यदि फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट और उनकी पत्नी येलियानोर वे नौसिखिये थे जिन्होंने कि विश्व पर संयुक्त राष्ट्र संघ का विचार थोपा तो जार्ज एच डब्ल्यू बुश एक राजनीतिक शक्ति के रूप में इसे पुनर्जीवित करने के लिये उत्तरदायी हैं।
1950 से 1990 तक संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के पास शक्ति नहीं थी और सोवियत तथा अमेरिका की सरकार एक के बाद एक मुद्दे पर असहमत होते जाते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि किसी को भी यदि अपनी समस्या का समाधान करना होता था तो इस मंच की अवहेलना करनी होती थी बर्लिन समस्या से वियतनाम युद्ध और अरब इजरायल समझौते में यही हुआ।
अगस्त 1990 में कुवैत पर इराक के आक्रमण ने शीत युद्ध के पश्चात पहला संकट खडा किया । महाशक्तियाँ अनेक प्रकार से इसका समधान निकाल सकती थीं नाटो में " सहमति के गठबंधन से" या फिर एक नये संगठन से लेकिन बुश ( जो कि पहले भी संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका के राजदूत थे निर्णय के लिये इस विषय को सुरक्षा परिषद में ले गये।
उस समय मैंने इस निर्णय का विरोध किया था, यह देखकर कि इसका अर्थ है कि एक अनावश्यक शक्ति में निवेश किया जा रहा है जिससे कि कुवैत का संकट एक नैतिक प्रश्न बन जायेगा और यह राजनीतिक रूप से शत्रुवत संस्था बन जायेगी। बुश के कार्य का यही परिणाम हुआ और हम आज भी इसके दुखद परिणाम को भुगत रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद के मत का इराक, लीबिया और सीरिया पर विशेष प्रभाव है, जिससे कि मास्को में अर्ध अधिनायकवाद और पेकिंग में पूरी तरह अधिनायकवाद की स्थिति है जिससे कि लोकतांत्रिक राज्यों के निर्णय प्रभावित होते हैं।
टिप्पणियाँ
(1) दलगत भावना से परे भूल: एक डेमोक्रेट ने संगठन की स्थापना की और रिपब्लिकन ने इसे आज के शक्तिकेंद्र के रूप में परिवर्तित कर दिया।
(2) प्रति इतिहास : 2003 की इराक विजय का स्वरूप पूरी तरह भिन्न होता यदि संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद नहीं होती।
(3) एक और बुश: जार्ज डब्ल्यू बुश ने अपने पिता की भूल को दुहराते हुए इराक मुद्दे के प्रस्ताव के उपरांत संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद से इसे सुलझाने की अपील की।
(4) सीरिया: सीरिया के राष्ट्रपति को पद छोडने के प्रस्ताव को रूस और चीन द्वारा वीटो किये जाने को देखना काफी दुखद है। कैसे लोकतांत्रिक राज्य अधिनायकवादियों को अनुमति दें कि वे अपने हित में उनकी नीतियों को बाधित करें?
(5) भविष्य: कल्पना करें कि केवल एक अमेरिकी राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद को भंग कर इसके अधिकारों को केवल लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों को हस्तांतरित कर सकता है। रिपब्लिकन प्रत्याशी इस मामले में ठीक हैं जबकि बराक ओबामा तो सुरक्षा परिषद को और अधिक अधिकार प्रदान करेंगे।