कोई भी यह अपेक्षा करता है कि यहूदी इजरायल का समर्थन करेगा और मुस्लिम इसका विरोध करेगा। सबकी अपेक्षा रहती है कि यहूदी बुर्का का विरोध करेगा और मुस्लिम इसका समर्थन करेगा।
ऐसा साधारणीकरण सामान्य तौर पर रहता है परंतु सदैव ऐसा नहीं होता। किसी के व्यक्तिगत विचार के आगे उसका मजहब और नस्ल कम महत्वपूर्ण हो जाता है विशेष रूप से उदारवादी और परम्परावादी ढंग से सोच के मामले में। इस वेबलाग का विषय इसी अपवाद की ओर ध्यान देता है जैसा कि मैंने पाया है:
- रूबिन बनाम आजमी: 1998 में एंड्रियू एन रुबिन Andrew N. Rubin ने फौवाद आजमी द्वारा नेशन पत्रिका में Dream Palace of the Arabs लिखे गये लेख की धज्जियाँ यह कहकर उडाईं कि वे इजरायल के प्रति काफी नरम थे।
- मेन्डेलशोन अवीव बनाम हसन : कनाडा के सिविल लिबर्टीज एशोसियेशन के अंतर्गत समानता कार्यक्रम की निदेशक नोवा मेंडेलशोन अवीव ने कनाडा में बुर्का पहनने का समर्थन किया है, जबकि मुस्लिम कनाडियन कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा फरज़ाना हसन ने इसे " अपराध के प्रति सुविधाजनक आवरण" कहकर इसका विरोध किया है।
टिप्पणी: लोगों का विचार पूरी तरह उनका होता है और उनके सम्बंध में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।