जैसे जैसे अमेरिका के लोग इस्लाम के विषय में अधिक जानते जा रहे हैं उन्हें इसके धर्मशास्त्र ( जैसे कि अल्लाह ग़ाड है या नहीं) या फिर इसके प्रतीकों ( जैसे कि निचले मैनहट्टन में इस्लामी सांस्कृतिक केंद्र) से आपत्ति नहीं है वरन उन्हें इसके कानून की संहिता जिसे शरियत कहा जाता है उससे आपत्ति हो रही है। वे ठीक ही उस संहिता को मना कर रहे हैं जो कि गैर मुसलमानों के ऊपर मुसलमानों को और महिलाओं के ऊपर पुरुष को प्राथमिकता देता है और ऐसे अनेक प्रतिबंध लगाता है जो कि आधुनिक जीवन के प्रतिकूल है।
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा के पूर्व सभाध्यकक्ष न्यूट गिंग्रिच ने सार्वजनिक रूप से लोगों का ध्यान शरियत के खतरों के प्रति जुलाई में असधारण रूप से आकर्षित किया उन्होंने इसके नियमों और दण्डों को पूरी तरह " पश्चिमी विश्व के प्रतिकूल बताया" और एक संघीय कानून की बात कही " जो किसी भी स्थिति में संयुक्त राज्य अमेरिका के किसी भी न्यायालय में शरियत को अमेरिकी कानून का विकल्प स्वीकार न करे"
इस दिशा में कुछ सक्रियता के बाद भी ऐसा कोई भी संघीय कानून अस्तित्वमान नहीं है। लेकिन दो राज्यों टेनेसे और लूसियाना में विधायकों ने अभी हाल में कानून पारित किया है जिसके अनुसार अस्तित्वमान कानून और सार्वजनिक नीति का उल्लंघन करने वाले शरियत को प्रभावी रूप से रोका जा सकेगा। इसी प्रकार 2 नवम्बर को इसी का अनुकरण करते हुए ओकलाहोमा के मतदाताओं ने 30 प्रतिशत के मुकाबले 70 प्रतिशत के मत से अपने राज्य के संविधान को परिवर्तित करने की माँग की है।
हालाँकि नरमपंथी मुसलमान जुहदी जासर ने इसकी प्रशंसा की है परन्तु " Save our State Amedment" अभियान ने इस्लामवदियों के लिये खतरे की घण्टी बजा दी है। द काउंसिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका की संवैधानिक सरकार को अपदस्थ करने का प्रयास करने का आरोपी है उसने किसी तरह एक संघीय जिला न्यायाधीश को इस बात के लिये सहमत कर लिया है कि अस्थाई रूप आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन बोर्ड को संशोधन को प्रमाणित करने से फिलहाल रोक दिया जाये।
न्यायालय में इस विषय में एक सम्पूर्ण बहस शरियत को लागू करने के विषय को और चर्चित करेगी। इस सम्बन्ध में हमें ओकलाहोमा द्वारा राज्य प्रश्न 755 के अंतर्गत इस संशोधन पर और सूक्ष्म नजर डालनी होगी। इसके द्वारा ओकलाहोमा न्यायालय के अधिकार सीमित किये गये हैं कि वह अपने वादों के निर्धारण में पूरी तरह संघीय और राज्य कानूनों पर निर्भर न रहे। यह " अंतर्राष्ट्रीय कानून" को सामान्य रूप से अस्वीकार करता है और विशेष रूप से " न्यायालयों को शरियत कानून पर ध्यान देने या उसे लागू करने से रोकता है" जहाँ कि उसने शरियत को इस्लामी कानून कह कर सम्बोधित किया है जो कि मुख्य रूप से कुरान और मोह्म्मद की शिक्षाओं के दो प्रमुख स्रोतों पर आधारित है।
समान्य रूप से जिस आधार पर संशोधन की आलोचना की जाती है उसके अनुसार इसके प्रति दो विरोधाभाषी भाव हैं जिसके अनुसार या तो यह भेदभाव पूर्ण है या फिर अव्यवस्थित है।
भेदभाव पूर्ण? यद्यपि जिन वाक्यों का प्रयोग हुआ है वह समस्यापूर्ण है ( सम्भव है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता और शरियत को अकेले नाम से अलग थलग नहीं किया जा सकता) राज्य प्रश्न 755 ने सही ही जोर दिया है कि न्यायाधीशों ने अपने निर्णय का आधार अमेरिकी कानून को ही बनाया है। अफवाहों के विपरीत संशोधन शरियत को न्यायालय की व्यवस्था से परे प्रतिबंधित नहीं करता। मुस्लिम धो सकते हैं, प्रार्थना कर सकते हैं, पी सकते हैं, खा सकते हैं, नहा सकते हैं, विवाह, सन्तान के सम्बन्ध में स्वतन्त्र हैं जैसा कि उनका मजहब निर्धारित करता हो। तो क्या संशोधन से अमेरिकी मुसलमान प्रभावित नहीं होते?
