आजकल हम पढ़ते हैं कि रविवार को प्रधानमंत्री महमूद अब्बास फिलीस्तीन के राष्ट्रपति के रुप में चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वे अराफात का उत्तराधिकार प्राप्त करेंगे . माफ करें लेकिन इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार प्रधानमंत्री का अर्थ “लोकतांत्रिक पद्धति के राज्य में सरकार की कार्यपालिका शाखा के प्रमुख से लगाया जाता है .” अब्बास का उल्लेख हजारों बार प्रधानमंत्री के रुप में आने के बाद भी इस विवरण के अनुसार एक भी गुण उनमें नहीं है . इसके अलावा यह भी कि फिलीस्तीन नाम का कोई देश नहीं है. अरब के मानचित्रों में इसे इजरायल में दिखाया गया है .संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मान्यता दे रखी है .इसी प्रकार फ्रांस की बोइगस टेलीकॉम और बेल कनाडा जैसी टेलीकॉम कंपनियों ने भी इसे देश के रुप में मान्यता दे रखी है. इसके बाद भी ऐसा कोई स्थान अस्तित्व में नहीं है .
वैसे तो कोई भी इन वाक्यों के प्रयोग को उस प्रवृति से जोड़कर देखा जा सकता है जिसने 1948 के बाद से फिलीस्तीनी अरब युद्ध के प्रयासों को कम करके आंका है . लेकिन ऐसी घटनायें फिलीस्तीनी प्रयासों को प्रश्रय देती हैं( इजरायल को नष्ट करने में ) .
एक ऐसे युग में जब सैनिकों के संघर्ष से अधिक महत्व जन मानस की धारणा का है , फिलीस्तीनी अरब ऐसे मुद्दों का निर्माण करने में सफल रहे हैं जिससे उन्हें राजनेताओं , संपादकीय लेखकों , अकादमिकों , सड़क पर प्रदर्शन करने वालों तथा गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं के बीच समर्थन मिल रहा है. कुल मिलाकर इन बाहरी प्रयासों ने फिलीस्तीनी प्रयासों को जीवित रखा है .
विशेषरुप से लंबे समय के विवाद में जमीनी सच्चाई से अधिक महत्व जन- मानस की धारणा का है . ऐसा इसलिए है क्योंकि शब्द विचारों को प्रकट करते हैं तथा विचार लोगों को प्रेरित करते हैं. हथियार तो अपने आप में निष्क्रिय हैं .ये तो विचार हैं जो लोगों को हथियार उठाने और अपने जीवन का बलिदान देने को प्रेरित करते हैं.सॉफ्टवेयर ही हार्डवेयर को चलाता है .
इजरायल की विजय एक भौगोलिक नामावली से होती है . अंग्रेजी में इस राज्य का नाम इजरायल न कि यहूदी इकाई के रुप में . इसकी राजधानी जेरुसलम है न कि अल-कद्स .इसी प्रकार टेंपल माउंट और वेस्टर्न वॉल का महत्व अल – हरम अश शरीफ तथा अल –बुराक से अधिक है . विभाजन दीवार को सुरक्षा क्षेत्र कहते हैं न कि विभाजक दीवार ( जैसा बर्लिन में है ) .दूसरी ओर फिलीस्तीनी अरब अंग्रेजी के ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो उनके लिए जन मानस में धारणा का निर्माण करते हैं.
Collaborator ( शत्रु सहयोगी ) इसका अर्थ है कि जो शत्रुओं के साथ सहयोग करता है .इससे मस्तिष्क में फ्रांस और नार्वे के शत्रु सहयोगी स्मरण हो आते हैं जिन्होंने नाजियों के लिए अपने देश के साथ धोखा किया . अब भी यह वाक्य उन फिलीस्तीनी अरब वासियों का वर्णन करता है जो इजरायल को सूचनायें उपलब्ध कराते हैं.इसके लिए मुखबिर या एजेन्ट जैसे शब्द प्रयोग नहीं किए जाते .
Refugee ( शरणार्थी ) शब्द का प्रयोग उनके लिए होता है जो अपने देश की राष्ट्रीयता से बाहर उत्पीड़न का शिकार होते हैं. लेकिन ऐसे व्यक्तियों की संतानों के लिए नहीं . फिलीस्तीनी मामले में शरणार्थियों के बच्चे , पोते और परपोते भी शरणार्थी हैसियत की बात करते हैं . एक भू जनांकिकी ने अनुमान लगाया है कि फिलीस्तीनी अरब के 95 प्रतिशत शरणार्थी कभी भी बाहर से नहीं आए इसके बाद भी यह वाक्य प्रयोग हो रहा है जिसमें अंतर्निहित है कि फिलीस्तीनी अरब वासियों को इजरायल में जाने का अधिकार है .
Settlement ( किसी बाहरी राज्य में रहना ) – किसी नए राज्य में एक छोटे समुदाय का रहना – यद्यपि यहूदी राज्य के गाजा और पश्चिमी तट में हजारों ऐसे निवासी हैं जो चार दशकों से वहां रह रहे हैं लेकिन उपनिवेशवादी दृष्टिकोण से सेटलमेंट शब्द वहां आम है .
Occupied Territory (कब्जे वाला क्षेत्र ) – इसमें अंतर्निहित है कि 1967 में फिलीस्तीनी राज्य अस्तित्व में था जब इजरायल ने गाजा और पश्चिमी तट के क्षेत्र नियंत्रण में लिए . कानूनी तौर से इन क्षेत्रों को विवादित क्षेत्र न कि कब्जे वाला क्षेत्र कहना चाहिए .
Cycle of violence ( हिंसा का चक्र ) इस शब्द का आरंभ राष्ट्रपति बुश ने किया है इसमें फिलीस्तीनी अरब आतंकवादियों और इजरायली नागरिकों की हत्या निहित है . यह आग लगाने वालों और अग्निविभाग के मध्य भ्रम उत्पन्न करता है .
The Peace camp in Israel ( इजरायल में शांति शिविर ) इस वाक्य का उत्स लेनिन से हुआ है . यह उन वामपंथियों की देन है जो मानते हैं कि शत्रु का तुष्टीकरण करके ही फिलीस्तीनी आक्रामकता को कम किया जा सकता है . दूसरे जो प्रतिरोध में विश्वास करते हैं उनके लिए वार कैम्प का प्रयोग किया जाता है . वास्तव में सभी इजरायली पीस कैंप में हैं इसका अर्थ हुआ कि ये लोग संघर्ष से पीछा छुड़ाना चाहते हैं और इनमें से कोई भी फिलीस्तीनी अरब को मारना नहीं चाहता या कैरो पर कब्जा नहीं करना चाहता तथा सीरिया को भी नष्ट नहीं करना चाहता.
अरब प्रति-व्यक्ति आय और आधुनिक शस्त्र के मामले में भले ही इजरायल से पीछे है लेकिन भाषा के युद्ध में वे काफी आगे हैं . एक शताब्दी पहले कौन सोच सकता था कि यहूदी बेहतर सैनिक तैयार करेंगे और अरब बेहतर प्रचार करने वाले.