हिन्दी अनुवाद - अमिताभ त्रिपाठी
मध्य मई में मोरक्को में आत्मघाती हमलावरों द्वारा 29 लोगों के हत्या के पश्चात देश के आन्तरिक मन्त्री ने कहा कि प्राय: पाँच लगातार हुए हमलों में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद की छाप है। ’’ इससे भी सख्त तरीके से मोरक्को के न्याय मंत्री ने जोर देकर कहा कि इसमें अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद का सम्बन्ध है तथा प्रधानमंत्री ने हिंसा में विदेशी हाथ के बारे में बात की ।
पश्चिम के लोग स्रोत के सम्बन्ध में भी स्पष्ट थे। सीनेटर राबर्ड बायर्ड ने घोषणा की कि अलकायदा बदले की भावना के साथ लौटा है, इस सम्बन्ध में उनेहोंने कुछ दिनों पूर्व सउदी अरब में हुए आक्रमण का संन्दर्भ लिया बी बी सी सहित अनेक लोग इस बात से सहमत थे कि अलकायदा अपनी भगदड़ के साथ लौट आया है।
परन्तु जब मुस्लिम जाँच हुई तो कैसाब्लान्का के 14 आत्मघाती हमलावरों में से भी सभी और उनके सहयोगी भी मोरक्को राष्ट्रीयता के थे। स्थानीय गुट असीरत अल मुस्तकीम और सलाफिया जिहादिया ने इन कार्यों को अन्जाम दिया था जैसा कि न्यूजवीक ने सारांश निकाला “मोरक्को आतंकवादियों को आर्थिक सहायता अलकायदा से प्राप्त हुई थी परन्तु इसका विकास और कहीं से हुआ था।
यह घटना संकेत करती है कि किस प्रकार विशेषकर अलकायदा सहित अन्तर्राष्ट्रीय नेटवर्क पर ध्यान देकर स्थानीय गुटों की उपेक्षा की जाती है। विधिक अभिलेखों के माध्यम से हमें अलकायदा को जानने का अवसर प्राप्त हुआ है, जो अनेक घटनाओं में इसकी सीमित भूमिका की ओर संकेत करता है। दो मामलों की सूचनाओं पर ध्यान दें –
पूर्वी अफ्रीका दूतावास – कीनिया और तन्जानिया के अमेरिकी दूतावासों में 1990 में बम से हमले का षड़यन्त्र रचने वाले इस्लामवादियों के 2001 में न्यूयार्क में परीक्षण में जब चार इस्लामवादियों को दण्डित किया गया तो साक्ष्यों के आधार पर स्पष्ट हुआ कि अलकायदा ने इस्लामिक जिहाद, अलगामा के अल इस्लामियाँ के लिए छतरी संगठन की भूमिका निर्वाह की थी जब कि इसमें प्रत्येक संगठन का अपना भर्ती और कार्य विधि का अपना तरीका था। उनके नेता समय – समय पर अफगानिस्तान में मिलते रहे और कार्यों का संयोजन अल – कायदा के माध्यम से किया इस परीक्षण की पाण्डलिपि से दिखाई पड़ता है कि किस प्रकार यह नेटवर्क अपने किसी भाग की क्षति से बच जाता है। फिर वह अफगानिस्तान मुख्यालय क्यों न हो ?
