गैर मुसलमान समय – समय पर कुरान, इस्लाम और मुसलमानों पर प्रतिबन्ध की बात उठाते रहते हैं। उदाहरण के लिए इस महीने हालैन्ड के एक राजनेता गीर्ट वाइल्डर्स ने कुरान पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग की ( उन्होंने इसकी तुलना हिटलर के मीन कैम्फ से की ) साथ ही आस्ट्रेलिया के दो राजनेताओं पाउलिन हैन्सन और पालग्रीन ने मुस्लिम आप्रवास पर स्वैच्छिक प्रतिबन्ध की माँग की ।
ऐसे हमलों का क्या कारण है ?
प्रथम कुछ इतिहास। आरम्भिक दौर से कुछ उदाहरण अस्तित्वमान है जब असहिष्णु ईसाई सरकारों ने मुसलमानों को धर्मान्तरण के लिए बाध्य किया ( विशेष रूप से सोलहवीं शताब्दी में स्पेन में ) तथा अन्य लोगों ने कठोर ढंग से धर्मान्तरण को प्रोत्साहित किया विशेष रूप से कुलीन वर्ग का ( रूस में सोलहवीं- सत्रहवीं शताब्दी में ) यद्यपि आधुनिक समय में अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतन्त्रता एक मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित हुआ है परन्तु कुरान, इस्लाम और मुसलमानों पर प्रतिबन्ध लगाने सम्बन्धी असहिष्णुता के प्रयासों के विरूद्ध अभियान स्पष्ट रूप से असफल रहे हैं।
शायद कुरान को प्रतिबन्धित कराने का सबसे सामयिक प्रयास 1984-85 में एक हिन्दू गुट द्वारा हुआ जिसने बहस की कि इस्लामी धर्मशास्त्र में ‘अनेक बातें बारम्बार कही गई हैं जो कि धर्म के आधार पर अशान्ति , शत्रुता का भाव , घृणा और विभिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य विद्वेष फैलाती हैं तथा लोगों को लोक शान्ति भंग कर हिंसा के लिए प्रेरित करती है ’’।
‘ कलकत्ता कुरान पेटीशन ’ के माध्यम से न्यायालय में गये इस मामले में हिंसा भड़की और बांग्लादेश में अनेक लोग मौत के घाट उतर गये। इस वाद ने नई दिल्ली को सतर्क कर दिया कि भारत के महाधिवक्ता ने याचिका का विरोध करने के लिए न्यायालय में प्रस्तुत होने का निर्णय किया और कोई आश्चर्य नहीं कि याचिका निरस्त कर दी गई।
इस आरम्भिक याचिका ने आपत्तिजनक कुरान की आयातों को एकत्र करने का मानक एक ढंग से निर्धारित कर दिया। और प्रयत्न लफ्फाजी अधिक और प्रायोगिक कम रहे । इनमें सबसे महत्वपूर्ण प्रयास हालैन्ड में मुस्लिम आप्रवास समाप्त कराने का पिम फार्ल्यून का रहा। यदि 2002 में उनकी हत्या नहीं हो जाती तो वे इस मुद्दे के सहारे प्रधानमन्त्री बन जाते ।
इटली के उत्तरी लीग के समन्वयक राबर्टो काल्डेरोली ने लिखा “जब तक इस्लामवादी अपने छद्म राजनीतिक और धार्मिक सिद्धान्त को हिंसा की प्रशंसा करता तथा अन्य धर्मों और संस्कृतियों का दमन करता है उसे छोड़ देते तब तक इस्लाम को अवैध करार दिया जाना चाहिए ’’।
