Globe and Mails के प्रमुख स्तंभकार मारग्रेट वेंट ने बहुत गहराई से इस बात का विश्लेषण किया है कि काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रेलेश्नस किस प्रकार उद्योग जगत की शिकायत कर उनसे मोटी रकम ऐंठता है तथा और भी संगठन ऐसा करते हैं .
वेंट ने अपने लेख में कनाडियन इम्पीरियल बैंक ऑफ कॉमर्स के वर्ल्ड मारकेटिंग विभाग के प्रमुख अर्थशास्त्री जेफरी रुबिन का मामला उठाया है . अप्रैल 2005 को अपने ग्राहकों से भविष्यवाणी करते हुए श्री रुबिन ने कहा कि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहेगी . उन्होंने कहा कि 1970 में तेल की कीमतों में अचानक दो बार आई उछाल तब हुई थी जब कुछ राजनीतिक घटनाओं ने तेल उत्पादकों को इस बात के लिए विवश किया था कि वे अपने उत्पाद पर पूरी संप्रभुता रखें और कुछ समय के लिए आपूर्ति रोक दें . इस समय भी परिस्थिति में ऐसा कोई अंतर नहीं आया है कि संतुष्ट मुल्ला और शेख अचानक पीठ दिखा दें . “संतुष्ट मुल्ला और शेख ” शब्द के प्रयोग पर सीएआईआर के कनाडियन शाखा के कार्यकारी निदेशक रियाद सलूजी ने कनाडियन बैंक ऑफ कॉमर्स से शिकायत की . उन्होंने कहा कि हमें इस बात की बहुत चिंता है कि श्री रुबिन अरब के मुसलमानों के विशेषण को बहुत हलका कर रहें हैं. हम चाहते हैं कि श्री रुबिन और कनाडियन बैंक माफी मांगे , मुसलमानों और अरब के संबंध में अधिक संवेदनशील बनें.बाद में सलूजी ने इसे और भी संक्षिप्त करते हुए कहा कि बहुत से मुसलमानों की दृष्टि में यह कथन अनुचित है. वैसे सलूजी का यह तर्क बेवकूफी भरा है जबकि सब जानते हैं कि इरान के मुल्ला और अरब के शेख तेल की कीमतों का भाव निर्धारित करते हैं लेकिन इससे कनाडियन बैंक को कुछ भी लेना देना नहीं है . उन्होंने सलूजी की मांग मानते हुए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली और जिस रुबिन के बारे में उन्होंने कहा था कि वह कनाडा के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में हैं उन्हें संस्कृति की विविधता समझने के लिए प्रशिक्षण पर भेज दिया गया .इस प्रशिक्षण के संबंध में वेंट ने अपने लेख में कुछ रोचक जानकारियां दी हैं जो कि ओटावा स्थित विविधता के विशेषज्ञ ग्रे ब्रिज माल्कम के कार्यकारी अध्यक्ष लारायन कामिस्की द्वारा दिया गया . कामिस्की ने रुबिन के लिए विशेष तौर पर पाठ्यक्रम तैयार किया और कनाडियन बैंक ने रुबिन के दो घंटे के प्रशिक्षण के लिए हजारों डॉलर दिए .
आखिर कनाडियन बैंक ने अचानक अपने कदम पीछे क्यों खींच लिए जबकि रुबिन का वाक्य आक्रामक भी नहीं था और सत्य भी था .आखिर बैंक इतने बड़े अर्थशास्त्री के साथ खड़ा क्यों नहीं हुआ. इस विषय के लिए उद्योग जगत से जुड़े कुछ और विषयों को देखना होगा जिन्होंने सीएआईआर और उसके जैसे अन्य संगठनों की मांग को एकदम पूरा कर दिया . सन् 2000 में मैंने कुछ ऐसे उद्योग समूहों की सूची तैयार की थी . (Anheusen Busch, Burger King , Double tree hotels , Los angles times , Mastercard international , Miller brewing .Segrams ) ऐसे ही समूह हैं जिन्होंने इस्लामवादियों की मांग पर अपने विज्ञापन हटा लिए .डिजनी ने अपने दो रेडियो प्रसारकों माईकल ग्राह्म और पॉल हार्वे पर अंकुश लगाया .लिजक्लेबोर्न और वेयरहाउस नाम के दो कपड़ा उद्योगों ने महिलाओं के ऐसे कपड़े बाजार से वापस ले लिए जिनमें अरबी लिपि में कुछ छपा था.तुष्टीकरण का ऐसा विचित्र मामला 1997 -98 में आया जब सीएआईआर की गलत शिकायत पर नाईक कंपनी ने अपने से ही अपनी भद्द पिटवाई.