जिब्रालटर जलडमरू में युद्ध जहाज – जिब्राल्टर में अमेरिका और ब्रिटेन के युद्ध जहाजों पर आत्मघाती हमलों की योजना में तीन सउदी इस्लामवादियों को 2002 में मोरक्को में दण्डित किये जाने से अलकायदा की आन्तरिक कार्य विधि का विवरण मिलता है। लन्दन के आब्जर्वर के जैसन बर्क ने रिपोर्ट दी कि किस प्रकार गुट के नेता जुहेर हिलाल मोहम्मद अल तबीती ने 1999 में अफगानिस्तान की यात्रा की और शहादत मिशन के लिए अल-कायदा से आर्थिक सहायता माँगी परन्तु उसे झाड़ पिलाई गई और आर्थिक सहायता प्राप्त करने से पूर्व एक योजना विकसित कर लाने को कहा गया। जब तबीती मोरक्को गया और उसने आत्मघाती हमलावरों की भर्ती की और फिर स्पष्ट योजना के साथ अफगानिस्तान आया। इस बार सन्तुष्ट होने पर अल-कायदा ने उसे आर्थिक सहायता प्रदान की।
दिसम्बर 2001 में तालिबान शासन के समाप्त होने के पश्चात अलकायदा ने अपने अपने अधिकतम प्रशिक्षण सम्प्रेपण और आर्थिक सहायता गँवा दी। जब तक गठबन्धन सेनाओं ने उत्तरी इराक को अपने नियन्त्रण में नहीं कर लिया कुछ अलकायदा सदस्य वहाँ चले गये अन्य ईरान में सक्रिय रहे। अन्य स्थानों पर इसका सुरक्षित आधार नहीं है और इसी आधार पर अनेक पर्यवेक्षकों का निष्कर्ष है कि यह अब प्रभावी ढ़ंग से कार्य नहीं कर पाता, एक अमेरिकी खुफिया विभाग के सदस्य ने इसे घायल जानवर की संज्ञा दी है। आब्जर्बर के बर्क इससे भी आगे जाकर मानते हैं सर्वत्र कैडर और क्षमता के रूप में कल्पित एक परम्परागत आतंकवादी गुट के के रूप में अलकायदा अब अस्तित्व में नहीं है ’’।
पीछे मुड़कर देखें तो अल-कायदा की भूमिका दो भागों में वभाजित हो गई है। कुछ आक्रमण (सोमालिया ,पूर्वी अफ्रीका दूतावास, यू.एस.एस कोल, 11 सितम्बर 2001 और सम्भवत: रियाद बम विस्फोट) इसने स्वयं किये जबकि ऊर्जा प्रतिबद्धता और आत्म बलिदान के लिए दूसरों पर निर्भर रहा। अधिकांश अपरेशनों में (मिलेनियन षड़यन्त्र जिब्राल्टर जल्डमरू लन्दन और अभी हाल का कैसाब्लान्का बम विस्फोट) अलकायदा ने कुछ निर्देश दिया,आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण दिया परन्तु इसे अन्जाम देने का कार्य औरों पर छोड़ दिया। न्यूजवीक की रंगीन शब्दावली में “ यह समद्री डाकुओं के महासंघ के रूप में कार्य करता रहा न कि स्टालिनवादी ऊपर से नीचे क्रम में ’’। अन्ततोगत्वा जो चिन्ता है वह अलकायदा को लेकर नहीं है परन्तु विश्व स्तर पर उग्रवादी इस्लामी विचारधारा की है जो अलकायदा के निर्माण से पहले की है और वह स्थान – स्थान पर संगठित है और निरन्तर नई भर्ती होती जा रही है, यहाँ तक की सीरिया के संकीर्ण राष्ट्रपति बशर अल असद भी इसे समझते हैं “ हम सभी चीजों के लिए अलकायदा को दोषी ठहराते हैं, परन्तु जो घटित हो रहा है वह बिन लादेन और अल-कायदा से अधिक खतरनाक हैं – मुद्दा विचारधारा का है यह मुद्दा संगठनों का नहीं है ’’। यह जानते हुए कि हिंसा के नये कृत्यों को अन्जाम देने के लिए बिन लादेन की उपस्थिति आवश्यक नहीं है उन्होंने कहा, यह महत्वहीन है कि ओसामा मारा जाता है या बचता है ’’ उन्होंने स्वयं से कहा “ जागने का समय आरम्भ हो गया है ’’ बर्क ने प्रस्तावित किया है कि एक सुगठित सोपानबद्ध संगठन के स्थान पर अलकायदा आकार विहीन आन्दोलन बन चुका। जब कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेन्सियों इस लचीली बात को समझ सकेंगी तो वे कहीं बेहतर ढ़ंग से उग्रवादी इस्लामी आतंकवादी से लड़ सकेंगी।