अंतिम राष्ट्रपतीय बहस में आनुपातिक दृष्टि से मध्य पूर्व पर अधिक ध्यान दिया गया। छह चरण में चार चरण मध्य पूर्व पर थे, केवल दो चरण में दूसरा विषय रहा ( एक विश्व में अमेरिका की भूमिका , तथा अन्य चीन के सम्बन्ध में) । मिस्र का उल्लेख 11 बार, लीबिया 12 बार, इराक 22 बार, पाकिस्तान 25 बार, सीरिया 28 बार, अफगानिस्तान 30 बार , इजरायल 34 बार, तथा ईरान 47 बार चर्चा में आया। इसके विपरीत यूरोप के संकट की कोई चर्चा नहीं हुई , न ही भारत , जर्मनी, कनाडा , मैक्सिको , वेनेजुएला , ब्राजील या आस्ट्रेलिया का कोई उल्लेख हुआ।
बराक ओबामा का मध्य पूर्व में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है परन्तु इस बहस के आधार पर ऐसा नहीं माना जा सकता जहाँ कि मिट रोमनी ने ओबामा की उपलब्धियों की प्रशंसा की सराहना की ( यह अद्भुत है कि लीबिया में कुछ प्रगति हो रही है) जितना अधिक वे ओबामा से असहमत थे उससे अधिक सहमत दिखे और शायद ही अपने मन के भाव व्यक्त किये। सम्भवतः रोमनी ने यह नरम रुख कमान्डर इन चीफ के रूप में अपनी योग्यता , क्षमता और पसंद को स्वीकार करवाने के लिये अपनाया।
जब मिस्र के सम्बंध में पूछा गया तो रोमनी ने भटकते हुए मजबूत अमेरिकी अर्थव्यवस्था की आवश्यकता जताई। जब विश्व में अमेरिका की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मैसच्यूयेट्स के अपने राज्यपाल होने के दौरान चौथे श्रेणी की उपलब्धियों का बखान किया। सम्भवतः अर्थव्यवस्था पर उनके जोर देने से अभी निश्चय नहीं कर पाये लोगों को वे अपने पाले में ला पायें परंतु इससे उनके दर्शक काफी निराश हुए।
लीबिया के विषय पर रोमनी का व्यवहार आश्चर्यजनक रहा और उन्होंने अवसर गँवा दिया। 11 सितम्बर 2012 को बेनगाजी पर हुए आक्रमण के उपरांत की गयी भूलों पर प्रश्न किया गया तो उन्होंने बेहतर शिक्षा, लैंगिक समानता और अन्य योग्य लक्ष्य की बात की परंतु उन्होंने वह अवसर खो दिया जिसके आधार पर वे ओबामा प्रशासन के बारे में स्थापित कर सकते थे कि वह न केवल अयोग्य है वरन चीजों को तोडने मरोडने में भी लगा है। एक बार फिर रोमनी ने ओबामा को ओसामा बिन लादेन से दो दो हाथ करने को लेकर बधाई दी बिना इस बात पर ध्यान दिये कि इससे सीमित लाभ हुआ है क्योंकि अब भी अल कायदा बेनगाजी में अमेरिका के लोगों को मार सकता है।
नीति के संदर्भ में ओबामा ने ईरान के बारे में बयान दिया जो कि ध्यान देने योग्य है, " जब तक मैं अमेरिका का राष्ट्रपति हूँ ईरान परमाणु हथियार नहीं प्राप्त करेगा..... परमाणु सम्पन्न ईरान हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा है और यह इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा है ..... हम इस बात को सुनिश्चित करने के लिये कि ईरान के पास परमाणु हथियार न आये सभी सम्भव विकल्पों को खुला रखेंगे" इसके विपरीत रोमनी ने विस्तार पूर्वक कार्यक्रम के साथ उत्तर दिया ( जैसे कि संकेत दिया कि अहमदीनेजाद को नरसंहार संधि के अंतर्गत लाया जायेगा) परंतु वे इसके समानांतर संकल्प का बयान नहीं दे पाये।
उन सीनेटर की भाँति जिन्होंने कि अपने छह वर्षों में वामपंथी कार्य किया हो परंतु चुनाव के काल में नरमपंथी बन गये हों ओबामा ने इस बहस और अन्य बहस में स्वयं को पूरी तरह उससे भिन्न दिखाया जो कि वे राष्ट्रपति होते हुए हैं। जो भी उनकी विचारधारा के बारे में अधिक नहीं जानता और उनके कार्य को नहीं जानता वह इस बात को अनुभव नहीं कर सकता कि शक्तिशाली अमेरिका उन्हें पसन्द नहीं है। उनका विचार एक राष्ट्रवादी की तरह दिखता है जो जोरदार देशभक्ति पूर्ण बयान देता है ( " मैंने कहा कि यदि हमें बिन लादेन दिख गया तो हम इस अवसर का लाभ उठायेंगे") वे नाटकीय ढंग से सहज बोलते हैं और पूरी तरह सरलतापूर्वक नियंत्रण में दिखते हैं कितने ही लोग इस प्रदर्शन से मूर्ख बन जायेंगे?