अमेरिका में अधिकतर इस्लामिक स्कूल संस्थागत ढ़ाँचे की परिधि से बाहर जनता की नज़रों से बचकर कट्टरता की शिक्षा देने में व्यस्त हैं . जब ऐसी संस्था के विद्यार्थियों और अध्यापकों से एक रिपोर्टर ने साक्षात्कार लिया और वह भी फोटोग्राफर के साथ तो यह एक दुर्लभ अवसर था .
टाईम मैगज़ीन की मारगुरिट माईकल्स को यह अस्वभाविक सफलता तब मिली जब उन्होंने शिकागो के दक्षिण 16 मील की दूरी पर स्थित ब्रिज ब्यू इलीनोइस के युनीवर्सल स्कूल के अंदर प्रवेश किया . इस विद्यालय में कुल 630 विद्यार्थी हैं जो आरंभिक कक्षा से 12 कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करते हैं. रिपोर्टर ने अपने अनुभवों को "The model school, Islamic style" लेख के रुप में लिखा और रौबर्ट ए डेविस ने कुछ मर्म स्पर्शी चित्र खींचे .
दुर्भाग्यवश माइकल्स यूनीवर्सल स्कूल के वास्तविक स्वरुप को नहीं समझ पाईं और इसे एक उदारवादी संस्थान के रुप में चित्रित किया.जबकि उन्होंने स्वयं ही जो साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं उनके आधार पर सिद्ध होता है कि यह विद्यालय इस्लाम के कट्टरपंथी स्वरुप की शिक्षा देता है .
लैंगिक भेदभाव के कुछ उदाहरण सामने हैं – माईकल्स की रिपोर्ट के अनुसार लड़के और लड़कियों के बीच अनौपचारिक बातचीत को इस संस्थान में हतोत्साहित किया जाता है . वे आपस में घुल –मिल नहीं सकते . विपरीत लिंगियों के बीच संवाद का एक मात्र रास्ता लेखन है .
बड़ी उम्र की लड़कियों के लिए हिजाब जरुरी है ( मिडिल क्लास की लड़कियाँ हल्का नीले रंग का और हाई स्कूल की लड़कियाँ भूरे रंग का नकाब जैसा वस्त्र पहनती हैं.) और गर्दन पर नेवी यूनीफार्म की तरह टॉप पहनना जरुरी है जो कुल मिलाकर रेन कोट की तरह दिखता है . इस लेख में आठ महिलाओं के चित्र हैं जो हिजाब में ही बास्केट बॉल खेल रही है .इससे 1970 की इस्लामिक लोगों की क्रांतिकारी महिलाओं की याद जेहन में ताज़ा हो आती है जो इरान में शाह के शासन के खिलाफ उठ खड़ी हुई थी . बहुत से छात्र इस बात को महसूस करते हैं कि सिर पर स्कार्फ की इस परंपरा के साथ शेष अमेरिकी लोगों से मेलजोल रखना कितना दुष्कर है . नए भर्ती हुए छात्र गुलराना सईद ने इस बात को माना भी .
हाई स्कूल के छात्र अली फदहील जब स्कूल के वातावरण से बाहर के अमेरिका के साथ समन्वय स्थापित कर पाने की मुश्किल का बयान करते हैं तो वास्तव में उनका इशारा सेक्स की लालसा की ओर होता है. आगे चलकर इस 18 वर्षीय युवक को अमेरिका के जीवन के साथ तालमेल बैठाने में मुश्किल आएगी और फिर वह अलग- थलग पड़ कर अपने आस-पास के समाज का हिंसक तरीके से बहिष्कार करेगा.
इस रिपोर्ट के आधार पर अन्य चिंताएं अमेरिका में मुसलमानों की स्थिति को लेकर हैं. इस स्कूल बोर्ड की उपाध्यक्ष और भूतपूर्व प्राचार्या शफा जरजाउर के अनुसार 11 सितंबर से पूर्व मुसलमान अन्य आप्रवासियों की भांति थोड़े बहुत भेद भाव का सामना करता था लेकिन 11 सितंबर के बाद कोई मानने को तैयार नहीं है कि मुसलमान भी अच्छा हो सकता है . 11 सितंबर की घटना के बाद एक परिवार अमेरिका से संयुक्त अरब अमीरात चला गया क्योंकि उसे लगा कि मुसलमान के नाते कोई उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं है . इस तंग सोच से इस्लामवादियों की शिकायत का एजेंडा बढ़ता जाता है और मुसलमान अधिक विशेषाधिकार की माँग करता है .
इसी प्रकार का बयान विद्यालय के प्राचार्य फरहत सिद्दीकी का है.उनका कहना है कि हम अपने बच्चों को सिखाते हैं कि वे अमेरिकन हैं लेकिन 11 सितंबर के बाद उनके लिए सभी रास्ते बंद हो चुके हैं और इसे खोलने की कुंजी क्या है .वैसे यह बेवकूफी भरी बात है अब भी अमेरिका में मुसलमान आर्थिक सामाजिक दृष्टि से वैसा ही फल फूल रहा है जैसा वह 11 सितंबर से पहले था.
हाई स्कूल के एक वरिष्ठ छात्र के अनुसार अमेरिका मुसलमानों को एक नए शत्रु के रुप में देखता है .रयान अहमद नाम के एक छात्र का मानना है कि मुसलमान अमेरिका का बनने का प्रयास करता है लेकिन उसे नहीं पता कि यह कैसे होगा . संस्कृति पूरी तरह भिन्न है .वास्तव में अमेरिकी नागरिकों को और मुसलमानों को या गैर – मुसलमान और मुसलमान को अलग – अलग करके देखना इस्लामवादी एजेंडे का अंग है .
विदेश नीति के संबंध में भी पूर्व निर्धारित मस्तिष्क का प्रयोग भी एक चित्र प्रस्तुत करता है.Bridgeview के मेयर स्टीव लौंडेक के अनुसार विदेशी राजनीति के साथ मुसलमानों का विशेष लगाव है . मैं उनके साथ बेहतर विषयों पर बात करना चाहता हूं लेकिन वे कांग्रेस तक पहुँचने के तरीके जानना चाहते हैं ताकि अमेरिका की इजरायल नीति को बदल सकें. एक पंद्रह वर्षीय बालक से अंग्रेजी की कक्षा में उसके अमेरिकी सपने के बारे में उससे लिखने को कहा गया तो उसने लिखा कि इजरायल के नियंत्रण वाली भूमि फिलीस्तीन को सौंप दी जाए और यहूदियों को कष्ट सहने के लिए अकेला छोड़ दिया जाए.
मारगुरेट माईकल्स के लेख के अंत में मुझे दो तरफा निराशा हुई . एक तो यह कि टाईम पत्रिका की बुजुर्ग पत्रकार अमेरिका के मदरसे में अपनी आँखों से उस अलगाव , आक्रोश , सर्वोच्चता का अभिमान और एकांतिक भाव के दर्शन नहीं कर पाई जो इस्लामवादियों के स्वभाव को प्रेरित करता है . दूसरा यह मॉडल स्कूल शांतिपूर्वक और खुले आम स्नाताकों को इस आशा में शिक्षा देता है कि वे भविष्य में इस्लामिक स्टेट ऑफ अमेरिका का निर्माण कर सकें.