जर्मनी के दो राज्यों के आंतरिक मंत्रियों ने अभी हाल में कट्टरपंथी इस्लाम पर रोक लगाने की दिशा में कुछ पहल की है . उनकी इस पहल ने संपूर्ण पश्चिम का ध्यान अपनी ओर खींचा है .
बाडेन उटेनबर्ग में सत्ताधारी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक युनियन पार्टी के हरीबट रेक नैसर्गिक नागरिकता प्राप्त करने का आवेदन करने वालों के लिए एक 30 सूत्रीय निष्ठा परीक्षण के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं. बाडेन उटेनबर्ग की सरकार ने मुस्लिम जीवन का गहन और अत्याधुनिक अध्ययन करने के बाद नैसर्गिक नागरिकता का आवेदन करने वालों के लिए नामावली बनाने का निर्णय लिया है जो इस बात को सुनिश्चित करेगा कि नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति जर्मनी की स्वतंत्र लोकतांत्रिक और संवैधानिक ढ़ांचे के साथ संगत हो. क्योंकि सर्वेक्षण के आधार पर पाया गया कि जर्मनी में निवास करने वाले 21प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि जर्मनी का संविधान कुरान के साथ असंगत है . पिछले वर्ष की भांति हां या नहीं के प्रश्नों के आधार पर नागरिकता प्राप्त करने का मुसलमानों का तरीका अब इतिहास बन चुका है .अब 1 जनवरी 2006 के अनुसार जिन आप्रवासी अधिकारियों को इस्लामवादी लगाव की आशंका होगी वे गहराई से छानबीन कर सकते हैं. अब व्यक्तिगत साक्षात्कार एक से दो घंटे तक चलेगा और नैसर्गिक नागरिकता के संभावित आवेदकों में से आधे के साथ होगा .
सारांश में ये प्रश्न पश्चिमी मूल्यों से जुड़े हैं . आप लोकतंत्र , राजनीतिक दल और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में क्या सोचते हैं ? आपको अगर आतंकवादी तैयारी के बारे में पता चले तो आप क्या करेंगे ? स्टुटगति में विदेशी पंजीकरण कार्यालय के निदेशक डिटर विलेर ने बताया कि 11 सितंबर 2001 के हमले के संबंध में विचार प्रमुख मुद्दा है .क्या इसके लिए यहूदी जिम्मेदार है? क्या 19 अपहरणकर्ता आतंकवादी थे या स्वंत्रता सेनानी ? अन्त में दो तिहाई प्रश्नोत्तर लैंगिक विषयों से जुड़े हैं जैसे महिलाओं के अधिकार , पति द्वारा पत्नी को मारना , आनर किलिंग (परिवार के सम्मान के लिए महिला की हत्या ) महिलाओं के लिए वस्त्र , योजनावद्ध विवाह , बहुविवाह तथा समलैंगिकता .”
आंतरिक मंत्री ने आलोचनाओं का उत्तर देते हुए मुसलमानों के साथ भेद भाव की बात से इंकार किया तथा इस बात पर जोर दिया कि यह खोजने का प्रयास किया जायेगा कि आवेदक ने जर्मनी के संविधान के संबंध में जो विचार व्यक्त किए हैं वे उसके सही विचार हैं या नहीं . जिस आवेदक ने इस परीक्षण पास करने के बाद नागरिकता प्राप्त कर ली है यदि वे कालांतर में अपने सही उत्तरों से असंगत व्यवहार करता है तो उसकी नागरिकता समाप्त कर दी जायेगी .
नागरिकता के लिए मुस्लिम आवेदकों के सामने अतिरिक्त शर्तें लगाना जर्मनी के लिए कोई अभूतपूर्व घटना नहीं है . उदाहरण के लिए आयरलैंड में पुरुष आवेदक को शपथ लेनी पड़ती है कि वह एक से अधिक स्त्री से विवाह नहीं करेगा .
