पश्चिमी लोग जो कि इस्लामी कानून या शरियत के लागू होने के विरोधी हैं वे अत्यंत आश्चर्य से देख रहे हैं किस प्रकार यह दिनोंदिन उनके देशों में सशक्त होता जा रहा है। हरम को स्वीकार करने का भाव बढ रहा है, चर्च के एक नेता ने इस्लामी कानून को सम्मति प्रदान की, एक न्यायाधीश ने कुरान का सन्दर्भ दिया, गोपनीय मुस्लिम न्यायालय न्याय कर रहे हैं। इस मध्यकालीन कानूनी पद्धति को रोकने के लिये क्या किया जा सकता है जो कि आधुनिक जीवन के साथ बिलकुल मेल नहीं खाता और एक ऐसी व्यवस्था जो कि महिलाओं को प्रताडित करती है और गैर- मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का दर्जा प्रदान करती है।
पहला कदम इस दिशा में यह हो सकता है कि पश्चिमी लोग शरियत के विरुद्ध एक संयुक्त मोर्चा बनायें इस प्रकार एकमत से शत्रुता के भाव का सामना करने पर इस्लामवादी पीछे कदम खींचेगे। उदाहरण के लिये अन्धों द्वारा कुत्तों का प्रयोग पथ- प्रदर्शक के रूप में किये जाने से सम्बन्धित मामले में पिछले सप्ताह काउंसिल आन अमेरिकन- इस्लामिक रिलेशंस ने अपने कदम वापस खींचे।
परम्परागत रूप से मुसलमान कुत्तों को अपवित्र पशु मानते हैं और उससे परहेज करते हैं और यही कारण है कि यह एक समस्या बन जाती है जब मुस्लिम स्टोर मालिक और टैक्सी चालक पश्चिम के उन लोगों को अपनी सेवायें देने से इंकार कर देते हैं जो कुत्तों पर निर्भर करते हैं। मैंने अपने वेबलाग Muslim Taxi Drivers vs Seeing-Eye Dogs में पन्द्रह ऐसे मामले एकत्र किये हैं उनमे पाँच संयुक्त राज्य अमेरिका के हैं ( न्यू आरलियंस, सिनसिनाटी, मिलवावकी, ब्रूक्सविले, एफ.आई, एवरेट, वाश), चार कनाडा, तीन संयुक्त राज्य ब्रिटेन के, दो आस्ट्रेलिया के और एक नार्वे का है।
इस सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार मुस्लिम टैक्सी चालक अपने सम्भावित नेत्रहीन यात्रियों को बडी बेरुखी से झिडक देते हैं, “ कुता नहीं, कुत्ता नहीं, बाहर जाओ, बाहर जाओ ”, “इस कुत्ते को यहाँ से ले जाओ” , ‘’ कुत्ता नहीं, कुत्ता नहीं’’। इस प्रकार नेत्रहीन स्वयं को असहाय, अपमानित, और यहाँ तक कि घायल तक अनुभव करता है क्योंकि रास्ते में वर्षा में, मध्य मार्ग में छोड दिया जाता है और किसी से मिलने जा रहा हो तो विलम्ब हो जाता है या फिर विमान तक भी छूट जाते हैं।
इस समस्या पर आरम्भ में तो इस्लामवादी संगठनों ने कुत्ते विरोधी टैक्सी चालकों का ही पक्ष लिया। मुस्लिम एसोसिएशन आफ कनाडा ने संकेत किया कि किस प्रकार सामान्य रूप से मुसलमान कुत्ते की लार को अस्वच्छ समझते हैं। एक अवसर पर सीएआईआर ने भी इसी प्रकार के भाव ध्वनित करते हुए कहा था कि कुत्ते की लार से प्रार्थना के लिये आवश्यक पवित्रता नष्ट हो जाती है। सीएआईआर के प्रमुख निहाद अवाद ने घोषणा की कि मध्य पूर्व के लोगों को विशेष रूप से ऐसी शिक्षा दी गयी है कि कुत्तों से डरते हैं और एक चालक द्वारा एक पथ प्रदर्शक कुत्ते को इंकार करने को उन्होंने इस आधार पर न्यायसंगत ठहराया कि उसका भय जायज है और उसने सद्भाव में कार्य किया है। उसने अपनी धार्मिक मान्यता के अनुरूप ही व्यवहार किया है।