अव्यवस्थित- हमारे समक्ष ऐसा कोई भी शोध नहीं है जो यह निर्देशित करता हो कि अमेरिकी न्यायाधीश किस प्रकार शरियत के आधार पर किसी निर्णय पर पहुँचें परन्तु सतही जाँच से 11 राज्यों के 17 उदाहरण हमारे समक्ष हैं। इनमें सबसे कुख्यात न्यू जर्सी का निर्णय है जो कि मोरक्को के मुस्लिम दम्पत्ति का है। पत्नी ने कहा कि उसके पति ने बारम्बार उससे यौन सम्बंध में इस आधार पर लिप्त होने को कहा " हमारे मजहब के अनुसार यह है। तुम मेरी पत्नी हो और मैं तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूँ" संक्षेप में मुस्लिम पति ने यह दावा किया कि शरियत से उसे अपनी पत्नी का बलात्कार करने की अनुमति मिलती है"
परीक्षण न्यायाधीश ने उससे सहमति व्यक्त की, " न्यायलय यह मानता है कि वह अपने विश्वास के अनुसार कार्य कर रहा था कि पति के नाते वह जब चाहे जैसे चाहे यौन सम्बंध में लिप्त हो सकता है और यह उसके लगातार व्यवहार का अंग बन गया और इस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता" इस आधार पर न्यायाधीश ने जून 2009 को निर्णय दिया कि कोई भी यौन आक्रमण नहीं सिद्ध होता है।
जुलाई 2010 में अपील न्यायालय ने इस निर्णय को उलट दिया और आधार यह दिया कि बिना सहमति के यौन सम्बंध में पति का लिप्त होना अनुचित था भले ही उसे लगा हो कि मजहब के अनुसार उसे ऐसा करने की अनुमति थी। न्यूट गिंग्रिच की व्याख्या के अनुसार परीक्षण न्यायाधीश , " उस व्यक्ति पर अमेरिकी कानून लागू नहीं करना चाहता था जो कि किसी व्यक्ति का अपमान कर रहा था"
इसके बाद ब्रिटेन का उदाहरण हमारे समक्ष है जहाँ कि देश के दो शीर्ष श्रेणी के व्यक्तियों केंटरबरी के आर्कबिशप और लार्ड सर्वोच्च न्यायाधीश ने ब्रिटेन के सामान्य कानून में शरियत की भूमिका को स्वीकार करने की सलाहा दी जहाँ कि शरियत न्यायालयों की श्रृंखला पहले से ही विद्यमान है।
न तो भेदभाव पूर्ण और न ही अव्यवस्थित कानून जो कि शरियत को नष्ट करते हैं उनकी संवैधानिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिये आवश्यकता है जिसे कि बराक ओबाम ने " कट्टरपंथी इस्लाम की घृणित विचारधारा बताया है"। अमेरिकन पब्लिक पालिसी एलायंस ने उस कानून का प्रारूप तैयार किया है जिसे कि ओकलाहोमा और 47 अन्य राज्य विधायिकाओं को पारित करना चाहिये।