जुलाई 2005 में लन्दन परिवहन विस्फोटों के बाद मुस्लिम जनमानस को समझने के लिये एक वर्ष में से कम से कम आठ सर्वेक्षण हुये. 2004 के दो सर्वेक्षणों को यदि इसमें जोड़ दिया जाये तो लन्दनिस्तान के 20 लाख मुसलमानों के विचारों को गहराई से जानने का अवसर प्राप्त होता है. लन्दन के पुलिस कमिश्नर सर इयान ब्लेयर के इस कथन के बाद कि आतंकवाद का खतरा काफी गम्भीर है क्योंकि ब्रिटेन के लोग और भी घटनाओं की योजना बना रहे हैं, मुसलमानों का शत्रु भाव और भी सतर्क करने वाला है.
7 जुलाई के हमले- प्रत्येक 20 ब्रिटिश मुसलमानों में से एक मुसलमान ने पिछले वर्ष हुये हमले के प्रति खुला समर्थन व्यक्त किया है. सर्वेक्षणों को तोड़ कर देखें तो इनके अनुसार 2 से 6 प्रतिशत मुस्लिमों ने हमले को मान्यता दी है. 4 प्रतिशत लोगों ने इसकी निन्दा करने से इन्कार किया, 5 प्रतिशत के अनुसार ऐसे हमले कुरान के अनुसार न्यायसंगत हैं और 6 प्रतिशत इस विचार के थे कि आत्मघाती हमलावर इस्लाम के सिद्धान्तों के अनुरूप कार्य कर रहे थे.
इन हमलों को मान्यता दिये बिना बड़ी संख्या में लोग हमलावरों को बेहतर ढंग से समझते हैं. 13 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि 7 जुलाई के आत्मघाती हमलावरों को ‘शहीद’ की संज्ञा दी जानी चाहिये, 16 प्रतिशत मानते हैं कि हमला तो उचित नहीं था परन्तु हमले का कारण ठीक था, जबकि 20 प्रतिशत लोग हमलावरों की भावना और उनके आशय से सहानुभूति रखते हैं. कुल मिलाकर 56 प्रतिशत मुसलमान अत्यन्त उत्साहपूर्वक देख सकते हैं कि कुछ लोग ऐसा आचरण क्यों कर रहे हैं.
पुलिस की सहायता- विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार 5 प्रतिशत से 14 प्रतिशत और 10 प्रतिशत तक की परिधि में चिन्तित कर देने वाली मुसलमानों की संख्या है जो साथी मुसलमान पर आतंकवादी हमला करने की योजना बनाने का सन्देह होने पर भी पुलिस को इसकी सूचना नहीं देंगे.
हिंसा को स्वीकृति- 7 जुलाई से पूर्व 11 प्रतिशत लोग राजनीतिक उद्देश्य के लिये धार्मिक या राजनीतिक गुटों द्वारा हिंसा को स्वीकार करते थे , परन्तु हमले के बाद ऐसा मानने वालों की संख्या केवल 4 प्रतिशत रह गई. दो जनमत सर्वेक्षणों ने 7 प्रतिशत मुसलमानों का आंकड़ा प्रस्तुत किया जो ब्रिटेन के नागरिकों पर आत्मघाती हमलों को उचित ठहराते हैं( 18 से 24 वर्ष के 12 प्रतिशत नवयुवक ऐसे हमले करना चाहते है). ब्रिटेन की सेना पर आत्मघाती हमलों की स्थिति के सम्बन्ध में 16 से 21 प्रतिशत तक लोग इस पर
सकारात्मक उत्तर देते हैं और उनमें भी 18 से 24 वर्ष के नवयुवकों का प्रतिशत 28
प्रतिशत है. क्या उत्तर देने वाले स्वयं उनकी दृष्टि वाले अनैतिक और ह्रासोन्मुख पश्चिमी समाज को समाप्त करने के लिये हिंसा का सहारा लेना चाहते हैं तो एक प्रतिशत या 16,000 लोग इस पक्ष में हैं.
