पश्चिमी देशों की सीमाओं से जुड़ी एजेन्सियों को अपने देशों को इस्लामवादियों की क्षति से बचाने के लिए क्या कदम उठाने
चाहिए ? गैर नागरिकों के संबंध में तो सीधा सा उत्तर है , इस्लामवादियों को देश में प्रवेश मत करने दो ..न केवल संभावित आतंकवादियों को देश से बाहर कर दो बल्कि उनको भी जो कट्टरपंथी इस्लाम के अधिनायकवाद का समर्थन करते हैं.जैसे सभ्य देशों ने 1940 में अपने यहां फासिस्टों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी और उसके एक दशक बाद कम्युनिस्टों के प्रवेश पर उसी प्रकार आज इस्लामवादियों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर देना चाहिए .
लेकिन अपने ही देश के उन नागरिकों का क्या करें जो सीमा पार जाते हैं. या तो वे तालिबान के लिए लड़ने के लिए देश छोड़ कर जाते हैं या फिर आतंकवाद की तकनीक सीखकर वापस लौटते हैं या फिर वे पश्चिम के शत्रुओं से तोड़-फोड़ और देश द्रोह की शिक्षा ग्रहण करते हैं.स्पष्ट रुप से अधिकारियों को उनकी गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी रखनी चाहिए विशेषकर तब जबकि कनाडा जैसे पश्चिमी देशों में जिहादी संस्कृति पहले ही पांव पसार चुकी है .
यह प्रश्न 2004 में दिसंबर के अंत में तब उठा जब टोरन्टो में Reviving the Islamic Spirit नाम से तीन दिवसीय इस्लामी सम्मेलन आयोजित हुआ. इस सम्मेलन में भारी भरकम इस्लामवादी वक्ताओं बिलाल फिलिप्स , जैद शाकिर , सिराजवहाज और हमजा युसुफ की उपस्थिति ने अमेरिका की नई सीमा सुरक्षा एजेन्सी U.S. customs and border protection को चौकन्ना कर दिया .
इस एजेन्सी की प्रवक्ता क्रिस्टीन क्लीमेन्स ने स्पष्ट किया कि उनकी एजेन्सी ने सूचित कर दिया था कि टोरन्टो जैसे सम्मेलनों का उपयोग आतंकवादी संगठन आतंकवादी गतिविधियों को चलाने और विशेषकर यात्रा तथा चंदा वसूली के लिए करते हैं . सुश्री क्लामेन ने यह भी जोड़ा कि उनके पास इस बात की ठोस जानकारी है कि इस प्रकार के सम्मेलनों का उपयोग न केवल फर्जी दस्तावेजों के परिवहन के लिए होता है वरन् आतंकवादियों की यात्रा के लिए भी होता है . उनके अनुसार आतंकवादियों की कल्पना है कि यदि वे समूहों में यात्रा करेंगे तो हमारी सख्ती ढीली पड़ जायेगी और हमारा ध्यान प्रक्रिया को शीघ्र समाप्त करने पर अधिक होगा. उनके स्पष्टीकरण से संकेत मिलता है कि क्यों सीमी सुरक्षा एजेन्सी ने टोरन्टो सम्मेलन से वापस लौट रहे 40 अमेरिकी नागरिकों को रोक लिया था .
इन यात्रियों ने बताया कि उन्हें सीमावर्ती क्षेत्रों के निकट बफालो और न्यूयार्क में घंटों असहज स्थिति में रुकना पड़ा .एक महिला ने बताया कि उससे पूछा गया कि उसकी तार वाली ब्रा में लगी पिन हथियार तो नहीं है . एक और सात माह की गर्भवती महिला ने बताया कि बॉर्डर एजेन्टों ने उसका ब्लाउज उठाकर देखा कि क्या वाकई वह गर्भवती है. एक तीसरे यात्री ने बताया कि जब उसने बॉर्डर सुरक्षाकर्मी से पूछा कि यदि मैं अपनी उंगली का निशान न दूं तो आप क्या करेंगे तो उसे जवाब मिला कि तुम यहां तभी तक हो जब तक ऐसा कर रहे हो.
अमेरिका की सुरक्षा एजेन्सी के मातृ संगठन होमलैंड सुरक्षा विभाग के अंतर्गत नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकारी डैनियल डब्लयू सुथरलैंड जब इस महीने बफालो में बोले तो उन्होंने दिसंबर महीने के प्रकरण की चर्चा की . सैद्धांतिक रुप में उन्होंने सीमा सुरक्षा एजेन्सी की न तो प्रशंसा की और न ही आलोचना .उन्होने केवल इतना कहा कि सुरक्षा एजेन्सी ने कार्योपरांत समीक्षा भी की थी .सुथरलैंड ने पूछताछ के लिए नागरिकों को रोकने को व्यापक संदर्भ में देखा तथा अधिकांश समय यह बताने में बिताया की मुसलमानों और उनकी एजेन्सी को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है .इस विषय में ज्यादा जानकारी न देकर उन्होंने अच्छा ही किया .
अमेरिका का कट्टरपंथी इस्लाम के साथ युद्ध अफगानिस्तान में ही नहीं वरन् बफालो , बोस्टन , बोकारोटोन और बाल्टीमोर में भी चल रहा है .अत:सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रवाह रोकना प्रमुख आवश्यकता है . कानून प्रवर्तक संस्था के नाते कस्टम बॉर्डर प्रोटेक्शन को विदेशियों तथा अपने नागरिकों को पूछताछ के लिए रोकने के निर्णय के कारण को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए अन्यथा यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा.
संभवत: इसी लिए पिछले सप्ताह अमेरिका की आत्मरक्षा की नीति के विरोधी सी.ए.आई.आर और अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने टोरन्टो से लौटने वाले पांच यात्रियों से कहा कि वे संघीय सरकार के विरुद्ध कानूनी कारवाई की मांग करें क्योंकि उन्हें गैर-कानूनी तरीके से पूछताछ के लिए रोका गया , पूछताछ की गई उनकी उंगली का निशान तथा चित्र लिया गया . दो शिकायतकर्ताओं की मांगें तो दीर्धगामी महत्व की हैं कि अदालत यह घोषित करे कि सीमा सुरक्षा एजेन्सी ने यात्रियों के अधिकारों का उल्लंघन किया है तथा इस एजेन्सी को धार्मिक सम्मेलनों से वापस आ रहे अमेरिका के मुस्लिम नागरिकों को पूछताछ के लिए रोकने , पूछताछ करने , उंगली का निशान लेने या चित्र लेने से रोक दिया जाये .यदि शिकायतकर्ता इस मामले में विजयी हुए तो आतंकवादियों और अन्य इस्लामवादियों के लिए धार्मिक सम्मेलन के बहाने बिना बाधा के अमेरिका की सीमा पार करना सबसे अच्छा तरीका बन जायेगा.ऐसे दुष्टतापूर्ण प्रभाव वाले मुकदमे को अदालत से हटा देना चाहिए.