आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध में अमेरिका की ओर से पहली विजय रोनाल्ड रीगन ने अपने राष्ट्रपति काल के पहले दिन 20 जून 1981 को प्राप्त की थी. वह विजय थी जब राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ईरान के इस्लामी गणतन्त्र ने अमेरिका 52 बन्धकों को मुक्त कर दिया था. जिमी कार्टर की विनम्रता के 444 दिनों बाद तेहरान के शासकों ने सोचा कि नये राष्ट्रपति का सामना करने से पहले अमेरिकी दूतावास पर हो रहे इस नाटक को समाप्त कर दिया जाये.
कुछ पृष्ठभूमि के साथ आरम्भ करें-अयातोल्लाह रूहोल्लाह खोमैनी ने फरवरी 1979 में ईरान के शाह को अपदस्थ कर पहली आधुनिक इस्लामवादी राज्य की स्थापना फासीवाद और कम्युनिज्म की तर्ज पर आधारित परन्तु इस्लामी कानून या शरीयत लागू करने के उद्देश्य से की थी.
कालान्तर में अफगानिस्तान में सत्ता स्थापित करने वाले तालिबान की भाँति खोमैनीवादियों ने भी दावा किया कि उनके पास जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर है. उन्होंने इस आशय से अधिनायकवादी स्थापित की कि घरेलू स्तर पर ईरानी जीवन के प्रत्येक आयाम पर नियन्त्रण स्थापित कर वे विदेशों में क्रान्ति फैला सकेंगे.
अन्य कट्टरपंथियों के साथ खोमैनी ने भी अमेरिका को अपने कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा के रूप में देखा. बाद के तालिबान नेताओं की भाँति उन्होंने अमेरिका के व्यक्तियों पर आक्रमण किया. उन्होंने ईरान की धरती पर सहजता से बस चुके अमेरिकियों को निशाना बनाया न कि वाशिंगटन और न्यूयार्क पर आक्रमण कर स्वयं को मुसीबत में डाला.
4 नवम्बर 1979 को खोमैनी के परोक्ष निर्देश पर भीड़ ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास की घेरेबन्दी कर ली. इस घटना से इस्लामवादियों का आत्मविश्वास बढ़ गया और समस्त विश्व में अमेरिका के विरूद्ध मुसलमानों के आक्रोश का प्रतीक बन गया. यह गुस्सा आक्रामक स्वरूप में परिवर्तित हो गया जब खोमैनी ने अनुपयुक्त तरीके से घोषित किया कि 20 नवम्बर को मक्का की महान मस्जिद पर नियन्त्रण का कार्य इस्लाम के पवित्र स्थानों पर अमेरिका नीत हमले का अंग है. (वास्तव में यह कार्य बिन लादेन जैसे उन्मादियों के गुट का कार्य था)
इसके बाद अमेरिका विरोधी भीड़ ने उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में आक्रमण किये. हिंसा का वीभत्स स्वरूप लीबिया और पाकिस्तान में देखने को मिला जब पाकिस्तान में अमेरिका के विरूद्ध इस्लाम के युद्ध में पहली मौत का समाचार आया.
प्रतिक्रिया में जिमी कार्टर ने बिल क्लिंटन और जान केरी की भाँति हिचकिचाहटपूर्ण दृढ़ता दिखाई. वह कूटनीतिक जानकारी में उलझ गये और सिद्धान्त तथा उद्देश्य से भटक गये. उदाहरण के लिये उन्होंने खण्ड-खण्ड में अमेरिकी दूतावास पर कब्जे की घटना पर प्रतिक्रिया की और आशा व्यक्त की कि वे ईरानी नेताओं को समझाने में सफल हो जायेंगे कि उनके देश को असली खतरा उत्तर में सोवियत यूनियन से है. उन्होंने तकनीकी अन्दाज में कूटनीतिक प्रयासों पर प्रतिक्रया की कि अगला कदम उठाने की जिम्मेदारी ईरानियों पर है . उन्होंने 1980 के अन्त में कहा “मुझे लगता है कि बिना अधिक देर किये मुद्दे को सुलझा लेना हमारे और उनके दोनों के हित में होगा. मुझे लगता है कि हमारा उत्तर पर्याप्त है. मेरा विश्वास है कि ईरानी प्रस्ताव मतभेद को मिटाने का आधार है.”
इसके विपरीत नव निर्वाचित राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने साहसी कदम उठाया. उन्होंने ईरानी बन्धनकर्ताओं को अपराधी और अपरणकर्ता बताया और उन्होंने राजनेताओं को भी अपहरणकर्ता कहा. यदि ईरानी अपने अपमान को समझ सकें तो रीगन ने व्यंग्य किया कि “मुझे खुशी है कि सत्ता ग्रहण करने के लिये ईरानी मेरी प्रतीक्षा नहीं कर रहे हैं.”
रीगन और उनके सहयोगियों ने भी धमकी भरा लहजा अपनाया. “ हम बन्धकों को घर लाने के लिये कुछ भी करेंगे ”. उनके संक्रमणकालीन प्रमुख एडविन मीस तृतीय ने और भी स्पष्ट रूप से कहा , “ ईरान के लोगों को तैयार रहना चाहिये कि यह देश हर सम्भव कदम उठायेगा और यह उनके हित में होगा कि वे बन्धकों को वापस कर दें”
रीगन के कठोर शब्दों और उनकी कठोर छवि से अमेरिका की कट्टरपंथी इस्लाम पर दुर्लभ विजय हुई. यहाँ तक कि कार्टर के प्रशासन के अधिकारी ने रीगन की कठोरता के मुकाबले अपने स्वामी की भूल को स्वीकार करते हुये आक्रोश भरे स्वर में स्वीकार किया कि यदि कार्टर पुन: निर्वाचित होते तो हम बन्धकों को वापस न ला पाते.
दुर्भाग्यवश कट्टरपंथी इस्लाम के सम्बन्ध में रीगन का बाद का रिकार्ड उतना प्रभावी नहीं रहा है. इनमें 1983 में बेरूत से वापसी और 1985-86 में तेहरान को शस्त्र का अन्तरण विशेष उल्लेखनीय हैं.
रीगन के राष्ट्रपतित्व के आरम्भ से 5 जून को उनकी मृत्यु तक उनकी उपलब्धियाँ याद आती हैं. वे इस युग में तेजी से फैल रही आतंकवाद की समस्या से लड़े और उनका साहसी और देशभक्त कदम केवल सोवियत यूनियन से ही लड़ने में ही नहीं वरन् उसके उत्तराधिकारी अधिनायकवादी आन्दोलन कट्टरपंथी इस्लाम के विरूद्ध भी सफल रहा.