साप्ताहिक अरब वाइस जो 1993 से मेन स्ट्रीट पीटरसन प्रकाशित हो रहा है, वैसे तो किसी भी अन्य अमेरिकी भाषाई प्रकाशन की तरह ही है। परन्तु इसके समाचार वाले पन्ने सदैव फिलीस्तीनियों की तकलीफों और इराक के साथ संभावित युद्ध की खबरों से भरे रहते हैं। इसके एक सम्मानित स्तंभकार है जेम्स जोग्बी, जो अरब – अमेरिकन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष है। इसके प्रकाशक बालिर रहीब अपने आपको अमेरिका फिलीस्तीनी लेखक संघ का एक सक्रिय सदस्य भर मानते हैं। इसके पन्ने सदैव अरबों द्वारा संचालित रेस्टोरेन्टस , ट्रैवल एजेन्सियो , खुदरा दुकानों और डाक्टरों के कार्यालयों के प्रचार से भरे होते हैं ।
इस तरह बिल्कुल सीधा – सपाट अखबार दिखता है। पर कतई में ऐसा है नहीं ।
पिछले कुछ सप्ताहो से अरब वाइस “द प्रोटोकाल्स ऑफ द एन्डरसन ऑफ जियांन ” धारावाहिक का प्रकाशन कर रहा है (परन्तु – खुले तौर पर यह इसकी वेबसाइट www.arabvoice.com पर नहीं है) और “द प्रोटोकोल्स ) कोई साधारण पुस्तक नहीं है।
यह 1997 में स्विटजरलैंड में हुई पहली यहूदी कांग्रेस का एक गुप्त संकलन है जो एक तात्कालिक जार के गुप्तचर द्वारा एकत्र किया गया था और सर्वप्रथम 1903 में सेंट पीटर्सवर्ग में प्रकाशित किया गया था । इस बैठक में यहूदी नेताओं ने, तथाकथित तौर पर , संप्रभुता को पूरे विश्व भर में फैलाने की योजनाओं पर चर्चा की थी। द प्रोटोकाल्स में वे दंभ भरे बयान भी शामिल हैं जिससे वे “ अपराजेय ’’ होने का दावा करते हैं और एक ऐसी “ महान शासकीय प्रकाशन ” बनाने की योजना है जो सभी राष्ट्रो को पराभूत कर सकती है।
वास्तव में “ द प्रोटोकाल्स ” जार की गुप्तचर पुलिस , ओखराना द्वारा की गई एक जालसाजी मात्र है। इस छद्म – दस्तावेज की महत्ता शुरू के बीस साल में काफी कम थी परन्तु प्रथम विश्व युद्ध और रूसी क्रांति के बाद इसकी ग्राह्यता इस रूप में बढ़ी इसे पूरी दुनियाँ पर राज करने के एक यहूदी षड़यन्त्र की रूप में प्रचलित किया गया ।
जैसे ही सन् 1920 में “ द प्रोटोकाल्स ” के जर्मन अनुवाद का प्रकाशन हुआ यह जर्मनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब बन गई। जर्मनी के भुतपूर्व राजसी घराने ने इसके प्रकाशन का खर्च वहन किया और कैसर विलियम द्वितीय ने अपने रात्रिभोज के आगंतुको के बीच इसका सस्वर पाठ कराया। इसका दूसरी भाषाओं में अनुवाद भी जल्दी ही आ गया। हेनरी फोर्ड ने इस किताब का अनुमोदन किया और द लंदनन टाइम्स भी उनके साथ ही था।
हालांकि इस किताब का जाली स्वरूप सन् 1921 तक साबित हो गया, इसने इसके पहुँच और ललक को थोड़ा मंदा कर दिया । महाशय फोर्ड और लंदन टाइम्स दोनों ने अपने अनमोदन वापस ले लिए। परन्तु फिर भी यह शक्तिशाली ताकत बनी रही। 1926 में किए गये एक अध्ययन के अनुसार “ आधुनिक साहित्य का कोई भी प्रकाशन द प्रोटोकाल्स की प्रसार संख्या के आसपास भी नहीं था।
