कुछ दिनों पहले कर्बला के पवित्र शहर में तीर्थ यात्रा के कर्मकाण्ड के दौरान हजारों शियाओं ने नारे लगाये ‘अमेरिका को ना, सद्दाम को ना और इस्लाम को हाँ ’’। इस भावना का समर्थन करने वाले इराकियों की संख्या बढ़ रही है। इसका गठबन्धन सेना पर बड़ा प्रभाव होने वाला है।
मुक्ति के लिए कृतज्ञता का जीवन काफी सीमित होता है और इराक इसका अपवाद नहीं है। एक मध्य आयु के फैक्ट्री प्रबन्धक ने इसे यूँ रखा, “अमेरिकावासियों को धन्यवाद, परन्तु हम अब और किसी को यहाँ रूकने देना नहीं चाहते ’’।
सद्दाम के शासन की यन्त्रणा से मुक्त होकर इराकी कितने ही प्रसन्न क्यों न हों, वे मानसिक रूप से षड़यन्त्रकारी सिंद्धान्तों के विश्व में जी रहे हैं और इस कारण बहुत से लोगों ने गठबन्धन के आशय के लिए सन्देह पाल रखा है।
‘इस्लाम को हाँ ’’ वास्तव में ईरानी पद्धति के उग्रवादी इस्लाम को हाँ है। उस असफल पद्धति को इराक पर लागू करना विनाशकारी होगा जो कि खोमैनी के उस सन्देह को पुनर्जीवित करेगा जो कि ईरान में लगभग अपनी अपील खो चुका है।
यह स्थिति गठबन्धन सेना को दुविधा में डालती है। सद्दाम हुसैन के शासन के संहारक के नाते उनका उद्देश्य देश का पुनर्निर्माण है और इसका अर्थ है उसके आस-पास टिके रहना। देश के उद्धारक के रूप में उन्हें इराकी इच्छाओं का उत्तर देना होगा जिसका अर्थ है वहाँ से जल्दी निकलना।
ऐसे में क्या किया जाये ? यदि गठबन्धन सेनायें इराक को खतरनाक स्थिति में छोड़ देती है तो अराजकता और कट्टरता इसका परिणाम होगा। बहुत समय तक रूकने में उन्हें साम्राज्यवाद विरोधी तोड़फोड़ और आतंकवाद का विरोध झेलना होगा। यदि चुनाव तीव्र गति से कराये जाते हैं तो समभवत: खोमैनी मुल्ला विजयी होंगे। देश को आक्रमणकारी सेना के अधीन रखा जायेगा तो इन्तिफादा उत्पन्न होगा।
अमेरिका और ब्रिटेन को चक्र सही दिशा में रखना होगा कि रास्ते से हटते हुए देश ठीक ढंग से रहे और ईरानियों के हाथ में जाये बिना लोकतन्त्र भी लाना होगा मैं इस सम्बन्ध मैं दो सुझाव प्रस्तुत करता हूँ –
दीर्घकालिक योजना का निर्माण – एक पूर्ण लोकतन्त्र ( अर्थात् जहाँ सरकार के मुखिया को नियमित आधार पर मतदान की प्रक्रिया से हटाना) आने में लमय लगता है। 1215 में मैग्नाकार्टा से 1832 में सुधार अधिनियम तक इंग्लैण्ड में छह शताब्दी लगे। अमेरिका को एक शताब्दी लगी। आज चीजें गतिशील हुई हैं परन्तु सम्पूर्ण लोकतन्त्र में अभी भी बीस या उससे अधिक वर्ष लगने वाले हैं। यह समय सारणी दक्षिण कोरिया, चिली,पोलैन्ड, और तुर्की में रही है।
धीरे-धीरे संक्रमण की योजना – तीस वर्षों के भूमिगत कारावास से निकलने के बाद कोई जनसंख्या सम्पूर्ण लोकतन्त्र के सभी विकल्पों के साथ एकरस नहीं हो सकतता वरन् उसे अनेक कदमों में प्राप्त करना चाहिए. लोकतान्त्रिक मस्तिष्क के अधिनायकवादी देश को सम्पूर्ण लोकतन्त्र के लिए दिशा दे सकते हैं बनिस्तबत जल्दबाजी में चुनाव के।
इसलिए मैं कुछ भय के साथ यह शब्द कहता हूँ कि इराक को लोकतान्त्रिक मस्तिष्क वाले एक शक्तिशाली व्यक्ति की आवश्यकता है। यह एक विरोधाभास लग सकता है परन्तु यह अन्यत्र हो चुका है । उदाहरण के लिए तुर्की में अतातुर्क और ताइवान में चियांग काई शेक। निश्चित रूप से यह प्रत्येक अमेरिकन के मानस के विपरीत है परन्तु यह निरस्त करने का कोई कारण नहीं है।
लोकतन्त्र एक सीखने वाली आदत है न कि भाव। एक सभ्य समाज की आधारभूत संरचना जैसे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, आवागमन की स्वतन्त्रता, एकत्र होने की स्वतन्त्रता, विधि का शासन, अल्पसंख्यक का अधिकार और निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना होनी चाहिए फिर चुनाव कराये जाने चाहिए। व्यवहार के धरातल पर भी कुछ परिवर्तन होने चाहिए – सहिष्णुता की संस्कृति, मूल्यों की समानता, विरोधी विचारों के लिए सम्मान और नागरिक दायित्यों का बोध।
इराक में इन संस्थाओं और विचारों के विकसित होने में समय लगेगा। इस बीच में चुनावों का आरम्भ स्थानीय आधार पर होना चाहिए। प्रेस स्वतन्त्रता की ओर बढ़े, राजनीतिक दलों का विकास हो, संसद की प्रभुता आये। शिया लोग लोकतान्त्रिक विचारों का विकास कर सकतें हैं और वह खोमैनीवाद से प्रभावित हुए बिना ।
एक शक्तिशाली व्यक्ति अति महत्वपूर्ण भूमिका को कौन भरेगा ? इसके लिए उपयुक्त प्रत्याशी राजनीतिक रूप से नरमपंथी परन्तु क्रियान्वयन में सख्त ऐसा महत्वाकांक्षी हो इराक को लोकतन्त्र की ओर अच्छे पड़ोसी सम्बन्धों के साथ ले जाने का इच्छुक हो।
जहाँ तक गठबन्धन सेनाओं का सम्बन्ध है जो ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति को स्थापित करने के उपरान्त अपनी प्रत्यक्ष भूमिका को धीरे-धीरे कम करें तथा जनसंख्या केन्द्रों से परे सैन्य बेस में चलें जायें। इन स्थानों से वे नयी सरकार के सैन्य सहयोगी के रूप में शान्ति सेवा कर सकते हैं, इससे आत्यन्तिक सुरक्षा की गारण्टी हो जायेगी और वे सम्पूर्ण क्षेत्र पर रचनात्मक प्रभाव स्थापित कर सकेंगे।
इस पहुँच से साम्राज्यवाद विरोधी निश्चित विरोध की सम्भावना कम होती है, ईरानियों द्वारा इराक को उपनिवेश बनाने की सम्भावना भी। परन्तु सम्भावना की खिड़की तेजी से बन्द हो रही है, जब तक गठबन्धन शीघ्र ही शक्तिशाली व्यक्ति की नियुक्ति नहीं करता तब तक यह अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता ।