जर्मनी के एक नये राजनीतिक दल Die Freiheit ( स्वतन्त्रता) ने बर्लिन में 28 अक्टूबर को अपनी आरम्भिक बैठक की। मैं उस समय शहर में था इसलिये इस नेतृत्व ने मुझे भी एकमात्र दल के गैर सदस्य के रूप में आमंत्रित किया ताकि मैं इसका साक्षी बन सकूँ और इसकी स्थापना बैठक के बारे में लोगों को बता सकूँ।
इस बात को याद दिलाने के लिये कि इस्लामवाद के इस युग में यूरोप में किस प्रकार स्वतंत्रता क्षीण हुई है यह बताना पर्याप्त है कि एक राजनीतिक दल जो इस्लामवाद का प्रतिरोध करता है और इजरायल का समर्थन करता है वह दिन के प्रकाश में अस्तित्व में आने का साहस नहीं कर पा रहा है। इसी कारण अन्य 50 से अधिक उपस्थित लोगों की भाँति मुझे भी इस कार्यक्रम की सूचना कार्यक्रम से कुछ ही पहले मिली। अनेक कारणों से कार्यक्रम के आयोजक छुपछिपाकर कर्य कर रहे थे। होटल प्रबंधन को भी यही जानकारी थी कि किसी कम्पनी का बोर्ड चुनाव है। यहाँ तक कि सुरक्षा कारणों से मैं भी होटल का नाम सार्वजनिक नहीं कर सकता।
अधिकाँश समय तो जर्मनी में किसी राजनीतिक दल को पंजीकृत करने से सम्बन्धित विधिक औपाचारिकताओं में निकल गया। उपस्थिति दर्ज की गयी, मतों को गिना गया, संगठन के नियमों की व्याख्या की गयी, बर्लिन में सितम्बर 2011 में होने वाले चुनावों को लड्ने से सम्बन्धित कदम उठाये गये, अधिकारियों का चुनाव हुआ जिसमें सभापति रेन स्तादकेविज भी शामिल हैं जिनकी अवस्था 45 वर्ष है। पूर्वी जर्मनी की पृष्ठभूमि के ये सज्जन बर्लिन संसद में सत्ताधारी कंजर्वेटिव क्रिस्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी के सदस्य हैं जिन्हें एक माह पूर्व ही सार्वजनिक रूप से हालैंड के राजनेता गीर्ट वाइल्डर्स की मेजबानी करने के कारण निष्कासित कर दिया गया है।
मेरे लिये या अन्य लोगों के लिये रुचि का विषय यह था कि राजनीतिक दल की नीतियों का मौखिक रूप से सारांश प्रस्तुत किया जाये और साथ ही 71 पेज का मूल कार्यक्रम जिसके आधार पर विस्तार से दल की स्थिति का आकलन किया जा सके। " दुर्भाग्य से स्थापित राजनीतिक दल लोगों की चिंताओं का समाधान करने के स्थान पर उन्हें ऐसे ही छोड दे रहे है" इन शब्दों से स्पष्ट है कि इस दल ने न तो कुछ भी छिपाया है और न ही इसकी सोच छोटी है। इसके आरम्भिक शब्दों में कहा गया है, " शताब्दियों से विश्व का नेतृत्व करने वाली पश्चिमी सभ्यता आज अपने अस्तित्व के लिये खतरा अनुभव कर रही है"।
इस नये राजनीतिक दल का नारा है, " राजनीतिक दल अधिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिये" यह स्पष्ट रूप से इस्लाम , इस्लामवाद, इस्लामी कानून और इस्लामीकरण के बारे में बोलता है। इस दल की अंतर्दृष्टि के दर्शन तब होते हैं जब यह कहता है, " इस्लाम केवल एक मजहब नहीं है वरन एक राजनीतिक विचारधारा भी है जिसकी अपनी कानूनी व्यवस्था है" इस राजनीतिक दल की माँग है कि इमामों, मस्जिदों, इस्लामी विद्यालयों पर कडी नजर रखी जाये और इस्लामी संगठनों की समीक्षा की जाये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे जर्मन कानून का पालन करें और शरिया के आधार पर किसी समानांतर विधिक संरचना की भर्त्सना की जाये। इसकी व्याख्या का समापन पूरी शक्ति से इस आधार पर किया गया, " हम अपनी पूरी शक्ति से अपने देश के इस्लामीकरण का विरोध करते हैं"
