अभी हाल में चार मुस्लिम युवकों के संबंध में तैयार किए गए आरोप पत्र के आधार पर अक्टूबर के आरंभ में यहुदियों के बड़े अवकाशों के अवसर पर लॉस एंजेल्स के चार गिरिजाघरों सहित कुछ अन्य स्थलों पर आतंकी हमले का पर्दाफाश हुआ है .
कानून प्रवर्तक संस्थाओं के अनुसार इस षड्यंत्र की योजना 1997 से बननी आरंभ हो गई थी. उस समय सैक्रमिन्टो कालिफ के न्यू फोल्सम जेल के अश्वेत कैदी केबिन लामर जेम्स ने जमायत – उल –इस्लाम इस शहीह नामक संगठन की रचना की . इसका अर्थ हुआ
“ प्रामाणिक इस्लाम .” आरोप पत्र के अनुसार जमायत उल इस्लाम अमेरिकी जेलों में स्थापित इस्लाम का जेहादी संस्करण है . 29 वर्षीय जेम्स शिक्षा देता है कि जमायत इस्लाम के सदस्यों का कर्तव्य है कि वे अमेरिकी सरकार , यहूदियों और गैर – यहूदी इजरायल समर्थक सरकारों तथा इस्लाम के शत्रुओं व काफिरों को हिंसक हमले का शिकार बनायें.
1996 में एक डकैती के आरोप में 10 वर्ष के कारावास की सजा काट रहे जेम्स ने साथी कैदियों में से कार्यकर्ताओं की भर्ती करते हुए उनसे आज्ञा पालन व जमायत इस्लाम की पहचान को गुप्त रखने का संकल्प कराया . इन कैदियों ने जेल से रिहा होने के बाद प्रति तीन महीने पर जेम्स से निर्देशन लेने का , जमायत में मुसलमानों की भर्ती करने का और सरकारी अधिकारियों तथा इजरायल समर्थकों पर हमले करने का वचन दिया.
25 वर्षीय लेबर हेनी वाशिंगटन ने 1999 में हमले और डकैती के आरोप में 6 वर्ष की सजा पूरी करने से ठीक पहले नवंबर 2004 को न्यूफोल्मस जेल में जमायत इस्लाम की सदस्यता ली और जेम्स के लक्ष्य के प्रति वचनबद्धता दर्शायी . वाशिंगटन ने जेल से रिहा होने के तत्काल बाद लॉस एंजेल्स स्थित जमायते मसीजिदुल इस्लाम मस्जिद में सदस्यों की भर्ती शुरु कर दी . वाशिंगटन ने अपने संगठन में जिस एक व्यक्ति को भर्ती करने का प्रयास किया था उसने बताया कि उसकी ( वाशिंगटन )दृष्टि में ओसामा बिन लादेन के लिए बड़ा सम्मान है.
अब जेम्स सहित तीन लोग अमेरिका की सरकार के खिलाफ आतंकवाद के माध्यम से युद्ध छेड़ने के षड्यंत्र के आरोप में आजीवन कारावास का दंड भुगतेंगे.
इन तीन में से जेम्स के अतिरिक्त दो अन्य युवकों में एक 21 वर्षीय पाकिस्तानी आप्रवासी और शांतामोनिका कॉलेज
का विद्यार्थी हम्माद रियाज समाना और दूसरा अश्वेत धर्मान्तरित ग्रेगरी वरनन पैटरसन है जो लॉस एंजेल्स के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की एक दूकान पर काम करता था और इन दोनों का ही कोई आपराधिक इतिहास नहीं है . इन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के पांच तरीके ढूंढे. इन्होंने अमेरिकी सरकार के ठिकानों ( सेना भर्ती केन्द्रों और सैन्य ठिकाने ) इजरायली ठिकानों और यहूदी ठिकानों की तहकीकात की .आरोप पत्र के अनुसार इन तीनों ने यहूदी कैलेन्डर की अच्छी तरह जांच की और यहूदी अवकाश के दिनों में गिरिजाघरों पर हमले की योजना बनाई ताकि अधिकतम् क्षति पहुंचाई जा सके . इन्होंने हथियारों की खेप प्राप्त कर ली .इस खेप के लिए पैसा जुटाने के लिए इन्होंने अपराध का सहारा लिया तथा 30 मई के बाद 11 गैस स्टेशनों पर डकैती डाली . शारीरिक और हथियार के प्रशिक्षण भी प्राप्त किए .
एक गैस स्टेशन की डकैती के दौरान पैटरसन् ने अपना सेल फोन गिरा दिया जो पुलिस को मिल गया.इस फोन से प्राप्त जानकारी की जाँच के लिए एफबीआई के नेतृत्व में 25 एजेन्सियों और 50 जांचकर्ताओं का सहयोग लिया गया .5 जून को चेवरान गैस स्टेशन पर डकैती के बाद पुलिस ने पैटरसन् और वाशिंगटन को गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस हरकत में आई , वाशिंगटन के घर से बुलेट प्रूफ सामान , चाकू , जेहाद संबंधी साहित्य तथा आक्रमण के संभावित शिकार लोगों के पते मिले . पैटरसन् ए आर 15 राइफल प्राप्त करने के प्रयास में था.
जमायत इस्लाम की इस कहानी के कुछ चिंता जनक निष्कर्ष हैं यद्यपि एटॉर्नी जनरल अलबर्टो आर गोंजालेस ने सरकार के सभी स्तर पर जांच कर्ताओं के योग्य कृत्य की भरपूर सराहना की है लेकिन कानून प्रवर्तक संस्थाओं को जमायत इस्लाम संगठन के संबंध में कोई भनक नहीं थी जैसे ब्रिटेन को 7 जुलाई के बम विस्फोट की .यदि सौभाग्यवश सेल फोन नहीं गिर जाता तो शायद जिहादियों को सफलता मिल गई होती . यह अत्यंत दुखद है कि किस प्रकार कानून प्रवर्तक संस्थायें अपनी अयोग्यता के बाद भी अपनी पीठ ठोंक रहीं हैं. अमेरिका की जेलें फ्रांस के बेनलियू की भांति ही इस्लाम की आपराधिक शाखा की भर्ती का केन्द्र ब गई हैं.फ्रेंक गेफनी का निष्कर्ष है कि न्यू फोलमस षड्यंत्र ने हमें हमारी बेबस स्थिति से हमें जगा दिया है .वास्तव में ऐसा होगा क्या.2003 में जेल के अंदर जिहाद पर सीनेट में हुई बहस से जरुर कुछ परिणाम सामने आए थे .
प्राथमिक रुप से अफ्रीकन अमेरिकन इस्लामवादी आतंकवादी सेल के विकास की परंपरा कुछ संकेत देती है . अमेरिका में पैदा हुए लोगों ने इससे पहले भी आतंकवादी गतिविधियों में भाग लिया है लेकिन इस मामले से उनका बड़े पैमाने पर षड्यंत्र सामने आता है .आतंकवादियों का जो षड्यंत्र विफल हो गया उसे समाचार पत्रों ने मुख्य सामाचार नहीं बनाया परंतु ऐसा होना चाहिए था .यह काफी नजदीकी मामला था. घर में पला बढ़ा कट्टरपंथी इस्लाम नजदीक आ चुका है और यह नुकसान जरुर पहुंचाएगा .
हालांकि अधिकांश यहूदी इस बात को स्वीकार करने से इंकार करते हैं लेकिन मुसलमानों के भय ने अमेरिका में यहूदियों के जीवन में बदलाव ला दिया है . अमेरिका की यहूदि सामूहिकता का स्वर्णिम अध्याय अब समाप्त होने वाला है .