इस सायंकाल की बराक ओबामा और मिट रोमनी के मध्य राष्ट्रपति पद की दूसरी बहस से कुछ तथ्यों पर गम्भीर असहमति उभर कर आयी है जिसे कि लगभग कोई भी दर्शक आँक नहीं सकता ( जैसे कि संघीय भूमि पर उत्खनन के लिये लाइसेंस जारी करना) और उन विषयों पर सहमति है जिन पर कि दर्शकों के मजबूत विचार हैं (जैसे कि पूँजीवाद)। सम्भवतः इस बहस से आहियो, वर्जीनिया और फ्लोरिडा में मन नहीं बना पाने वाले मतदाता आंदोलित होंगे परन्तु इस बहस से हम लोगों को यह निर्णय करना है कि हमारा प्रत्याशी कौन होगा? इसे दूसरे रूप से कहूँ तो रोमनी ने वह अवसर गँवा दिया है कि जब उन्होंने व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने के स्थान पर स्वयं को विस्तार में उलझा लिया।
ओबामा इस बात को कहकर बच गये कि उन्होंने बेनगाजी में दूतावास पर हुए आक्रमण को आतंकवादी घटना करार दिया था क्योंकि संचालक ने उनके बिंदु को स्पष्ट किया वास्तव में उन्होंने तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया, "राज्यपाल , आक्रमण के एक दिन उपरांत मैं रोस गार्डेन में उठा और अमेरिका के लोगों से और विश्व से कहा .... यह आतकवादी घटना है" ( वास्तव में उन्होंने इसे सनकपूर्ण हिंसा कहा था) । रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्षन रींस प्रीबस ने तत्काल अवसर का लाभ उठाया और इस गलत बात के लिये फाक्स न्यूज पर ओबामा पर आरोप लगाया कि वह झूठ बोल रहे हैं और उसके बाद अन्य लोगों ने भी ऐसा किया। इस गलती का खामियाजा ओबामा को अगले तीन सप्ताह भुगतना पड सकता है और लीबिया में उनकी भूल उनके पुनर्निर्वाचन में बडी समस्या बन सकती है। इसका महत्व इस बात से अधिक है कि किसने बहस में बाजी मारी।