ब्रिटिश सांसद बोरिस जानसन ने 2005 में संकेत किया कि “नस्ली और धार्मिक घृणा बिल पारित करने का अर्थ होना चाहिए कि सार्वजनिक या व्यक्तिगत रूप से कुरान की कुछ आयातों को पढ़ना अपने आप ही वर्जित हो ’’। उनके इस निष्कर्ष से एक प्रतिनिधिमण्डल गृह मन्त्रालय से मिलने को प्रेरित हुआ कि ऐसा आश्वासन दिया जाये कि ऐसा प्रतिबन्ध नहीं लगाया जायेगा (उन्हें ऐसा आश्वासन मिला)
2006 में इन्स्टीट्यूट फार द स्टडी एण्ड क्रिश्चिएनिटी के पैट्रिक सुखदेव ने कुरान के एक अनुवाद The Noble Koran a new rendering of its meaning in English को प्रतिबन्धित करने को कहा क्योंकि “इसमें काफिरों की हत्या और उनके विरूद्ध युद्ध की रणनीति बताई गई है ”।
पश्चिम के अन्य देशों में भी छोटे – मोटे प्रयास देखे गये हैं 2004 में नार्वे की क्रिश्चिटिएनसैण्ड पार्टी ने इस्लाम पर प्रतिबन्ध की माँग की , 2006 में जर्मनी में कुरान पर प्रतिबन्ध की उठी और उनका तर्क था कि यह जर्मनी संविधान के असंगत है। 2007 में डेनमार्क “ इस्लामीकरण रोको ’’ का माँग की गई और सभी मस्जिदों तथा कुरान के कुछ भाग पर प्रतिबन्ध की बात की गई क्योंकि उसे असंवैधानिक बताया गया। आस्ट्रेलिया में 2004 में कहा गया “ कुरान अनेक स्थानों पर ईसाई सिद्धातों के विपरीत है और ईशनिन्दा कानून के अन्तर्गत यह अवैधानिक है ’’।
अन्य स्थलों पर व्यक्तिगत लेखकों ने भी अनेक स्थानों पर ऐसी ही मांग उठाई है। स्विटजरलैण्ड के एलेन दीन मेरेट दो भाग की रणनीति के पक्षधर हैं एक लोकप्रिय और दूसरा कानूनी और उनका लक्ष्य एक ही है “ स्विटजरलैण्ड में सभी इस्लामी प्रकल्पों का पूरा होना असम्भव हो जाये ’’।
फ्रान्स में एक गुमनाम लेखक ने लिबर्टी वोक्स के वेबसाइट पर इस्लाम को प्रतिबन्धित करने की इच्छा जताई और ऐसा ही अमेरिका में वार्नर ह्यूस्टन ने । 2006 में वी फार वेन्डेटा फिल्म में चित्रित किया गया कि भविष्य में इंगलैण्ड में कुरान पर प्रतिबन्ध होगा।
मेरी बारी ? मै भी सुरक्षा के आधार पर कुरान, मुसलमानों और इस्लाम को बाहर करने की बात समझता हूँ परन्तु ये प्रयास अत्यन्त विस्तृत हैं जो कि प्रेरणादायक वाक्यांशों से आपत्तिजनक वाक्यांशों , सुधारवादियों से कट्टरपंथियों तथा मित्र और शत्रु तक विस्तृत हैं। इसके अलावा सकारात्मक परिवर्तन के पहलू की भी अवहेलना करते हैं।
अधिक प्रयोगिक और लक्ष्यपूर्ण होगा कुरान की इस्लामवादी व्याख्या को प्रतिबन्धित कर जिहाद और शरियत के खतरे को कम किया जाये और साथ ही इस्लामवाद और इस्लामवादियों का भी। उदाहरण मौजूद हैं। एक सउदी प्रायोजित कुरान को पुस्तकालयों से हटा दिया गया। प्रचारकों को कुरान की व्याख्या के कारण जेल जाना पड़ा। इस्लाम के अतिवादी संस्करण को आपराधिक सजा हुई है। संगठन अवैध घोषित हुए हैं। राजनेताओं ने इस्लामवादियों से देश छोड़ने को कहा है।
शत्रु इस्लाम नहीं इस्लामवाद है। नरमपंथी इस्लाम को सहन करिये परन्तु इसके कट्टरपंथी पक्ष को नष्ट करिये ।