उदार फासीवाद विरोधाभासी लगता है या फिर ऐसी शब्दावली है जिसका प्रयोग परम्परावादी उदारवादियों को अपमानित करने के लिए करते हैं। वास्तव में इसे एक सम्मानित और प्रभावशाली वामपंथी एच - जी वेल्स ने ध्वनित किया था जब 1931 में उन्होंने अपने साथी प्रगतिशीलों से कहा कि वे उदार फासीवादी और ‘ ज्ञानवान नाजी बने ’। वाकई
वास्तव में उनके शब्द समाजवाद को फासीवाद के साथ मिलाने की व्यापक परिपाटी में उपयुक्त बैठते हैं। मुसोलिनी एक अग्रणी समाजवादी व्यक्ति था जो प्रथम विश्व युद्ध में अन्तर्राष्ट्रवाद से इटली राष्ट्रवाद की ओर मुड़ गया और फासीवाद का मिश्रण तैयार किया। इसी प्रकार हिटलर ने नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी का नेतृत्व किया ।
यह तथ्य चौंकाने वाला है क्योंकि वे उस राजनीतिक व्यवस्था के विपरीत हैं जिसने 1930 के उपरान्त हमारी विश्व व्यवस्था को स्वरूप दिया है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कम्युनिस्टों को वामपंथी, समाजवादियों, उदारवादियों को मध्यमार्गी उसके उपरान्त परम्परावादियों को और फिर फासिस्टों को दक्षिण पंथी माना जाता है। इस व्यवस्था के सम्बन्ध में जोनाह गोल्डबर्ग ने अपनी गम्भीर, मेधावी और मौलिक नई पुस्तक लिबरल फाजिज्म द सीक्रेट हिस्ट्री आफ द अमेरिकन लेफ्ट फ्राम मुसोलिनी टू द पोलिटिक्स ऑफ मीनिंग में संकेत किया है फासिस्ट एक ऐसा मुहावरा था जिसे स्टालिन ने हर उस व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जिसकी छवि को वह क्षतिग्रस्त करना चाहता था जिसमें त्रास्त्की, चर्चिल और रूसी किसान थे और साथ ही यह वास्तविकता को तोड़ने – मरोड़ने के लिए था। 1946 में जार्ज आरवेल ने लिखा था कि फासीवाद अस्वीकार्य है।
फासीवाद को इसकी पूरी अभिव्यक्ति में समझने के लिए स्टालिन द्वारा इसकी गलत व्याख्या और नरसंहार से परे देखना होगा और इसके बजाय उस समयावधि की ओर लौटना होगा जो गोल्डबर्ग के अनुसार ‘फासीवाद समय ’ है यह समय 1910-31 का है। एक विचारधारा के रूप में फासीवाद राजनीति को एक उपक्रम के रूप में प्रयोग कर समाज को इस प्रकार बदल देता है कि वहाँ व्यक्ति एक महत्वपूर्ण व्यवस्था बन जाता यह ऐसा राज्य के ऊपर व्यक्ति को स्थापित कर लोकतन्त्र के ऊपर विशेषज्ञान डालकर बहस के स्थान पर लादी हुई सर्वानुमति तथा पूँजीवाद के स्थान पर समाजवाद को स्थापित कर कर पाते हैं । इस शब्दावली का मुसोलिनी के अर्थ था “ सब कुछ राज्य कुछ भी बाहर नहीं और कुछ भी राज्य के विरूद्ध नहीं ”। फासीवाद का संदेश निचले स्तर तक जाता है ‘ पर्याप्त बातचीत , अधिक कार्रवाई ’। इसकी अन्तिम अपील होती है कि चीजें हो जायें। इसके विपरीत परम्परावाद सीमित सरकार, व्यक्तिवाद , लोकतान्त्रिक बहस और पूँजीवाद की बात करता है इसकी अपील है स्वतन्त्रता और नागरिकों को अकेला छोड़ा जाना।
