जिस महीने से राष्ट्रपति बुश ने मुझे अमेरिका शान्ति संस्थान बोर्ड में नामित किया है उसकी पुष्टि के बाद मैंने विनम्रता का आचरण किया है। इसके उपरान्त अपने विरोधियों द्वारा कुछ भी कहे जाने के उपरान्त भी मैंने मौन साधा।
पाँच महीनों तक मैं शान्तिपूर्वक सीनेटर एडवर्ड कैनेडी जैसे लोगों के प्रश्नों को सुनता रहा कि मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो शान्ति लाने और मतभेद कम करने के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हूँ और वाशिंगटन पोस्ट के सम्पादकीय ने मेरी आलोचना अन्य हथियारों के अतिरिक्त इस रूप में की कि मैं सांस्कृतिक पुलों का विध्वंसक हूँ।
सौभाग्यवश कुछ लोगों ने मेरी ओर से प्रतिवाद किया उदाहरण के लिये सीनेटर चक स्कूमर तथा लास एंजिल्स टाइम्स दोनों ने मेरे नाम की संस्तुति की। पिछले शुक्रवार को जब राष्ट्रपति बुश ने अपनी संवैधानिक शक्ति का प्रयोग करते हुये मेरे सहित आठ अन्य लोगों की नियुक्ति की तो महीनों तक शान्त रहने के उपरान्त मुझे बोलने का अवसर मिला। वर्तमान कांग्रेस के सत्र के अन्त तक अर्थात जनवरी 2005 तक हमें कार्य करने का अवसर मिलेगा। परन्तु आरोपों ने मुझे दुखी किया। मैंने अपने जीवन का दो-तिहाई भाग मध्य-पूर्व के अध्ययन में व्यतीत किया है, अरबी भाषा सीखी, मुस्लिम देशों की यात्रा की , कैरो में तीन वर्ष तक रहा, हार्वर्ड में इस क्षेत्र के पाठ्यक्रम पढ़ाये तथा राज्य और सुरक्षा विभाग में इस विशेषज्ञता लोगों को दिलाई।
संक्षेप में मेरा कैरियर पूरी तरह मतभेद कम करने और शान्ति लाने को समर्पित रहा। तो कोई कैसे मुझे इस्लाम के प्रति शत्रुवत भाव रखने वाला कह सकता है। मेरी दृष्टि में ऐसा दो कारणों से है।
तथ्यों का तोड़ा-मरोड़ा जाना- मेरे राजनीतिक विरोधी, इस्लामवादी, फिलीस्तीनी राज्य क्षेत्रवादी और घोर वामपंथी मेरे रिकार्ड में जहाँ-तहाँ से चीजें चुनकर बड़ी बहादुरी से चुने हुये उद्धरणों का उपयोग मेरी छवि खराब करने के लिये करते हैं। 1990 के मेरे एक निम्नलिखित लेख को देखा जा सकता है। यद्यपि मैंने मुस्लिम खतरे के विचार को दिया और स्वीकार किया कि पश्चिमी यूरोप (अमेरिका के विपरीत) को मुस्लिम आप्रवासियों से समस्या आ सकती है, क्योंकि यूरोपीय “ भूरी चमड़ी वालों के भारी आप्रवास के लिये तैयार नहीं है जो विचित्र भोजन बनाते हैं और उनकी गन्दगी का स्तर भी भिन्न प्रकार का है।”
सन्दर्भ से परे यह मुसलमानों के प्रति शत्रुता का भाव प्रदर्शित करता है, परन्तु मेरे विरोधियों ने ‘भूरी चमड़ी वाले लोगों’ ‘विचित्र भोजन वाले ’ उद्धरण तत्कालीन यूरोपीय दृष्टिकोण का है यह नहीं समझा और उसे मेरा भाव मान लिया। उन्होंने इसकी व्याख्या करते समय इस तथ्य की अवहेलना की।
दो बाद वाले परस्पर वाक्यों को उद्धृत न करना- “ पश्चिमी यूरोप की ओर से मुसलमानों का अभियान एक पीड़ादायक परन्तु संभव चुनौती प्रस्तुत करता है, फिर भी इस बात का कोई कारण नहीं है कि इसे दो सभ्यताओं के मध्य विनाशकारी टकराव की ओर बढ़ने वाला माना जाये। यदि इस मामले को ठीक ढ़ंग से देखा जाये तो आप्रवासी अपने मेजबान समाज में नई ऊर्जा के साथ काफी उपयोगी हो सकते हैं। ” तथ्यों को इस प्रकार तोड़-मरोड़कर ही आलोचक अपना मामला बनाते हैं।
भ्रम- अत्यन्त कठिनाई से मैंने इस्लाम धर्म और उग्रवादी इस्लाम के मध्य विभाजन रेखा खींची है। उग्रवादी इस्लाम समस्या है और नरमपंथी इस्लाम समाधान यह लगभग मेरा मन्त्र बन गया है। परन्तु ये बहुत जटिल विचार हैं। इसके परिणामस्वरूप मेरे बैरी उग्रवादी इस्लाम के प्रति मेरे विचार को इस्लाम के प्रति मेरी शत्रुता समझ बैठते हैं।
उदाहरण के लिये पिछले शनिवार को फिलाडेल्फिया इन्क्वायरर ने प्रथम पृष्ठ पर एक समाचार मेरी नियुक्ति के सम्बन्ध में छापा गया जिसमें मुझे कहते हुये उद्धृत किया गया “बिना हिंसा के संघर्ष लक्ष्य है। अपने सभी सहयोगियों के साथ हमारे मतभेद हैं परन्तु उनमें से किसी के विरूद्ध शक्ति प्रयोग की सम्भावना नहीं है और इसी लक्ष्य की हम सबको आशा है। परन्तु आज हम ऐसी स्थिति में स्वयं को इराक और अफगानिस्तान में नहीं पा रहे हैं। हम सदैव अहिंसक मार्ग पर अवलम्बित नहीं रह सकते। ” मेरे तर्क को नहीं समझते हुये शीर्षक के लेखक ने इस विश्लेषण की ब्याख्या इस रूप में की “ पाइप्स का कहना है कि मुसलमानों के साथ युद्ध आवश्यकता है”। वास्तव में इसे इस प्रकार होना चाहिये था “पाइप्स का कहना है कि उग्रवादी इस्लाम के विरूद्ध युद्ध की आवश्यकता है”। मैं इस विभाजन में विश्वास करता हूँ क्योंकि आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध के मूल में यह है और गैर विशेषज्ञों को तत्काल प्रभाव से इसे स्पष्ट किये जाने की आवश्यकता है। मेरी दृष्टि में इसका सबसे प्रभावी तरीका इस्लामवादी अधिनायकवाद से पीड़ित मुसलमानों की आवाज को बल देना है।
इस विषय में सोचें तो ऐसा लगता है कि अमेरिका शान्ति संस्थान ऐसी गतिविधियों को लेकर चल रहा है जिसमें उसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय संघर्षों का प्रबन्धन, शान्तिपूर्ण समाधान और उन्हें रोकने को आगे बढ़ाना है। इस प्रकल्प की इस योजना के चलते ही अमेरिका शान्ति संस्थान में मैंने सेवा करने का निश्चय किया है।