हिंदी अनुवाद – अमिताभ त्रिपाठी
क्या इजरायल के आलोचकों की यह बात सत्य सिद्ध होगी कि फिलीस्तीनी अरब में व्याप्त सेमेटिक विरोधी भावना , उनकी मानव बम की फैक्ट्री और आतंकवाद का एकमात्र कारण गाजा और पश्चिमी तट पर इजरायल का कब्जा है और क्या यह बात भी सत्य है कि इन क्षेत्रों से इजरायली सेना और इजरायली नागरिकों के हट जाने से यह भयावह स्थिति समाप्त हो जायेगी . इसका उत्तर शीघ्र ही आने वाला है , इजरायल की सरकार 15 अगस्त से गाजा क्षेत्र से अपने 8,000 नागरिकों को हटाकर वह जगह फिलीस्तीनी अधिकारियों को सौंप देगी. आधुनिक इतिहास में यह एक अभूतपूर्व घटना है साथ ही यह एक दुर्लभ , सामाजिक विज्ञान का प्रयोग भी है इससे पूर्व कभी ऐसा नहीं हुआ जब किसी लोकतंत्र ने एक ही धर्म के अपने ही हजारों नागरिकों को उनके कानून सम्मत घरों से बेदखल किया हो .
इस प्रकरण की व्याख्या करने वालों का इस संबंध में अलग – अलग मत है . इजरायल के आलोचकों का मानना है कि गाजा से वापसी से इजरायल के प्रति फिलीस्तीनियों के व्यवहार में अंतर आयेगा , हिंसा का दौर थमेगा और शांतिवार्ता के नये दौर से स्थायी समझौते का मार्ग प्रशस्त होगा . इसके पीछे सामान्य तर्क है कि यदि “कब्जा ”समस्या का कारण है तो कुछ मात्रा में कब्जा छोड़ने से समस्या का समाधान हो जाएगा .
लेकिन मेरी भविष्यवाणी कुछ दूसरे ही परिणामों की ओर इशारा करती है . फिलीस्तीनी अरब की जनसंख्या का करीब 80 प्रतिशत इजरायल के अस्तित्व को ही नकारता है , ऐसे में गाजा वापसी की इस घटना से फिलीस्तीनीयों की इस भावना को बल मिलेगा कि यह पूरा क्षेत्र उनका है और उन्हें वापस मिलना चाहिए. फिलीस्तीनी इस भेंट को बिना किसी कृतज्ञता के स्वीकार कर इजरायल के उन क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे जो अभी खाली नहीं किए गए हैं. लेबनान से इजरायली सेना के वापस आने के बाद भी यही हुआ था.
इस वापसी से आपसी सद्भाव बढ़ने के बजाए इजरायल के प्रति अस्वीकृति परक प्रसन्नता , यहूदी विरोधी उन्माद और इजरायल विरोधी हिंसा में वृद्धि ही होगी.
फिलीस्तीनी अरब के लोगों ने स्पष्ट रुप से ऐसा कहना आरंभ भी कर दिया है . गाजा स्थित हमास के बड़े नेता अहमद अल बहर ने कहा “चार वर्षों के इन्तिफादा के कारण आज इजरायल असहाय और कमजोर पड़ गया है .हमास के बहादुर हमलों से नपुंसक यहूदियों की कमजोरी और सुरक्षा व्यवस्था की कमी उजागर हो गई है .यह वापसी यहूदियों के सपने चूर होने की शुरुआत है और यहूदी राज्य के नैतिक व मनोवैज्ञानिक पतन का संकेत है . हमारा विश्वास है कि संघर्ष ही यहूदियों पर दबाव डालने का एकमात्र रास्ता है .”
हमास के प्रवक्ता सामी अबू जुहरी ने भी गाजा वापसी पर ऐसी ही कुछ बातें कहीं कि यह वापसी फिलीस्तीनीयों के संघर्ष अभियान का परिणाम है और हम यह संघर्ष जारी रखेंगे .”
कुछ लोग तो इस मामले में और भी स्पष्ट हैं. पिछले सप्ताह गाजा शहर में 10 हजार फिलीस्तीनी अरबों ने रैली में नाचते ,गाते , उल्लास मनाते कहा कि “ आज गाजा कल जेरुसलम ”. गाजा की संघर्ष समिति के लोकप्रिय कमांडर जमाल अबू समहदानेह ने रविवार को घोषणा की कि हम अपनी छावनी पश्चिमी तट में ले जायेंगे और साथ ही चेतावनी दी कि यह वापसी पश्चिमी तट और जेरुसलम के बिना पूरी नहीं होगी . फिलीस्तीनी अथौरटी के अहमद कुरेयी ने भी इस बात पर जोर दिया कि हमारा यह अभियान जेरुसलम में ही रुकेगा.
फिलीस्तीनी अरब लोगों के उद्देश्यों ने इजरायल के वामपंथियों को भी चिन्तित कर दिया है. हारेज के अरब विषयों के विशेषज्ञ डैनी रुबीनस्टीन ने भी अनुभव किया कि प्रधानमंत्री शेरोन ने गाजा क्षेत्र में इजरायल विरोधी दंगों के बढ़ने के बाद इस क्षेत्र को छोड़ने का मन बनाया. यदि इस निर्णय के पीछे हमले कारण न होते तो शेरोन क्षेत्र खाली करने की इस योजना के साथ सामने क्यों आए ? इससे फिलीस्तीनियों की इस धारणा को बल मिला है कि इजरायल केवल आतंकवादी हमलों और हिंसा की भाषा समझता है . इजरायल नेशनल न्यूज़ ने भी कुछ वामपंथियों के बयान दर्ज किए हैं- यहद/मेरेज़ पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व न्याय मंत्री योसी विलीन ने माना कि “इस बात का पूरा खतरा है कि इस वापसी से पश्चिमी तट को भी गाजा की भांति ही प्राप्त करने के लिए इस क्षेत्र में भी हिंसा बढ़ेगी ” .लेबर पार्टी के पूर्व विदेश मंत्री श्लोमो बेन अमी के अनुसार इस एकतरफा वापसी से इजरायल की यह छवि प्रमाणित हो जाएगी कि यह देश दबाव में काम करता है . फतह और हमास पश्चिमी तट के लिए तीसरे इन्तिफादा की तैयारी करेंगें. एक पूर्व सुरक्षा सेवा प्रमुख अमी अयालोन के अनुसार बदले में कुछ भी प्राप्त किए बिना इस वापसी के निर्णय को फिलीस्तीनी समर्पण के रुप में व्याख्यायित करेंगे. इस बात की बड़ी संभावना है कि इस वापसी के बाद हिंसा को एक नया जीवन प्राप्त हो जाएगा . एक पूर्व वायुसेना कमांडर इटान बेन एलियाहू के अनुसार इस बात की कोई संभावना नहीं है कि यह वापसी दीर्धकालीन स्थिरता के लिए कोई गारंटी सिद्द होगी .इस योजना से आतंकवाद को नया जीवन ही प्राप्त होगा.
मैं इस बात की भविष्यवाणी कर सकता हूँ कि आगामी घटनायें इजरायल के आलोचकों को पूरी तरह गलत सिद्ध कर देंगी फिर भी वे इससे कोई शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे. तथ्यों से बेपरवाह वे इजरायल से अन्य क्षेत्रों से वापस होने को कहेंगे . इजरायल ने इस एक कार्य से और अधिक विध्वंसों का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.