अरब की क्रूरता और हिंसा प्रायः पश्चिमावासियों को परेशान कर देती है।
केवल हिज्बुल्लाह के नेता यह दावा नहीं करते , "हमें मृत्यु से प्रेम है" लेकिन अन्य भी ऐसा करते हैं, उदाहरण के लिये पिछले माह 24 वर्ष के एक युवक ने न्यूयार्क शहर के ब्रांक्स व्हाइटस्टोन पुल से अपने कार लडा दी और चिल्लाया, " हम मृत्यु से उससे अधिक प्रेम करते हैं जितना तुम जीवन से करते हो" ।इसी प्रकार सेंट लुइस में दो अभिभावकों ने अपनी टीन एज पुत्री को आनर किलिंग के तहत तेरह बार चाकू से वार करते हुये वह फिलीस्तीनी पिता शोर मचाकर चिल्लाया , "मेरी पुत्री शीघ्र मर जा , शीघ्र मर जा, शांत हो जा मेरी छोटी मेरी पुत्री मर जा" और स्थानीय अरब समुदाय ने ह्त्या के अभियोग लगने पर उनका समर्थन किया। अभी हाल में अबू धाबी के राजकुमार ने एक गल्ला व्यापारी को धोखाधडी का आरोप लगने पर प्रताडित किया जबकि यह प्रताडना का वीडियो टेलीविजन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित हुआ तो भी राजकुमार को छोड दिया गया जबकि आरोपियों को दण्डित किया गया।
बडे स्तर पर एक आँकडे के अनुसार 11 सितम्बर के बाद से 15,000 आतंकवादी आक्रमण हो चुके हैं। अरब भाषी तमाम देशों की सरकारें कानून के शासन के स्थान पर क्रूरता पर आश्रित रहती हैं। इजरायल को नष्ट करने का प्रयास चलता रहता है चाहे भले ही नये नये विद्रोह सामने आते रहें सबसे नया विद्रोह तो यमन में भडका है।
अरब राजनीति के मनोविज्ञान की व्याख्या करने के अनेक प्रयास हुए हैं इनमें से व्यक्तिगत रूप से मेरी पसन्द में डेविड प्रिस जोंस और फिलिप सल्जमान का अध्ययन है । इसमें वीकली स्टैंडर्ड के मध्य पूर्व के संवाददाता ली स्मिथ की रोचक और मह्त्वपूर्ण व्याख्या The Strong Horse: Power, Politics, and the Clash of Arab Civilizations भी शामिल हो गयी है।
स्मिथ ने वर्ष 2001 के ओसामा बिन लादेन के वक्तव्य को साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया है, " जब लोग एक कमजोर घोडे और शक्तिशाली घोडे को देखते हैं तो वे स्वभावतः शक्तिशाली घोडे को पसंद करते हैं" । स्मिथ जिसे शक्तिशाली घोडे का सिद्धांत कहते हैं वह दो पुराने तत्वों पर आधारित है : शक्ति प्राप्त करो और उसे लगातार बनाये रखो। यह सिद्धांत इसलिये प्रभावी है क्योंकि अरब के सार्वजनिक जीवन के पास , " शक्ति के हस्तांतरण या विभाजन या संक्रमण की शांतिपूर्ण प्रकिया नहीं है इसलिये वे राजनीतिक संघर्ष को शक्तिशाली घोडों के मध्य युद्ध के रूप में देखते हैं" । स्मिथ को लगता है कि, " अरब भाषी मध्य पूर्व में राजनीति, समाज और संस्कृति में हिंसा प्रमुख तत्व है" । वे इसके आगे शक्तिशाली घोडे पर नजर रखते हैं तो त्रिकोणीय और सघन दाँव को देख पाते हैं।