द प्रोटोकाल्स की ऐतिहासिक महत्ता इस बात से है कि यह सेमेटिक विरोधी विचारधारा को अपने परंपरागत के घेरे से बाहर निकल सारी दुनिया में एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय पाठक वर्ग में पहुंचाने में मदद करता है। इसकी अस्पष्टता – लगभग सभी नाम , तिथियां और मुद्दे अवर्णित है- इसकी सफलता में एक कारक ही है। इसके यहूदी लेखकों द्वारा लिखा जाना (तथाकथित तौर पर) इस पुस्तक को ज्यादा “ विश्वसनीय ’’ बनाता है।
अंतर्विरोधों के खुले उपयोग ने – यहूदियों ने कथित तौर पर सभी उपलब्ध साधनो जो कि पूंजीवाद, साम्यवाद, फिलिओं – सेमेटिज्म – एंटी सेमेटिज्म , लोकतंत्र तानाशाही आदि का इस्तेमाल किया – ने द प्रोटोकाल्स को अपने विचारों की अमीर और गरीब , दक्षिण पंथी और वामपंथी , ईसाइयों और मुसलमानों , अमेरिकिओं और जापानियों सभी तक पहुँचने में मदद की।
धुर दक्षिणी विचारधारा पर इसकी पकड़ इस बात से साबित होती है कि एल्डोफ हिटलर ने न सिर्फ इस पुस्तक का अनमोदन किया बल्कि इसे अपनी नाजी यहूदी – विरोधी विचारधारा का मुख्य आधार भी बनाया और इसे लगभग 60 लाख यहुदियो के वध को को सही साबित करने में भी यह हिटलर एक महत्वपूर्ण तर्क था। इतिहासकार नार्मन फोहन के शब्दों में “ द प्रोटोकाल्स ने नाजियो के लिए, ” नरसंहार के वारंट का काम किया।
तब से इस एक जालसाजी ने लगातार – जहाँ भी यह प्रकट हुआ है – सार्वनिक जीवन को दुखित किया है। जैसा कि इटालियन उपन्यासकार उम्बेर्टो इको कहते है,” यह एक एक षड़यन्त्र है जो से दूसरे तक खुद भी पहुँचता रहता है। ”
यह सिलसिला लगातार जारी है। इसी सप्ताह मिश्र में एक टेलिविजन चैनल ने 41 भागो में “नाइट विदाऊट का डार्स ’’नाम से विशेष तौर पर रमजान के लिए एक श्रंखला शुरू की है। यह भी “ द प्रोटोकाल्स ” की जालसाजी को एक नये और विस्तृत दर्शक वर्ग तक पहुँचायेगा और एंटी – सेमेटिको का एक नया धड़ा तैयार हो जाएगा। यह तथ्य कि एक ऐसी जालसाजी जिसने एक भयावह जनसंहार को जन्म दिया हो न्यू जर्सी से खुले तौर पर प्रकाशित हो रही है, दो महत्वपूर्ण असलियतों का जन्म देता है।
अरबों और मुस्लिमों का अमेरिकी सार्वजनिक जीवन अभी भी उसी तरह कट्टरता से भरा है जैसा कि यह 9 – 11 की घटना से पहले था।
अरब और मुस्लिम संगठन अब एंटी – सेमेटिज्म की विचारधारा के प्रमुख प्रवक्ता है , न सिर्फ पश्चिम में बल्कि सारी दुनियाँ में । “ द प्रोटोकाल्स ” की अमेरिका में और गहरी पैठ को रोकने के लिए यह जरूरी है कि विज्ञापनकर्ता , जेम्स जीग्बी और समाचार पत्र को छापने वाले अपने आपको तत्काल और पूरी तरह से अरब वाइस से अलग कर लें। साथ ही अमेरिका के अरब और मुस्लिम समूहो को “ द प्रोटोकाल्स ” की खुले तौर पर निंदा करनी चाहिए और साथ ही उन लोगों को भी जो इसको प्रचारित करते है चाहे वह अरब वाइस हो या कोई मिश्री चैनल ।