फ्रीहिट पूरी शक्ति से इजरायल का समर्थन करती है और इसके बारे में कहती है, " यह मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतांत्रिक देश है। इस कारण अरब रंगमंच पर यह पश्चिमी संस्कृति का प्रतीक है। सभी लोकतांत्रिक देशों को इजरायल के आत्मनिर्धारक और सुरक्षित स्वरूप को बनाये रखने में अपनी सर्वाधिक रुचि दिखानी चाहिये। हम स्पष्ट रूप से इजरायल के अस्तित्व के अधिकार को स्वीकार करते हैं जिस पर किसी प्रकार की बहस सम्भव नहीं है"।
ये वाक्य अपने में पूरी तरह स्पष्ट हैं उसी प्रकार यूरोपीय संघ में तुर्की के मिलने की अस्वीकार्यता को लेकर मूल कार्यक्रम का 2 प्रतिशत ही है जो कि जर्मन के राजनीतिक जीवन और पश्चिमी मूल्य और नीतियों को अपनाकर चलते हैं। इसके अन्य बिंदुओं में जर्मन के लोग होना , प्रत्यक्ष लोकतंत्र, परिवार, शिक्षा, कार्यक्षेत्र , अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और भी बहुत कुछ्। सभी नीतियों के साथ इस्लामीकरण विरोध को शामिल करना और उसे एक व्यापक स्थान देना उचित है।
इसके बाद भी स्वाभाविक रूप से फ्रीहिट दल के स्थापना पर प्रेस कवरेज में अधिक जोर इस्लाम के प्रति इसकी स्थिति पर रहा और इसे काफी संकीर्ण रूप में इस्लाम विरोधी राजनीतिक दल बताया गया। फ्रीहिट की स्थापना से दो निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। पहला, यह उस परिपाटी को ही प्रदर्शित करता है कि अधिक से अधिक यूरोप के दल इस्लाम पर स्वयं को केंद्रित रखना अपना मिशन मानकर चलते हैं और व्यापक रूप से ये अन्य से अलग दिखते हैं। जहाँ वाइल्डर्स की पीवीवी ने लगभग सभी सामाजिक समस्याओं के लिये इस्लाम को दोषी ठहराया तो वहीं फ्रीहिट ने इससे आगे " अपनी पूरी शक्ति से देश के इस्लामीकरण का विरोध" को अन्य मुद्दों में से एक रखा है।
दूसरा, यह आसानी से देखा जा सकता है कि जर्मनी यूरोप के उन देशों में अधिक पीछे नहीं है जहाँ बडी संख्या में मुस्लिम जनसंख्या होते हुए भी ऐसे राजनीतिक दलों का अभाव है जो कि इस्लामीकरण के विरुद्ध खडे हों। ऐसा भी नहीं है कि ऐसे प्रयास नहीं हुए हैं पहले के प्रयास सफल नहीं हुए । वर्ष 2010 के अंत में ऐसे राजनीतिक दल का आरम्भ अच्छा समय है जब कि जर्मनी में थिलो सराजिन की मुस्लिम आप्रवास पर आयी पुस्तक ने विवाद पैदा किया है इसके साथ ही एंजेला मार्केल ने घोषणा की कि जर्मनी में बहुसंस्कृतिवाद पूरी तरह असफल हो चुका है। लोगों में एक परिवर्तन की आहट सुनी जा सकती है।