इस संबंध में दूसरी पहल लोएर सैक्सोनी में हुई है जहां क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन के ही सदस्य आंतरिक मंत्री वी सुनेमान ने स्पष्ट कहा है कि वे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कट्टरपंथी इस्लामवादियों की गतिविधियों की जानकारी रखने के लिए उनके पैर में इलेक्ट्रोनिक यंत्र लगाया जाए . उनके अनुसार ऐसा करने से अधिकारियों को जर्मनी में उपस्थित लगभग 3000 हिंसा प्रिय इस्लामवादियों , नफरत फैलाने वाले इस्लामवादी इमामों और विदेशी आतंकवादी शिविरों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लड़ाकों पर नजर रखने में आसानी होगी . उनके अनुसार यह इलेक्ट्रोनिक यंत्र इस्लामवादियों के संबंध में व्यावहारिक होगा क्योंकि उन्हें प्रताड़ना के भय से उनके मूल देश नहीं भेजा जा सकता .
इस प्रकार संदिग्ध आतंकियों के लिए इलेक्ट्रोनिक यंत्र की भांति कोई अभूतपूर्व घटना नहीं है .ब्रिटेन में यह पद्धति मार्च 2005 से आरंभ की गई है और एकाएक बड़े पैमाने पर शुरु करने के बजाए इसे सफलतापूर्वक 10 संदिग्धों पर अपनाया गया है . ऑस्ट्रेलिया में पिछले माह आतंकवाद प्रतिरोध के क्रम में इस प्रकार इलेक्ट्रॉनिक यंत्र की अनुमति एक वर्ष के लिए दी गई है.
सुनेमान की योजना इन सबसे आगे जाती है . उन्होंने इस यंत्र को आगे लगाने की बात केवल संभावित आतंकवादियों के लिए नहीं की है वरन् नफरत फैलाने वाले उन लोगों के लिए भी की है जो स्वयं आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त तो नहीं होते लेकिन ऐसे विचारों का प्रचार कर कानून तोड़ते हैं , जो दूसरों को आतंकवाद के लिए प्रेरित करता है .इलेक्ट्रोनिक यंत्र के दायरे में इन्हें भी लाना नयी धारणा की शुरुआत है जिसके द्वारा हिंसा के वैचारिक मूल तक पहुंचने का प्रयास है.
इस धारणा का संभावित दूरगामी परिणाम होगा. यदि नफरत फैलाने वालों पर इलेक्ट्रॉनिक यंत्र लगाया जा सकता है तो ऐसे अन्य अहिंसक इस्लामवादियों पर क्यों नहीं जो आतंकवाद को बढाने के लिए वातावरण का निर्माण करते हैं. इसमें कार्यकर्ता , कलाकार , कम्प्यूटर गेमर्स , कोरियर , पैसा देने वाले , बुद्धिजीवी , पत्रकार , वकील , ल़ॉबिंग करने वाले संगठनकर्ता , शोध करने वाले , दुकानदार और अध्यापक शामिल हैं . संक्षेप में सुनेमाम की इस पहल से सभी इस्लामवादियों पर इलेक्टॉनिक यंत्र लगाने की परंपरा शुरु होगी .
लेकिन यह इलेक्टॉनिक यंत्र व्यक्ति के भौगोलिक स्थल को ही बताता न कि उसके वक्तव्य या कार्यकलाप को जो कि इमामों तथा अन्य अहिंसक कैडर के लिए आवश्यक है . व्यक्तिगत गोपनीयता का सम्मान करते हुए उनके भाषणों को रिकार्ड किया जाए , उनके कार्यकालप का वीडियो बनाया जाए उनके मेल तथा इलेक्टॉनिक संप्रेषण पर नजर रखी जाए . इस नियंत्रण का काम या तो चुपचाप हो या खुलकर हो . यदि ऐसा खुलकर किया जायेगा तो इसे पहनने वाला शर्मिन्दा होगा और संभावित छल करने वाले सतर्क हो जायेंगे .
सुनेमान के इस प्रस्ताव के बाद इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि इस्लामबाद और इस्लामवादियों को कामचलाऊ परिभाषित किया जाये तथा अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि किस प्रकार अहिंसक इस्लामवादी शत्रु है .
रेक और सुनेमान ने पश्चिम की रक्षा के लिए दो बहादुर नीतियां प्रस्तुत की हैं . दोनों ही मामलों यह समझ स्पष्ट है कि संस्कृति और विचार वास्तविक युद्ध भूमि है . मैं दोनों की सृजनात्मक और साहस को प्रणाम करता हूं . देखना है अगला कौन इस पहल के साथ समायोजन करता है और इसे अपनाता है .