लोकलुभावनवाद ने पश्चिम में काफी प्रगति की है| परन्तु इसकी दिशा भ्रमित है और मैं इस बात को लेकर अधिक आशान्वित हूँ कि यह असफल होगा|
लोकलुभावनवाद की कोई स्तरीय परिभाषा नहीं है, परन्तु इसके अंतर्गत सदैव कुछ अंशों में धनी और शक्तिशाली लोगों को नीचा दिखाते हुए , सामान्य जन को अधिक धार्मिक और निर्दोष बताते हुए उसकी प्रशंसा की जाती है|
लोकलुभावनवादियों की ओर से कुलीन वर्ग को लोभी , विशेषाधिकार वाला और शोषक सिद्ध करने के लिए उन पर भद्दे आरोप लगाए जाते हैं| उनका तर्क होता है कि यदि सामान्य वर्ग को आंदोलित किया जाए तो यह वर्ग शासक वर्ग को अपदस्थ कर देगा , उसे भगा देगा और अपने सही अंश का दावा कर सकेगा |
संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकलुभावनवाद का वामपंथी और दक्षिणपंथी स्वरुप है और इनका नेतृत्व क्रमशः बर्नी सेंडर्स और डोनाल्ड ट्रम्प कर रहे हैं, वामपंथियों का ध्यान अधिकतर धन पर होता है( बर्नी सेंडर्स का आह्वान है कि वाल स्ट्रीट के 1 प्रतिशत कर कब्जा करो), जबकि दक्षिणपंथी आंतरिक प्रभाव पर आक्रमण करते हैं ( टी पार्टी का आरोप और स्टीव बेनन के अनुसार राज्य व्यवस्था में में गहरे समाये कुलीन वर्ग ) | अनेक अवसरों पर वे एक समान शत्रु पर सहमत होते हैं और वह है भूमंडलीकरणवादी |
लोकलुभावनवाद को षड्यन्त्रकारी सिद्धांतों पर आधारित नहीं होना चाहिए , परन्तु यह प्रायः ऐसा करता है जैसे ये लोग बड़े आराम से इस बात की व्याख्या कर देते हैं कि किस प्रकार कुछ चन्द लोग धन और प्रभाव का उपभोग कर रहे हैं| इसी प्रकार आवश्यक नहीं है कि यह सेमेटिक विरोधी भाव में बदल जाये परन्तु इस बात का प्रलोभन सदैव विद्यमान रहता है कि यहूदियों को धनी या प्रभावशाली के रूप में चिन्हित किया जाए या फिर उन्हें दोनों ही मानकर उन्हें चिन्हित किया जाये |
मैं लोकलुभावनवादी नहीं हूँ | मैं अपनी समस्याओं के लिए धनी या अफसरशाही को दोष नहीं देता बल्कि मैं वामपंथ को दोष देता हूँ |
करीब ढाई शताब्दी से वामपंथ खतरनाक विचारों का प्रेरक रहा है , समाजवाद इसमें सबसे बड़ा विचार है पर इसके अतिरिक्त अनेक और भी हैं , जिसमें भलाई के नाम पर क्रूरता , समानता के स्थान पर स्वतंत्रता पर जोर , प्रशासनिक राज्य, व्यक्तिगत है तो राजनीतिक है, जलवायु परिवर्तन के लिए मानव को दोषी मानना , श्वेत अपराध बोध, सबके लिए विवाह की अनिवार्यता और " संतानमुक्त" आन्दोलन|
कुछ अरबपति और सीनेटर निश्चय ही इन बुरी आदतों को धारण करते हैं , परन्तु अधिकतर नहीं | जार्ज सोरोस और एलिजाबेथ वारेन ऐसे बुरे व्यवहार के लोग हैं परन्तु शेल्डन अडेल्सों और टेड क्रूज़ ऐसे नहीं हैं| किसी का धनी होना या शक्तिशाली होना समस्या नहीं है परन्तु उसका दृष्टिकोण महत्व का विषय है| इसलिए बिना किसी भेदभाव के कुलीन वर्ग को निशाना बनाया जाना एक भूल है|