स्मिथ का कहना है कि "अरब भाषी मध्य पूर्व के मूलभूत स्वभाव को" शक्तिशाली घोडे के सिद्धांत ने निर्धारित किया है न कि पश्चिमी साम्राज्यवाद या जायोनिज्म ( इजरायलवाद) ने । इस्लाम मत भी अपने आप को शक्तिशाली घोडे के आग्रह की प्राचीन परिपाटी के अनुसार उपयुक्त पाता है और फिर उसे आगे बढाता है। मुहम्मद इस्लाम के पैगम्बर एक शक्तिशाली व्यक्ति भी थे साथ ही एक धार्मिक व्यक्तित्व भी। सुन्नी मुसलमानों ने सदियों तक उत्पीडन, हिंसा और शक्ति के आधार पर शासन किया। इब्न खाल्दुन की प्रसिद्ध ऐतिहासिक धारणा तो हिंसा के चक्र की पुष्टि करती है जब शक्तिशाली घोडों ने कमजोर का स्थान ले लिया। धिम्मियों का अपमान हमें प्रतिदिन उन गैर मुस्लिमों की याद दिलाता है जो शासन करते हैं।
स्मिथ के माध्यम से आधुनिक मध्य पूर्व की अंतर्द्ष्टि मिलती है। वे पैन अरब या समस्त अरब राष्ट्रवाद को एक प्रयास के रूप में देखते हैं जहाँ राष्ट्र राज्य के छोटे घोडों को एक विशाल घोडे के रूप में परिवर्तित किया जा सके और इस्लामवाद को मुसलमानों को पुनः शक्तिशाली बनाने के प्रयास के रूप में प्रयोग किया गया। अमेरिका और सउदी अरब के प्रखंड की ईरान के प्रखंड के साथ शीत युद्ध की प्रतिस्पर्धा में इजरायल " छ्द्म शक्तिशाली घोडा" के रूप में आता है। शक्तिशाली घोडा के वातावरण में उग्रवादी और सेना चुनावों से अधिक लोकप्रिय होते हैं। किसी शक्तिशाली घोडे के अभाव में उदारवादी अरब कुछ ही प्रगति कर पाते हैं। अमेरिका के गैर अरब और गैर मुस्लिम सर्वाधिक शक्तिशाली देश होने के चलते अमेरिका विरोध अवश्यंभावी और स्वाभाविक हो जाता है।
इसी आधार पर हम गैर अरब कर्ताओं की नीतियों को देख पाते हैं जबतक कि वे शक्तिशाली नहीं हैं और वास्तविक रूप में सत्ता में रहने की सम्भावना दिखा पायें। स्मिथ इस बात पर जोर देते हैं यही कारण है दक्षिणी लेबनान या गाजा से एकतरफा वापसी का निर्णय तो असफल होना ही था। जार्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन ने सही ही लोकतांत्रीकरण का प्रकल्प आरम्भ किया था जिससे कि भारी आशा जगी थी लेकिन बाद में अरब के उदारवादियों ने धोखा दिया और इसे आगे नहीं बढाया। इराक में प्रशासन ने इस सलाह की अवहेलना की कि लोकातान्त्रिक मस्तिष्क के शक्तिशाली व्यक्ति को बैठाया जाये।
अधिक विस्तार में, जब अमेरिकी सरकार सिकुडती है तो अन्य लोगों ( ईरानी नेतृत्व को) " क्षेत्र पर अपने निर्णय थोपने का अवसर" प्राप्त होता है। लेबनान के नेता वालिद जुम्बलाट ने आधे अधूरे मन से सलाह दी वाशिंगटन को " दमिश्क कार बम भेजकर" बाहर अपना संदेश पहुँचाना चाहिये और अरब तरीके को समझने के संकेत देना चाहिये।
स्मिथ का सामान्य और लगभग वैश्विक सिद्धांत हमें वह औजार प्रदान करता है जिसके आधार पर अरब सम्प्रदाय के मौत, आनर किलिंग, आतंकवादी आक्रमण , युद्ध और भी बहुत कुछ को समझा जा सकता है। वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि शक्तिशाली घोडे का सिद्धांत पश्चिम वासियों को अत्यंत कठोर प्रतीत होगा लेकिन वह सही ही कहते हैं कि यह वास्तविकता है जिसे स्वीकार किया जाना चाहिये , इस पर ध्यान दिया जाना चाहिये और इसका उत्तर देना चाहिये।