अभी हाल में इण्डोनेशिया में बाली में एक रात्रिकालीन क्लब में हुआ बम विस्फ़ोट जिसमें 183 लोग मारे गये और सैकडों लोग घायल हुए वह घटना एक व्यापक परिपाटी में उपयुक्त बैठती है। उग्रवादी इस्लाम जो मुख्य रूप से मध्य पूर्व के लोगों तक ही सीमित था वह हाल के वर्षों में विश्व के अन्य भागों के मुसलमानों तक भी पहुँच गया है।
विशेष रूप से यह इण्डोनेशिया, बांग्लादेश और नाइजीरिया जैसे तीन देशों के मामले में देखा जा सकता है जहाँ की कुल जनसंख्या 494 मिलियन की है। उनकी मुस्लिम जनसंख्या 378 मिलियन है जो कि विश्व की कुल मुस्लिम जनसंख्या का एक तिहाई भाग है।
इण्डोनेशिया- दक्षिण पूर्व एशिया के देश में 88 प्रतिशत मुसलमान हैं जो कानूनी और हिंसक दोनों ही ढंग से इस्लामी कानून या ( शरियत) को लागू करने के इस्लामवादी प्रयासों का आतिथ्य करते हैं।
अकेले असेच प्रांत में इस्लामवादियों के असेच मुक्ति आन्दोलन और सरकारी बलों के मध्य संघर्ष में 6,000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है। एशिया के खुफिया सूत्रों के अनुसार इस गुट का अल कायदा से सम्बन्ध है और यह उनसे जुडा हो सकता है। सीएनएस समाचार रिपोर्ट के अनुसार इनका और अन्य कट्टरपंथियों का लक्ष्य “ 2003 तक विश्व के मुस्लिम बहुल देशों को अतिवादी इस्लामी राज्यों में परिवर्तित कर देना है। अन्य प्रायद्वीपों में ईसाई मुस्लिम तनावों ने सम्पूर्ण तौर पर धार्मिक युद्ध को स्थिति निर्मित कर दी है।
सुलावेसी प्रांत में इस्लामवादियों ने स्वदेशी ईसाई समुदाय को अलग-थलग करते हुए रास्ते अवरुद्ध कर दिये हैं, सशस्त्र बुलडोजर और राकेट लांचर तैनात कर दिये हैं। उन्होंने सुनियोजित ढंग से ईसाइयों को निशाना बनाया है और उन पर धर्मांतरित होने का दबाव डाला, उनके बच्चों का सुन्नत कराया और चर्च तथा अन्य इमारतों को आग लगाई।
कुल मिलाकर इण्डोनेशिया में मुस्लिम ईसाई संघर्ष में 1999 से अब तक प्रायः 19,000 लोग मारे गये हैं और 60,000 से अधिक लोग अपना घर छोड्ने को विवश हुए हैं।
बांग्लादेश- दक्षिण एशिया के इस 83 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या वाले देश में इस्लामवादी शरियत पर आधारित संविधान के साथ एक वास्तविक “ इस्लामी गणतंत्र बांग्लादेश” की स्थापना करना चाहते हैं। एक गुट के प्रमुख के अनुसार उनका लक्ष्य यह है कि “ धीरे- धीरे परंतु ठोस रूप से देश के इस्लामीकरण के लक्ष्य की ओर बढ्ना”। बिलकुल उसी तरह जैसे तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान।
कोई आश्चर्य नहीं कि बांग्लादेश में अल-कायदा की शाखायें है। ऐसा माना जाता है कि “ हरकत उल जिहाद इस्लामी बांग्लादेश” की स्थापना 1992 में ओसामा बिन लादेन के प्रत्यक्ष आर्थिक सहयोग से हुई थी और यह अपने को “ बांग्लादेश तालिबान” कहता है। इस गुट ने जनवरी 2002 में कलकत्ता में अमेरिका के कार्यालय पर आक्रमण कर पाँच पुलिसकर्मियों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी।
