्कूल में पूरी तरह आप्रवासी सा बना दिया जाना ऐसी व्यथा है| ये राजनीतिक दल पिछले कुछ दशकों में हुए आप्रवास को और विशेष रूप से मुसलमानों के आप्रवास को नियंत्रित , कम या फिर पूरी तरह समाप्त करने की इच्छा रहते हैं|
मुसलमानों पर ध्यान किसी पूर्वाग्रह के चलते नहीं जाता ( इस्लामोफोबिया) परन्तु इस्लाम के साथ जुडी हुई तमाम समस्याओं जैसे बहुविवाह, निकाब और बुर्का, महिला गुप्तांगों का खतना, सम्मान की रक्षा के लिए हत्या , तहर्रुष ( यौन हमला), यहूदियों के विरुद्ध पूर्वाग्रह, ईसाइयों के विरुद्ध पूर्वाग्रह , शरियत अदालतें, इस्लामवाद और जिहादी हिंसा | मुस्लिम यूरोप के साथ लैटिन अमेरिका , अफ्रीकी ईसाई, हिन्दू या चीनी लोगों की अपेक्षा न केवल कम आत्मसात हो पाते हैं बल्कि अद्वितीय सांस्कृतिक संघर्ष में लिप्त होते हैं और अपनी सभ्यता थोपने का प्रयास करते हैं| इसके अतिरिक्त समस्त यूरोप में मुस्लिम अपने अन्य साथियों को भविष्य का आप्रवासी बनाकर सेनेगल से लेकर मोरक्को और इजिप्ट से लेकर तुर्की और चेचेन्या तक समुद्री रास्तों से अवैध ढंग से यूरोप में प्रवेश कर जाते हैं|
दो अन्य तत्व भी हैं जो सभ्यतागत बेचैनी को बढाते हैं : यूरोप के लोगों की विनाशकारी कम सन्तानोत्पत्ति दर ( प्रति महिला बच्चे पैदा करने की दर 1.6 है) और कुलीन वर्ग में ( जिसे मैं छह पी कहता हूँ : पुलिस, पोलिटिसियन, प्रेस, प्रीस्ट, प्रोफ़ेसर, और प्रोस्क्यूटर) इन समस्याओं को लेकर न कोई जागरूकता है और न ही इस पर ध्यान दिया जाता है| सितम्बर 2015 में जब एक मतदाता ने एंजेला मर्केल से अनियंत्रित आप्रवास पर अपनी बेचैनी प्रकट की तो चांसलर ने यूरोप की गलतियां गिनाकर उसे डांट दिया और अधिक बार चर्च जाने की सलाह दी |
इन सभी चीजों के चलते यूरोप के अधिकतर इलाकों में आप्रवास विरोधी राजनीतिक दलों का उभार और प्रसार हो रहा है| नेशनल फ्रंट ( जिसकी स्थापना 1972 में हुई) से लेकर ए एफ डी ( ( 2013 में स्थापित) तक ये एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं| बीस वर्षों पहले लगभग इनका कोई अस्तित्व नहीं था पर तेजी से ये महत्वपूर्ण बन गए हैं और यूरोप के इक्कीस देशों में ये हैं भले ही हाशिये पर हों| डच आप्रवास विरोधी राजनीतिक दल पी वी वी के नेता गीर्ट वाइल्दर्स के शब्दों में , "यूरोप के पूर्वी इलाके में इस्लामीकरण विरोधी और सामूहिक अप्रवास विरोधी राजनीतिक दलों की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है | पश्चिम में भी प्रतिरोध बढ़ रहा है"
बिना किसी अपवाद के यह बात पूरी तरह सत्य है फिर भी उनके सामने अनेक गंभीर समस्याएं हैं| इनके अधिकतर लोग बचकाने है, उनके भीतर सत्ता का लालच व्यापक है, षड्यंत्रकारी सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, इतिहास को जीवित करना चाहते हैं और यहूदी विरोधी व मुस्लिम विरोधी कट्टरपंथी भी भरे हैं | इन कमियों का का परिणाम चुनावी कमियों में देखने को मिलता है : जर्मनी में चुनाव में देखने को मिलता है 60 प्रतिशत लोग मुस्लिम और इस्लाम को लेकर चिंतित हैं पर केवल 1\5 लोग ही ए एफ डी के पक्ष में मत देते हैं | इसमें अंतर्निहित है कि जब एक बार आप्रवास विरोधी राजनीतिक दल लोगों को विश्वास दिला देंगे कि सत्ता में उनपर विश्वास किया जा सकता है तो उनका समर्थन बढ़ जाएगा और उन्हें बहुमत भी मिल सकता है पर ऐसा होने में अभी समय है|
इस बीच में दो प्रक्रिया चल रही है : (1) सत्ता की लालच में आप्रवास विरोधी राजनीतिक दल परिपक्व, नरमपंथी और प्रशासन का अनुभव प्राप्त कर रहे हैं और इसके चलते व्यक्तिगत लड़ाइयाँ,पार्टी में विभाजन और अन्य नाटक हो रहे हैं और भले ही यह भोंडा दिखता हो पर यह आवश्यक है और रचनात्मक है | (2) विरासत वाली परम्परावादी ( कन्जर्वेटिव) पार्टियां मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इनकी नीतियों को अपनाएंगी | फ्रांस में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकें प्रत्याशी ने ऐसा प्रयास किया है और अब फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी ने जर्मनी में ऐसा किया है| ऐसा ही कुछ आस्ट्रिया में देखने को मिला जहां आस्ट्रियन पीपुल्स पार्टी और एफ पी ओ को मिलाकर 58 प्रतिशत मत मिला और वे सत्ता में भागीदार हैं|
इसलिए आप्रवास विरोधी राजनीतिक दलों को मिटाने का निष्फल प्रयास करने के स्थान पर कुलीन वर्ग को चाहिए कि इन दलों को अपने भीतर से कट्टरपंथी तत्वों को अलग करने, अनुभव प्राप्त करने, और स्वयं को प्रशासन के लिए तैयार करने में इनकी सहायता करें , क्योंकि ये खतरनाक नहीं हैं और इनका शक्तिशाली होना निश्चित है| इन दलों को पसंद करें या इन्हें नापसंद करें आप्रवास सहित अन्य विषयों पर अलग ढंग से निबटने का कुछ न कुछ जनादेश इनके पास है|