मुसलमान या ब्रिटिश –जनमत सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि बहुसंख्यक मुसलमान अपनी ब्रिटिश और मुसलमान पहचान में संघर्ष अनुभव करते हैं.
दो सर्वेक्षणों के अनुसार बहुत छोटे अनुपात में 7 से 14 प्रतिशत तक के लोग स्वयं को ब्रिटिश मानते हैं, लेकिन स्वयं को पहले धर्म के रुप में पहचानने वालों का अनुपात पहले 81 और 46 प्रतिशत है .
इस्लामी कानून को लागू करना –बड़ी मात्रा मे मुसलमान मानते हैं कि ब्रिटेन में शरियत का शासन होना चाहिए. 40 प्रतिशत लोगों की धारणा है कि मुसलमान बाहुल क्षेत्रों में शरियत लागू किया जाना चाहिए और 61 प्रतिशत मानते हैं कि मुसलमानों के मध्य दीवानी मामलों का निस्तारण शरियत ्दालतों द्वारा किया जाना चाहिए.जनमत सर्वेक्षम में भाग लेने वाले 18 प्रतिशत मानते हैं कि इस्लाम की आलोचना करने या उसका अपमान करने वालों के विरुद्ध आपारधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए . 55 प्रतिशत विद्यालयों में छात्राओं को हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के विरुद्ध हैं और 88 प्रतिशत लोगों का इस बात पर जोर है कि विद्यालयों और कार्यस्थलों को मुसलमानों के प्रार्थना समय के साथ समायोजन बिठाना चाहिए .
ब्रिटेन में आत्मासातीकरण – ब्रिटेन में आत्मसातीकरण के संबंध में एक स्पष्ट चित्र दिखाई पड़ता है . 65प्रतिशत लोगों का कहना है कि ब्रिटेन की संस्कृति के साथ आत्मसात होने के लिए मुसलमानों को और प्रयास करने की आवश्यकता है जबकि 36 प्रतिशत लोग इस विचार के हैं कि आधुनिक ब्रिटिश मूल्य इस्लामी जीवन शैली के लिए खतरा हैं . 72 प्रतिशत लोग मुसलमानों की ब्रिटेन में निष्ठा में टकराव मानते हैं . जो लोग पश्चिमी सभ्यता की निंदा करते हैं और मानते हैं कि मुसलमानों को इसे समाप्त कर देना चाहिए उनमें से 32 प्रतिशत लोग इसके लिए अहिंसा के पक्षधर हैं और 7 प्रतिशत इसके लिए हिंसा को उचित मानते हैं .
यहूदियों के प्रति व्यवहार – जनमत सर्वेक्षण से इस बात की पुष्टि होती है कि मुस्लिम विश्व में व्याप्त सेमेंटिक विरोधी भाव ने ब्रिटेन में भी अपने सिर उठाने आरंभ कर दिए हैं . जनमत सर्वेक्षण में भाग लेने वालों में आधे मुसलमान मानते हैं कि ब्रिटेन की विदेश नीति पर यहूदियों का काफी प्रभाव है और वे अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के साथ मिलकर प्रेस और राजनीति को नियंत्रित करते हैं . 37 प्रतिशत मानते हैं कि मध्यपूर्व में न्याय के लिए हो रहे संघर्ष में ब्रिटेन के यहूदी उपयुक्त निशाना हैं और 16 प्रतिशत इजरायल में आत्मघाती हमलों को उचित मानते हैं . 18 से 24 वर्ष के नवयुवकों के मध्य यह प्रतिशत 21 प्रतिशत है .
संक्षेप में आधे से अधिक ब्रिटिश मुसलमान इस्लामी कानून चाहते हैं और 5 प्रतिशत लोग इस उद्देश्य के लिए हिंसा को उचित ठहराते हैं . इन परिणामों से स्पष्ट है कि ब्रिटेन के संभावित आतंकवादी विकासशील समुदाय में ही निवास कर रहे हैं .