ब्रिटेन का सबसे बडा और सबसे लम्बा आतंकवादी जाँच अभियान पिछले महीने समाप्त हुआ और तीन ब्रिटिश मुसलमानों को दण्ड दिया गया। 2006 के उनके षडयंत्र में परा-एटलांटिक हवाई सेवा को बम से उडाने की योजना थी इस आशा के साथ कि 10,000 लोगों की हत्या होगी। इस लगभग आपदा से हमें संयुक्त राज्य ब्रिटेन आधारित कट्टरपंथी इस्लाम से उपस्थित होने वाले वैश्विक खतरे को याद करने का अवसर मिलता है।
हेरिटेज फाउंडॆशन ने ब्रिटिश इस्लामवाद को संयुक्त राज्य अमेरिका की सुरक्षा के लिये एक प्रत्यक्ष खतरा बताया है जबकि द निव रिपब्लिक ने इसे अमेरिका की सुरक्षा के लिये सबसे बडा खतरा बताया है। अधिकारी भी इस बात से सहमत हैं। ब्रिटेन के गृह सचिव ने 2003 में एक डोजियर तैयार किया था जिसमें इस बात को स्वीकार किया गया था कि उनका देश आतंकवाद के लिये मह्त्वपूर्ण आधार प्रदान करता है। 2009 में सीआईए के एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया कि पाकिस्तानी मूल के ब्रिटेन में जन्मे नागरिक ( जो कि वीजा छूट कार्यक्रम के अंतर्गत बे रोकटोक अमेरिका में प्रवेश कर सकते हैं) अमेरिका के लिए आतंकवाद के सबसे बडे स्रोत हैं।
लन्दन में डगलस मरे द्वारा संचालित सेंटर फार सोशल कोहेशन ने अभी हाल में 535 पृष्ठ का इस्लामवादी आतंकवाद विषय पर ब्रिटिश सम्बन्ध पर रिपोर्ट प्रकाशित की है जो कि रोबिन सिम्कोक्स, हन्नाह स्टुवर्ट और हौरिया अहमद द्वारा लिखित है। इसमें विशेष प्रकार से दो श्रेणी के लोगों को उल्लेख है जिन्हें यहाँ " इस्लामवाद से सम्बन्धित अपराध" बताया गया है जिसमें उन घटनाओं का उल्लेख है जहाँ साक्ष्य इस बात को सिद्ध करते हैं कि इस्लामवादी आस्था मूल रूप में इन घटनाओं की प्रेरणा है।
एक सूची उन लोगों की है जिनमें उन 127 व्यक्तियों की सूचना है जो इस्लामवादी अपराधों के सम्बन्ध में या ऐसी आत्महत्या के मामले में ब्रिटेन में दण्डित हुए हैं और दूसरी सूची में उन 88 लोगों का परिचय है जो कि इस्लामवादी अपराधों में विश्व के अन्य क्षेत्रों में दण्डित हुए हैं और जिनका सम्बन्ध ब्रिटेन से है। इस अध्ययन में 1999-2009 के 11 वर्षों को समाहित किया गया है।
घरेलू ब्रिटिश आतंकवादी आश्चर्यजनक ढंग से सामान्य दिखने की परिपाटी पर चलते दिखते हैं। ये सभी अधिकतर युवा हैं( अर्थात 26 वर्ष) और पुरुष ( 96 प्रतिशत)हैं। लगभग आधे दक्षिण एशिया पृष्ठभूमि के हैं। जिनकी शिक्षा की पृष्ठभूमि के बारे में पता है उनमें से अधिकाँश ने विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की है। जिनकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि के बारे में पता है उनमें से अधिकाँश व्यवसाय करते रहे हैं या पूरा समय देकर अध्ययन करते रहे हैं। इनमें से दो तिहाई ब्रिटिश राष्ट्रीयता के हैं और दो तिहाई का आतंकवादी संगठनों से कोई नाता नहीं है और दो तिहाई तो देश से बाहर कभी भी आतंकवादी शिविर मे प्रशिक्षण प्राप्त करने नहीं गये।