11 सितम्बर के बाद से हजारों की संख्या में अल कायदा के समर्थक ढाका में शुक्रवार की नमाज के बाद सड्कों पर आकर उन पोस्टरों का प्रदर्शन करते हैं जिसमें लिखा होता है “ ओसामा हमारा नायक है” और इस दौरान राष्ट्रपति जार्ज बुश का पुतला फूँका जाता है।
इस बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों को भयानक हिंसा से गुजरना पड रहा है और इसमें सामूहिक आतंक भी शामिल है। द नेशन की रिपोर्ट के अनुसार कुछ बौद्धों और ईसाइयों को अन्धा कर दिया गया, उनकी अंगुलियाँ काट दी गयी या उनके हाथ काट दिये गये जबकि “अन्य लोगों के पैरों और पेट पर लोहे की छडों से प्रहार हुए”। “ महिलाओं और बच्चों के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ और वह भी उनके पिता और पति के सामने”। इसके साथ ही सैकडों मन्दिरों और मूर्तियों को ध्वस्त कर दिया गया, हजारों घरों और व्यावसायिक स्थलों को लूट लिया गया या जला दिया गया।
मानवाधिकार संगठन फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट के अनुसार हिन्दुओं को “ बलात्कार, उत्पीडन और मृत्यु का निशाना बनाया गया है और वे मुसलमानों के हाथों अपनी संस्कृति और धर्म की पहचान खो रहे हैं”। एक सांकेतिक कदम के रूप में कुछ अवसरों पर इस्लामवादी हिन्दू महिलाओं को इस्लामवादी तरीके से वस्त्र धारण करने के लिये बाध्य करते हैं।
नाइजीरिया- नाइजीरिया के संविधान को नकारते हुए( जो चर्च और राज्य का स्पष्ट विभेद करता है) और उसकी भूजनांकिकी वास्तविकता को नकारते हुए ( केवल 50 प्रतिशत जनसंख्या ही मुस्लिम है) पश्चिम अफ्रीकी देश के इस्लामवादियों ने 1999 में इस देश के 36 में से 12 राज्यों में इस्लामी कानून के कुछ भागों को लागू करने की घोषणा कर दी।
इस्लामी कानून लागू करने का अर्थ था कि कुछ चलन को बन्द कर देना जैसे चर्च का निर्माण, संगीत कार्यक्रम, पैंट पहनना, शराब पीना और मिश्रित लैंगिक टैक्सी में सवारी को प्रतिबन्धित कर देना। इस्लाम में जबरन धर्मांतरण की सूचनायें हैं साथ ही ईसाई पुरुषों से मुस्लिम महिलाओं का बलपूर्वक तलाक।
सतर्कता दल इस्लामी कानून का पालन सुनिश्चित करते हैं और वह भी दण्ड द्वारा जिसमें पत्थर मारना, कोडे मारना और हाथ काटना शामिल है। सूडान, पाकिस्तान, सउदी, फिलीस्तीनी और सीरियाई इस्लामवादियों की एकता प्रदर्शित करने वाली नाइजीरिया की यात्रा इस देश के इस्लामवादियों को उग्रवादी इस्लाम की वृहत्तर शक्तियों से सम्बद्ध करती है। फ्रीडम हाउस का निष्कर्ष है कि नाइजीरिया तालिबानीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है।
उग्रवादी इस्लाम और इसके सहयोगियों का मध्य पूर्व से मुस्लिम विश्व के अन्य क्षेत्रों में विस्तार अत्यंत चिंता का कारण है। इसका अर्थ है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, नरमपंथी इस्लाम और स्वयं सभ्यता के शत्रु अधिक हैं और छुपे हैं जितना पहले सोचा गया था। इसमें अंतर्निहित है कि वर्तमान युद्ध अधिक लम्बा, खूनी और अधिक अवश्यंभावी होगा जितना कि लोग कल्पना करते हैं।