इसके अतिरिक्त , कुलीन वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है : अधिकतर धनी लोग दौलत का निर्माण करते हुए अपना धनोपार्जन करते हैं और सरकार को संचालन के लिए अफसरशाही पर निर्भर रहना होता है | इसे नष्ट करने से अपूर्णनीय क्षति होगी; उदाहरण के लिए वेनेजुएला की ओर देखें और कल्पना करें कि जेरेमी कार्बन का वामपंथी लोकलुभावनवाद यूनाइटेड किंगडम का क्या हाल करेगा| ( एक शीर्षक के अनुसार यदि लेबर की विजय होती है तो अतिशय अमीर लोग कुछ ही मिनटों में यू के छोड़ने को तैयार हैं)|
सर्वोच्च न्यायालय ने भी लोकलुभावनवादी आक्रोश की एक सीमा दिखाई है | लगभग परिभाषा के अनुसार न्यायालय के नामित कुलीन और प्रबुद्ध वर्ग से आते हैं| ( जी हेराल्ड कार्सवेल ने 1970 में इसे स्थापित किया था) किसी भी न्यायाधीश का विशेषाधिकार और किसी दलाल का खाता अधिक मायने नहीं रखता जितना अपने विचार को प्रकट करने की उसकी योग्यता और उसकी समझदारी |
अभी हाल में सम्पादक के नाम पत्र में आनंद आया | यह एक लेख के सम्बन्ध में था जो चार्ल्स केसलर की संपादित पुस्तक Claremont Review of Books में क्रिस्टोफर डेमुथ का लेख था| इस लेख में डेमुथ ने दो जटिल आदर्श व्यवस्था कहीं भी ( मिश्रित महानगरों, शिक्षित , मोबाइल और नेटवर्क से जुड़े) और कुछ जगह ( जड़ों से जुड़े .... परिवारों में , पड़ोस में क्लबों और धर्मों में ) की दी | यह काफी प्रभावी था केवल इसे छोड़कर कि डेमुथ लेखक, केसलर सम्पादक और मैं पाठक ( तीनों हार्वर्ड से डिग्री प्राप्त हैं) जो कुछ जगहों के विचार को धारण करते हैं परन्तु इसी कारण तीनों को एक बार फिर एक ही रूप में देखने का भ्रम होता है |
ट्रम्प को ( पेन, 68 , एन बी सी फ़ोर्ब्स #275) कुछ अर्थों में लोकलुभावनवादी माना गया है| यही कारण है कि उनके कुछ अर्थों में ही लोकलुभावन होने से बेनन कुंठित हो गए और उनके प्रशासन से से बाहर आ गए| ट्रम्प कुलीन मीडिया और खुफिया एजेंसियों को निशाना बनाते हैं परन्तु धनिको को नहीं ( निश्चित रूप से क्योंकि वे भी उनमें से एक हैं) और न ही यहूदियों को|
लोकलुभावनवाद एक जटिल समस्या की आसान प्रतिक्रिया है| नस्लवाद की भांति यह विविध जनसंख्या को एक ही चरित्र के साथ जोड़ती है जो गलत है| नस्लवाद की भांति यह एक अज्ञान है, दुष्ट भावुकता है जो कि झूठ पर आधारित है और अपने आधार को बनाए रखने के भाव को संतुष्ट करता है| इससे समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता बल्कि यह समस्या बढ़ाता है|
क्या आप संयुक्त राज्य की दिशा से असंतुष्ट हैं? तो अपना ध्यान असली समस्या की ओर दीजिये , वामपंथी कुलीन ,राजनेता, अफसरशाही, पत्रकार , बुद्धिजीवी ,अध्यापक कलाकार आदि| वामपंथियों ने हमें सोवियत संघ दिया, कम्युनिष्ट चीन दिया, क्यूबा की त्रासदी दी, कम्बोडिया और वियतनाम दिया| आज के समय में यह पूरी सक्रियता से यूरोप को नष्ट कर रहा है| वारेन अमीर टैक्स लगाना चाहते हैं , तेल और गैस निकालने पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं , स्वास्थ्य देखभाल पर सरकार का नियंत्रण चाहते हैं और निर्वाचक मंडल को समाप्त करना चाहते हैं|
इसलिए होशियार बनिए और वामपंथ का विरोध करिए न कि कुलीन वर्ग का |