वेंट के अनुसार उद्योग जगत की इस बढ़ती कायरता के पीछे कुछ कारण हैं . पहला इस्लामवादियों के किसी भी विरोध को रोकना ताकि छवि खराब न हो .बड़े संगठनों के लिए छवि और प्रामाणिकता इतनी आवश्यक है कि वे छोटे – छोटे स्वार्थी वर्गों की तेज़ आवाज से भयभीत हो उठते हैं .किसी भी उद्योग जगत का मुख्य कार्यकारी नहीं चाहता कि उसके शेयर होल्डर , कर्मचारी , ग्राहक और निदेशक अखबार में यह पढ़ें कि इस
उद्योग जगत का बहिष्कार लोग इसके मुस्लिम विरोधी स्वरुप के कारण कर रहे हैं.
दूसरा स्वयं को अधिक विविधता पूर्ण दिखाने के लिए अपना सकारात्मक प्रचार इस सप्ताह कनाडियन बैंक ने 19 अरब डॉलर का तीसरी तिमाही में नुकसान उठाया लेकिन उसने अपने समाचार में इसे प्रमुखता दी कि जून के महीने में उन्होंने 13वें वर्ष विविधता का सप्ताह मनाया .
तीसरा छवि से बड़ा प्रश्न कानून का है . अमेरिका में जहां कानून कड़े हैं और जूरी सख्त है वहां कंपनियों को भेदभाव के मामले में लाखों का हर्जाना चुकाना पड़ सकता है इसी कारण कामिस्की जैसे लोग कहते हैं कि अच्छा है कि आप वकील से पहले हमें बुला लें .कामिस्की यहां अपने कार्य के उचित पहलू की ओर इशारा करते हैं .वेंट ने रुबिन के साथ कामिस्की के सत्र का वर्णन दिया है – इस पूरे मामले को कामिस्की ने अपनी व्यक्तिगत फाईल में लिख लिया है ताकि भविष्य में यदि बैंक के खिलाफ कोई मामला बनता है , कोई घृणा फैलाने की कोशिश करता है या मानवाधिकार आयोग में शिकायत करता है तो उस मामले को कैसे देखा जाए.
क्या कनाडियन बैंक ने अपने कर्मचारी के साथ ठीक बर्ताव किया . क्या कनाडियन बैंक विविधता के प्रति संवेदनशील है ..ये प्रश्न अनुत्तरित हैं. वेंट अपनी बात समाप्त करते कहते हैं कि बैंक ने सबसे कम टकराव का रास्ता लिया इसने समस्या के समाधान के लिए जल्द और गलत रास्ता अपनाया .
टिप्पणियां –
केनेथ टिनरमैन ने अपनी पुस्तक शेक डाउन में दिखाया है कि जीस जैक्सन ने किस प्रकार छोटे उद्योग समूहों को धमकाने का काम शुरु किया जो बड़े उद्योग समूहों तक पहुंच गया. अमेरिका सहित पूरे पश्चिमी जगत में यह काफी प्रचलित है और अब इस्लामवादी भी यही तकनीक अपना रहे हैं. टिनरमैन ने लिखा है कि किस प्रकार जैक्सन ने शिकायत करने वाली इस तकनीक को पैसा कमाने वाले उद्योग का दर्जा दे दिया . अब सीएआईआर भी यही कर रहा है .
राजनीतिक लिहाज से उद्योग जगत के अधिकांश लोग तो परंपरावादी हैं परंतु उनका व्यवहार उन्हें उदारवादी बनाता है . व्यापारिक क्षेत्र समाज के सभी वर्गों से सकारात्मक संबंधों की होड़ में बिना यह देखे कि शिकायत करने वाले की प्रामाणिकता क्या है माफी मांग लेते हैं या अपने सामान बाज़ार से वापस कर लेते हैं इससे इस्लामवादियों को जनता की नजर में बने रहने का और पैसा कमाने का मौका मिलता है . सबसे बुरा तो यह है कि इसके लिए न तो कोई कानून है और न ही इस तरफ कोई सोच.