गोल्डबर्ग की सफलता इस बात में निहित है कि वे कम्युनिज्म , फासीवाद और उदारवाद के सम्बन्ध स्थापित कर पाते हैं। सभी एक समान परम्परा से अपनी प्रेरणा ग्रहण करते हैं जो फ्रांसीसी क्रान्ति के जिकोबिन हैं। उसकी परिवर्धित राजनीतिक क्षितिज राज्य की भूमिका पर जोर देता है और अमेरिका, इटली , जर्मनी , रूस, चीन और क्यूबा सहित अनेक देशों में अनेक रूपों में स्वतन्त्रतावाद से परम्परावाद और फिर फासीवाद तक आता है।
इस सूची के आधार पर प्रतीत होता है कि फासीवाद लचीला है। विभिन्न पुनरावृत्तियाँ अपनी विशेषता में अलग भले हों परन्तु उनमें एक ही भावत्मक जुड़ाव है। मुसोलिनी ने समाजवादी को एजेण्डे से छेड़ छाड़ कर राज्य पर जोर दिया , लेनिन ने कर्मचारियों को अग्रणी भूमिका में रखा , हिटलर ने इसमें नस्ल जोड़ दिया। यदि जर्मनी का संस्करण (जिसे गोल्डबर्ग उदार फासीवाद कहते हैं) युद्ध विरोधी है। इस बिन्दु पर गोल्डबर्ग इतिहासकार रिचर्ड पाइप्स को उद्धत करते हैं “ बोल्शेविकवाद और फासीवाद समाजवाद के विद्रोही थे ”। वे संगम को दो प्रकार से सिद्ध करते हैं –
पहला, वे अमरिका वामपंथ का गोपनीय इतिहास प्रस्तुत करते हैं –
बुडरो विल्सन का प्रगतिशीलवाद सैन्यवाद , उन्मादी राष्ट्रवाद , साम्राज्यवाद और नस्लवाद कार्यक्रम पर आधारित था जो कि प्रथम विश्व युद्ध की आवश्यकताओं से उपजा था।
फैंकलिन डी. रूजवेल्ट की “ फासीवादी नई डील बनी और विल्सन की सरकार को आगे बढ़ाया।
लिण्डन बी. जानसन के महान समाज ने आधुनिक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की जो इस परम्परा का अन्तिम उद्देश्य है।
1960 के युवा वामपंथी क्रान्तिकारियों ने यूरोप के पुराने दक्षिण पंथ का अमेरिकन संस्करण प्रस्तुत किया ।
हिलेरी क्लिंटन राज्य को गहऱाई से पारिवारिक जीवन में समाहित करना चाहती हैं जो कि अधिनायकवादी प्रकल्प के लिए आवश्यक कदम है।
यदि एक शताब्दी के इतिहास को संक्षेप में देखें तो यदि अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था ने परम्परागत ढंग से प्रसन्नता के स्तर को बढ़ाया है तो हममें से अधिकांश लोग इसका पीछा के स्थान पर इसे परिणाम दिखाने दें।
दूसरा गोल्डबर्ग अमेरिका के उदारवादी कार्यक्रम का बारीकी से अध्ययन करते हैं नस्लवादी , आर्थिक , पर्यावरणिक और यहाँ तक कि उसके अंगभूत घटकों के आधार पर उसका जुड़ाव मुसोलिनी और हिटलर से दिखाते हैं।
यदि यह संक्षेप जटिल और मस्तिक को प्रिय नहीं लगता तो लिबरल फासिज्म को पूरा पढ़िये ताकि इसके आकर्षक उद्धरण और अधिक समझाने वाले दस्तावेज मिलें।लेखक को एक तेज वाद-विवाद वाले व्यक्ति के रूप में तो जाना जाता था परन्तु उन्होंने स्वयं को एक प्रमुख राजनीतिक चिन्तक भी सिद्ध कर दिया है।
आधुनिक राजनीति को समझने के पूरी तरह अलग तरीके के अतिरिक्त जिसमें फासीवाद समाजवाद की अपेक्षा एक गाली है, गोल्डबर्ग की साधारण पुस्तक से परम्परावादियों को एक हथियार मिल गया जहाँ वे उदारवादियों के प्रति आक्रामक ढंग से प्रहार कर सकते हैं। यदि उदारवादी कभी जोसेफ मैकार्थी की बात उठाते हैं तो परम्परावादी बेनिटो मुसोलिनी से उसका प्रत्युत्तर दे सकते हैं।