अधिकाँश इस्लामवादी अपराध मूल रूप में सामान्य मुसलमानों द्वारा किये गये हैं जिनका मस्तिष्क़ पूरी तरह इस्लामवाद की शक्तिशाली विचारधारा से घेर लिया गया है। यही आशा की जा सकती है कि आतंकवादियों की संख्या विशेष मानसिक अवस्था वालों तक सीमित हो ताकि इस समस्या को समाप्त करने और उसका सामना करने मे कम कठिनाई हो।
ब्रिटेन की सुरक्षा सेवा का अनुमान है कि ब्रिटेन में रहने वाले 2,000 लोग ऐसे हैं जो कि ब्रिटेन के लिये आतंकवादी खतरा हैं इससे लगता है कि ब्रिटेन के अपने मुस्लिम निवासी जहाँ इस देश के लिये लम्बे समय तक खतरा नहीं थे वह सुरक्षा अब इसके पास नहीं है और अब यह इजरायल के बाद दूसरा पश्चिमी देश होगा जो कि आंतरिक आतंकवादी समस्या का सामना करेगा।
जहाँ तक दूसरी श्रेणी का सम्बन्ध है जिसमें ब्रिटेन से सम्बन्धित इस्लामवादी लोग देश से बाहर आक्रमण में लिप्त हैं तो लेखक ने अत्यंत व्यापक रूप से उल्लेख करने के स्थान पर कुछ नमूने ही दिये हैं और वे सांख्यिकीय विश्लेषण नहीं है। लेकिन इन नमूनों से कुछ रुझान अवश्य मिलता है इसलिये मैं यहाँ उन देशों की सूची प्रस्तुत कर रहा हूँ ( साथ ही ब्रिटिश सम्पर्क के अपराध करने वालों की) जहाँ ब्रिटिश सम्पर्क के इस्लामवादी अपराध हुए हैं।
इस सूची में अफगानिस्तान (12), अल्जीरिया (3), आस्ट्रेलिया (1), अजरबेजान (1), बेल्जियम (2), बोस्निया (4), कनाडा (1), फ्रांस (7), जर्मनी( 3), भारत (3), इराक ( 3), इटली ( 4), जार्डन (1), लेबनान ( 1), मोरक्को (2), नीदरलैंड ( 1), पाकिस्तान ( 5), रूस (4), सउदी अरब ( 1), सोमालिया (1), स्पेन (2), अमेरिका ( 14), यमन ( 10)। इसमें मैं अल्बानिया को भी जोड रहा हूँ जहाँ 1999 से पूर्व एक आक्रमण हुआ और बांग्लादेश और कीनिया की उपेक्षा कर दी गयी है।
सभी 28 देशों में जहाँ ब्रिटिश आधारित इस्लामवादी आतंकवादी आक्रमण हुए है वे एक वैश्विक खतरे का कुछ आभास देते हैं। भारत को छोड्कर शेष सभी लक्षित देश दो विशिष्ट श्रेणी में विभाजित होते हैं, पश्चिमी और मुस्लिम बहुसंख्यक देश। अमेरिका, अफगानिस्तान और यमन में सर्वाधिक ब्रिटिश सम्पर्क के आतंकवाद की घटनाये हुई हैं। इस अभिलेख से कुछ प्रश्न उभरते हैं- एक तो यह कि ब्रिटिश अधिकारियों को और कितना समय लगेगा यह स्वीकार करने में कि इस्लामवादियों के तुष्टीकरण के क्रम में मुसलमानों को सुधारते हुए उसके विचारधारागत पहलू को छोड देते हैं। दूसरा अभी तक के प्रमाण इस ओर संकेत करते हैं कि इस्लामवादी अपराध संतुलन की स्थिति में हैं जो ब्रिटेन में इस्लामवादी उद्देश्यों को सशक्त कर रहे हैं तो क्या यह परिपाटी हिंसा की बीच चलती रहेगी या फिर इस्लामवादी अपराध के विरुद्ध प्रतिक्रिया होगी?
अंत में गैर ब्रिटिश सरकारों को किस विनाश की प्रतीक्षा है कि तब वे उसी प्रतिशत में अपनी आप्रवास प्रक्रिया पर ध्यान देंगे या फिर उनकी ओर जहाँ से ऐसे अपराध करने वाली अधिकतर मुस्लिम जनसंख्या आती है? यह स्थिति भले ही सुखद न हो पर अब स्थिति विस्फोटक हो रही है।।