यद्यपि मुसलमानों के कुत्तों से घृणा से नेत्रहीनों की मूल आवश्यकताओं और उनके सम्मान को पहुँचने वाली ठेस को लेकर नेत्रहीनों के विधिक अधिकारों को लेकर यह मामला पुलिस या न्यायालयों में गया। मुस्लिम स्वामियों या टैक्सी चालकों को चेतावनी दी गयी, उन पर जुर्माना किया गया और यहाँ तक कि जेल भी भेजा गया। एक न्यायाधीश ने टैक़्सी चालक के व्यवहार को शर्मनाक कहा और यह मामला अन्य की भी गवाही देता है।
सीएआईआर को जब यह लगा कि उसका व्यवहार विधि के न्यायालय और जनता के न्यायालय दोनों में ही अस्वीकार किया जा रहा है तो अचानक उसने अपना पक्ष बदल दिया। एक सनकी दाँवपेंच में इस संगठन ने मीनियापोलिस के नेत्रहीनों के सम्मेलन के राष्ट्रीय महासंघ में भाग लेने के लिये 300 टैक्सियों का प्रबन्ध किया जो नेत्रहीनों को निःशुल्क यात्रा की सुविधा दे रही थीं। ( इससे महासंघ प्रभावित नहीं हुआ और उसने कहा कि हमें नहीं लगता कि निःशुल्क सवारी से समस्या का समाधान निकलेगा। हमारा मानना है कि टैक्सी चालक इस बात को स्वीकार करें कि कानून कहता है कि वे एक नेत्रहीन व्यक्ति को अपनी सेवायें देने से मना न करें) और अंततः पिछ्ले सप्ताह सीएआईआर के कनाडा के कार्यालय ने एक वक्तव्य जारी किया और उसमें मुसलमानों से आग्रह किया कि वे नेत्रहीन यात्रियों को स्थान दें, बोर्ड के एक सदस्य को उद्धृत करते हुए कहा गया, “ इस्लाम देख पाने में अक्षम लोगों के लिये कुत्तों की अनुमति देता है”।
सीएआईआर के इस समर्पण में एक मह्त्वपूर्ण शिक्षा छिपी है। जब पश्चिमी लोग बडे पैमाने पर किसी विशेष इस्लामी कानून या परम्परा को अस्वीकार करने पर सहमत होकर एकजुट हो जाते हैं तो पश्चिमी इस्लामवादियों को बहुमत की इच्छा के आगे अपने को समायोजित करना पडता है
नेत्रहीनों के लिये कुत्तों का उपयोग एक पथ प्रदर्शक के रूप में होने का विषय उन अनेक विषयों में से मात्र एक है, अन्य विषय महिलाओं से सम्बन्धित हैं जैसे पति का पत्नी को मारना- पीटना, बुर्का से सिर ढँकना, महिलाओं का खतना करना और परिवार के सम्मान में महिलाओं की हत्या आनर किलिंग के नाम पर करना। पश्चिम की एकता इस्लामवादियों को गुलामी और शरियत प्रेरित वित्तीय व्यवस्था में भी अपनी प्राथमिकताओं को छोड्ने के लिये बाध्य कर सकती है।
अन्य मुस्लिम प्रेरित चलन पश्चिम में नहीं हैं परंतु मुस्लिम विश्व में हैं। इनमें महिला के साथ बलात्कार होने पर उसे दण्ड दिया जाना, बच्चों का शोषण आत्मघाती हमलावर के रूप में करना तथा इस्लाम से बाहर धर्मांतरित होने पर , व्यभिचार पर, विवाहेतर सम्बन्धों से बच्चा उत्पन्न करना या फिर चुडैल मानकर मृत्युदण्ड देना। पश्चिमी एकता से इन क्षेत्रों में भी छूट मिल सकती है। यदि पश्चिम के लोग एकजुट रहे तो शरियत का विनाश सुनिश्चित है यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारा विनाश निश्चित है।