विद्यार्थी समाचार पत्र ने लिखा है कि “ यह एक शान्त गुरूवार की रात थी , जहाँ समीह हमूदेह को चतुर्ध कक्षा में अरबी भाषा सांय 6 बजे पढ़ानी थी। दो छात्रों ने जिन्होंने उसकी गिरफ्तारी का समाचार नहीं सुना था वे आये और उनके लिए हमूदेह के स्थानापन्न की व्यवस्था की गई। ’’
हमूदेह ने पिछले सप्ताह अरबी की अपनी कक्षा थोड़ी सी असुविधा के चलते छोड़ी। उसे हत्या का षड़यन्त्र और रैकेट में भाग लेने का आरोपी बनाया गया।
वास्तव में वह उन आठ लोगों में से है जिन्हें अमेरिका फ्लोरिडा की जिला अदालत ने फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद नामक एक विदेशी आतंकवादी संगठन को सामग्री की सहायता पहुँचाने का आरोपी बनाया गया है।
यह चौंकाने वाली बात है कि उन आठ में से तीन मध्य – पूर्व और इस्लामी विषयों के अकादमिक विशेषज्ञ हैं। उनकी गिरफ्तारी से पता चलता है कि किस स्तर पर मध्य – पूर्व अध्ययन का क्षेत्र इस क्षेत्र में कट्टरता बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है (और प्रतिवादी कम्प्यूटर इन्जीनियरिंग पढ़ाता है मेडिकल क्लीनिक चलाता है एक छोटा-मोटा व्यवसाय चलाता है और एक मस्जिद में इमाम हैं)
मध्य-पूर्व विषय के तीनों अध्यापकों की प्रतिष्ठा है।
रमादान अब्दुल्ला शालाह – 45 वर्षीय शालाह का जन्म गाजा पट्टी में हुआ । उसने संयुक्त राज्य ब्रिटेन में डरहम विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डाक्टरेट की उपाधि ली। वह 199 में थम्पा फ्ला में आया दक्षिण फ्लोरिडा में मध्य – पूर्व विषयों का अध्यापन किया और 1922-25 के मध्य U S F के साथ जुड़े रहे मध्य-पूर्व विषय के विचार – समूह वर्ल्ड इन्टरप्राइज का नेतृत्व किया। 1995 में उसने US F छोड़ दिया और एक वर्ष उपरान्त दमिश्क गया जहाँ वह फिलीस्तीनी इस्लामिक जेहाद का महामन्त्री है।
बशीर मुसा मोहम्मद नफी – 50 वर्षीय नफी मिस्र में जन्मा । नफी के पास पी-एच. डी की दो उपाधियाँ हैं और WISE में शोधकर्ता भी रहा । 1996 में वीजा उल्लंघन के कारण उसे वापस भेज दिया गया और वह इंग्लैंण्ड वापस लौट गया जहाँ आक्सफोर्डशायर में आयरिश नागरिक के रूप में रहा। उसने लन्दन के दो संस्थानों में कार्य भी किया व्रिकवेक कालेज ऑफ द युनिवर्सिटी ऑफ लन्दन ( इस्लाम में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे ) तथा मुस्लिम कालेज ( इस्लामी इतिहास में राज्य और समाज )
न की इन्स्टीट्यूट ऑफ कन्टेम्पररी इस्लामिक थाट से जुड़ा रहा (2000 में जिसने उसका विश्लेषण प्रकाशित किया) वर्जीनिया स्थित मिडिल ईस्ट अफेयर्स जर्नल के लिए उसने लिखा और 199 में अरबी में उसकी एक पुस्तक – The Rise and Decline of the Arab-Islamic Reform Movement सामने आयी ( उग्रवादी इस्लामी जर्नल के लिए लिखते हुए उसने अहमद सादिक नामक छद्म नाम का प्रयोग किया )
समीह हमूदेह – 42 वर्षीय समीह का जन्म पश्चिमी तट में हुआ और 1992 में अमेरिका पहुँचने से पूर्व उसने अरब स्टडीज सोसायटी इन जेरूसलम में काम किया 1995 में उसने USFमें अध्यापन कार्य आरम्भ किया। अपनी गिरफ्तारी के समय वह तम्पा क्षेत्र में रहता था और USF अरबी पढ़ाते हुए उस विश्वविद्यालय से धार्मिक अध्ययन में मास्टर्स डिग्री के लिए कार्य कर रहा था।
तीनों ही आरोपी आतंकवादी अकादमिक बातचीत करने और लगभग सभी बेवकूफ बनाने में सफल रहे। 1993 में WISE के निदेशक की हैसियत से उसने संगठन के दीर्घगामी लक्ष्य को घोषित किया “ पुनरूत्थानवादी इस्लामी रूझान को समझने में सहयोग देना जिसे गलत ढंग से अमेरिकी अकादमिक खेमे और पश्चिम में ‘कट्टरपंथी के रूप में कहा जाता है ’’
उत्तरी अमेरिका के इस्लाम के विशेषज्ञ अनेक लोगों ने लगभग यही बात लिखी है।
तीनों ही उपयुक्त विद्वानों की श्रेणी में थे। मिस्र के इस्लाम की विशेषज्ञ कैरी विकहम जो कि एमोटी विश्वविद्यालय से हैं ने कहा “ वास्तव में शालाह कौन है यह जानने पर मैं धोखे में आ गयी ’’और उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया की उसके जैसा गम्भीर विद्वान साथी भी आतंकवादी हो सकता है।
यहाँ तक आरोपी बनाये जाने के बाद भी USF की मध्य-पूर्व अध्ययन समिति के उपाध्यक्ष आर्थर लावरी ने अच्छे विद्वतकार्य के लिए शालाह की प्रशंसा की। बर्कबेक के इस्लामी अध्ययन के निदेशक ग्वेन ग्रीफिथ डिक्सन ने नफी को अत्यन्त सम्माननीय बताया और “धार्मिक विषयों में नाजुक विषयों के चिन्तन को ऊर्जा और प्रतिवद्धता से प्रोत्साहित करने तथा छात्रों में अकादमिक सन्तुलन रखते हुए सामाजिक दायित्वों को प्रेरित करने में उनके प्रयास की सरहना की ’’
उन तीनों आरोपी आतंकवादी ने बिना किसी सन्देह के उपयुक्त मध्य-पूर्व विषय के विद्वान माने जाने से एक अकादमिक विभाग के संकट की ओर संकेत जाता है। इस अकादमिक क्षेत्र की आलोचना पहले भी बौद्धिक आतंकवादियों को शरण देने के लिए हो चुकी है ऐसे बौद्धिक जो अपनी अतिवादिता, असहिष्णुता और बेइमानी के लिए जाने जाते हैं। अब हमें ज्ञात हो रहा है कि वे वास्तविक चीजों को संरक्षण दे रहे हैं।
निष्कर्ष – इस क्षेत्र का बारीकी से परीक्षण किया जाये और विशेषकर यू .एस. कांग्रेस द्वारा जो कि मध्य-पूर्व विषय के अध्ययन के लिए पर्याप्त सब्सिडी उपलब्ध कराती है।