जैसे-जैसे ईरानी शासन स्पष्ट रूप से इजरायल को नष्ट करने तथा परमाणु अप्रसार नियमों को प्रत्यक्ष रूप से तोड़ने की बात करते हुये बढ़ रहा है, पश्चिम के समक्ष दो अनचाही सम्भावनायें हैं.
पहला तेहरान को मनाने का प्रयास और इस प्रयास के सफल होने की आशा करना. सम्भवत: सन्तुलन से भयभीत करने की यह नीति सफल होगी और परमाणु अस्त्र प्रयोग न करने की छह दशक पुरानी आत्मानुशासन की नीति जारी रहेगी. सम्भवत: ईरानी नेतृत्व अपना मसीहाई स्वरूप त्याग देगा. सम्भवत: दूसरा कोई भी देश पालन करने का आश्वासन देकर नियम तोड़ने के ईरान के निर्णय को नहीं दुहरायेगा.
इस स्थिति में ‘आशा’ और ‘ सम्भवत:’ यही दो मुख्य शब्द हैं जो रणनीतिक योजना को प्रार्थना से स्थानापन्न करते हैं. यदि नरम शब्दों में कहें तो सामान्य तौर पर महाशक्तियों के काम करने का यह तरीका नहीं है.
दूसरी सम्भावना यह है कि अमेरिकी सरकार अपने कुछ सहयोगियों के साथ ईरानी क्षेत्रों को नष्ट कर तेहरान की परमाणु आकांक्षा को समाप्त कर दे या फिर विलम्बित कर दे. सैन्य विश्लेषक मानते हैं कि अमेरिकी वायु शक्ति अच्छे खुफिया तन्त्र और विशेष अध्यादेशों के सहारे कुछ ही दिनों में क्षति पहुंचाकर हारमुज जलडमरू को बचाने में भी सक्षम है.
परन्तु आक्रमण का दो प्रकार से बुरा परिणाम होगा –एक तो मुस्लिम जनमत और दूसरा तेल बाजार. अनेक संकेतों से स्पष्ट है कि वायु हमले से इस समय अलग-थलग पड़ी ईरानी जनसंख्या सरकार के साथ खड़ी हो जायेगी. वैश्विक स्तर पर इन हमलों के बाद अमेरिका के प्रति मुसलमानों की शत्रुता को और बल मिलेगा जिससे कट्टरपंथी इस्लाम का समर्थन और सभ्यताओं का विभाजन बढ़ेगा. समाचारों से संकेत मिलता है कि तेहरान अनेक आतंकवादी गुटों को आर्थिक सहायता पहुँचा रहा है ताकि अमेरिका के सैन्य ठिकानों, दूतावासों और आर्थिक प्रतिष्ठानों पर हमले कराये जा सकें साथ ही ईराक के विरूद्ध हमले और तेज किये जा सकें तथा इजरायल पर भी राकेट दागे जा सकें.
यद्यपि पश्चिमी सैन्य बल इन चुनौतियों से निबट लेंगे परन्तु वायु हमले से ईरानी और उनके समर्थक बाजार से तेल और ऊर्जा हटा देंगे, ऊर्जा के आधारभूत ढ़ाँचों पर आतंकवादी हमले करेंगे तथा गृहयुद्द की स्थिति उत्पन्न कर देंगे जिससे 1970 की भाँति ऊर्जा आधारित आर्थिक मन्दी की स्थिति उत्पन्न होगी.
इन दो असुखद विकल्पों के बीच मैं एरीजोना के रिपब्लिकन जान मैकेन के साथ निष्कर्ष निकालता हूँ कि अमेरिका द्वारा सैन्य विकल्प को अपनाने से अधिक बुरा होगा परमाणु अस्त्र सम्पन्न ईरान.
परन्तु क्या कोई तीसरा स्वीकार्य विकल्प भी है ? इसकी खोज मेरे जैसे सभी विश्लेषकों का उद्देश्य है जो इस विषय को स्पर्श करते हैं.
तीसरे विकल्प के लिये निश्चय ही ऐसी कार्यपद्धति की आवश्यकता है कि ईरानी शासन को अपनी आणविक क्षमता को विकसित करने और इसका सैन्यीकरण करने से रोकने के लिये समझाया जा सके. क्या ऐसा कोई प्रतिरोधी भय अस्तित्व में है.
हाँ और इसके सफल होने की सम्भावना भी है. सौभाग्यवश ईरान आत्यन्तिक रूप से अधिनायकवादी नहीं है जहाँ सभी महत्वपूर्ण निर्णय एक ही व्यक्ति द्वारा लिये जाते हैं, वरन् अनेक विकेन्द्रित शक्ति केन्द्र हैं जहाँ अनेक विषयों पर बहस होती है.
राजनीतिक नेतृत्व भी स्वयं विभाजित है और अनेक महत्वपूर्ण घटक वायु हमला नहीं तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने को लेकर आशंकित हैं. धार्मिक, सैन्य और विशेष रूप से आर्थिक घटक इस जल्दबाजी को लेकर सशंकित हैं.
जब स्वयं ईरान किसी परमाणु खतरे का सामना नहीं कर रहा है तो संघर्ष टालने का ईरानियों का अभियान सफल होगा. परमाणु सम्पन्न होना ईराक का स्वयं का निर्णय है जिसे वह रद्द भी कर सकता है. तार्किक तौर पर परमाणु विहीन रहने से ईरानी सुरक्षा को लाभ होगा.
परमाणु सम्पन्नता का विरोध करने वाली शक्तियों को सूत्रबद्ध और प्रेरित करने की आवश्यकता है जो बाहरी दबाव से ही सम्भव होगा. यदि यूरोप, रूस, चीन और मध्यपूर्व सहित अन्य शक्तियाँ वाशिंगटन के साथ ऐसा करें तो इससे ईरान में सक्रिय विरोधी पक्ष को सक्रिय किया जा सकेगा.
निश्चय ही परमाणु सम्पन्न ईरान को लेकर अपने-अपने भय हैं जो कि ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसी सम्भावित परमाणु शक्तियों के लिये बुरा उदाहरण प्रस्तुत करेगा.
जैसा कि संयुक्त राष्ट्र में हम देख रहे हैं यह अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग सफल नहीं है. सुरक्षा परिषद में ईरान के मुद्दे की धारा के लोग और एक ईरानी अधिकारी का संयुक्त राष्ट्र के असैन्यीकरण आयोग के लिये निर्वाचन हुआ है(जिसका उद्देश्य परमाणु असैन्यीकरण का उद्देश्य प्राप्त करना है).
तेहरान को भयभीत करने के लिये इसके रणनीतिक उपांगों पर लगातार बाहरी दबाव बनाकर रखना होगा. विडम्बनापूर्वक इसमें अन्तर्निहित है कि जो शक्तियाँ अमेरिका के वायु हमले के विरूद्ध हैं वाशिंगटन के साथ एकजुट होकर ईरानियों को सहमत करने का प्रयास करें कि अन्तर्राष्ट्रीय सहमति का उल्लंघन करने के कितने भयावह परिणाम होंगे.
ऐसे कदमों की सफलता की कोई गारण्टी नहीं है परन्तु भयानक खतरों को बचाने का यही वास्तविक कदम है.