लन्दन में एक इस्लामी विद्यालय पढ़ा रहा है कि गैर मुसलमान कुत्ते और सूअर के समतुल्य हैं और वह भी सब कुछ ब्रिटेन के करदाताओं के धन से पढ़ाया जा रहा है. अधिक सचेत करने वाली बात यह है कि जब ब्रिटेन के अधिकारियों को इसके सम्बन्ध में जानकारी दी गई तो उनके संकेत से लगा कि वे इस बारे में कुछ नहीं करना चाहते.
लन्दन के टाइम्स समाचार पत्र ने "Muslim students ‘being taught to despise unbelievers as ‘filth'," नामक रिपोर्ट में प्रकाशित किया कि शिया शिक्षण संस्थान हावजा इलीमिया में मुहक्किल अल हिली की शिक्षायें पढ़ाई जा रही हैं. यह विद्वान 1240 से 1326 तक जीवित रहे और शिया कानून (शरिया अल इस्लाम) पर अनेक आधिकारिक पुस्तकें लिखीं. काफिर के सम्बन्ध में उनकी शिक्षा थी-
किसी भी बड़े पात्र में रखा हुआ कोई पानी जिसे किसी भी पशु ने क्यों न पी लिया हो, पवित्र माना जायेगा सिवाय इसके कि उसे कुत्ता, सूअर और काफिर ने न पिया हो.
दस प्रकार की गन्दगी और अशुद्धता होती है जिनमें प्रमुख हैं- मल,मूत्र, वीर्य, शव, शव का रक्त, कुत्ता सूअर और काफिर.
जब भी किसी कुत्ते,सूअर या काफिर के कपड़े या शरीर से मुसलमान का स्पर्श हो तो मुसलमान के लिये चाहिये कि वह कुत्ता, सूअर और काफिर से स्पर्श हुये शरीर के भाग को तत्काल साफ करे.
इसके अतिरिक्त जिहाद के एक अध्याय में उन स्थितियों का विवरण है जब मुसलमानों को ईसाइयों और यहूदियों से युद्ध करना चाहिये.
यद्यपि हिली का व्यवहार पूर्व आधुनिक शिया के लिये मानक था परन्तु 2006 में लन्दन के लिये यह चौंकाने वाला है. निश्चित रूप से हावजा इलीमिया के छात्रों के लिये यह चिन्ता का कारण है. उनके प्रवक्ता ने टाइम्स को बताया कि छात्रों के समक्ष कुरान की शाब्दिक ब्याख्या आई है. यह ऐसी ब्याख्या है जिसे 80 से 90 प्रतिशत मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे. परन्तु उसे विद्यालय में पढ़ाया जा रहा है. मुस्लिम समुदाय के बहुत से लोग इससे चिन्तित हैं. प्रवक्ता ने तत्काल इस विद्यालय में तथा ब्रिटेन के अन्य विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली सामग्री की पुन: परीक्षण की माँग की.
महमूद अहमदीनेजाद की तेहरान सरकार हावजा इलीमिया की प्रायोजक है. उदाहरण के लिये पाठ्यक्रम के आठ वर्षों में से तीन वर्ष ईरान के कोम शहर के संस्थानों में अध्ययन में बिताने होते हैं. सच तो यह है कि 1996 का विद्यालय स्थापना ज्ञापन स्पष्ट घोषणा करता है, “ न्यासियों में से कम से कम एक सदैव ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरू का प्रतिनिधि होना चाहिये”.
इस विद्यालय को आर्थिक सहायता देने वाला इरशाद ट्रस्ट चैरिटी आयोग द्वारा पंजीकृत धर्मादा संगठन है. इस संगठन को कर की छूट के अनेक विशेषाधिकार प्राप्त हैं. दूसरे शब्दों में ब्रिटेन के करदाता प्रभावी रूप से इस विद्यालय को सब्सिडी दे रहे हैं. विशेष रूप से इस विद्यालय को Gift Aid नामक कार्यक्रम का लाभ मिलता है जिसके अन्तर्गत दानदाताओं को सरकार कर में कुछ छूट देती है. पंजीकृत धर्मादाओं को अनुग्रह देने वाला सरकार से कर में 28 प्रतिशत की धन वापसी का दावा कर सकता है. उदाहरण के लिये इरशाद ट्रस्ट को 100 पाउण्ड पर 120 पाउण्ड मिलेगा.
मेरे एक संवाददाता ने टाइम्स में लेख पढ़ने के तत्काल बाद धर्मादा आयोग को शिकायत कर इरशाद ट्रस्ट के बारे में कुछ कदम उठाने को कहा. उसे तत्काल उत्तर मिला.
विषय - गैर मुसलमान अशुद्ध हैं.
द्वारा - मोनाघन स्मिथ ट्रेसी
दिनाँक - 20 अप्रैल, 2006, गुरूवारप्रिय------
आपके ई-मेल के लिये धन्यवाद, उसका विषय लिख लिया गया है. यद्यपि पुस्तिका सी.सी 47 के अनुसार आयोग इस विशेष मामले में संलग्न नहीं होगा. आप इस पुस्तिका को विस्तार से देख सकते हैं जो इस सम्बन्ध में हमारी भूमिका को स्पष्ट करती है. आयोग इस शिकायत विशेष में नहीं पड़ेगा. आशा है आपको स्थिति स्पष्ट हो गई होगी.
भवदीय
श्रीमती ट्रेसी मोनाघन स्मिथ
धर्मादा आयोग
धर्मादा के विरूद्ध शिकायत के शीर्षक वाली पुस्तिका सी.सी.47 में आयोग की नियमावली का दिशा निर्देश है. प्रमुख वाक्यांश है, “ विनियामक के तौर पर आयोग शिकायत को तब लेगा जब धर्मादा के दुरूपयोग का विशेष खतरा हो, इसकी प्रतिष्ठा ,सम्पत्ति या लाभार्थियों को खतरा हो , जहाँ हस्तक्षेप के अधिकार का प्रयोग उनकी सुरक्षा के लिये आवश्यक हो और जहाँ कोई मामला प्रतिक्रिया सापेक्ष हो” श्रीमती ट्रसी मोनाघन और उनके उच्चाधिकारियों का निष्कर्ष है कि हावजा इलीमिया विशेष खतरा नहीं है.
टिप्पणियाँ-
1 - विडम्बना है कि जब हावजा इलीमिया के कुछ मुस्लिम विद्यार्थियों को इस संस्थान की शिक्षायें चिन्ता योग्य हैं तो धर्मादा आयोग के अधिकारियों को यह खतरा उत्पन्न करती क्यों नहीं प्रतीत होती.
2 - हावजा इलीमिया की निर्बाध कट्टरता पश्चिम के इस्लामी विद्यालयों में यहूदी और ईसाइयो के प्रति घृणा और आतंकवाद के साथ सम्पर्क की व्यापक परिपाटी का हिस्सा है. मैंने इस परिपाटी को क्या पढ़ा रहे हैं इस्लामिक स्कूल और Troubles at Islamic Schools in the West में संकलित किया है.
3-कोई कल्पना ही कर सकता है कि हावजा इलीमिया अपने विद्यार्थियों के सहायता निवेदन से विचलित हुये बिना, इसके क्रिया कलाप के खुलासे से निश्चिन्त ,संसद में उठाये गये प्रश्नों की परवाह किये बिना कर में 28 प्रतिशत की छूट का लाभ उठाते हुये अपने रास्ते पर चलता रहेगा. तो क्या शत्रु हमारे बीच में ही निर्मित है.