अमेरिका के राष्ट्रपति पद के प्रचार के अंतिम दिनों में सीनेटर केरी ने यह कहकर कि मैं आतंक के विरुद्ध उससे अच्छा युद्ध लड़ सकता हूं जैसा कि इस समय बुश लड़ रहे हैं , मतदाताओं को स्मरण करा दिया है कि पूर्व की भांति इस समय भी इस दौड़ में प्रमुख मुद्दा यही है कि आतंकवाद से अमेरिका के लोगों की बेहतर रक्षा कौन कर सकता है ?
बहुत से बिन्दुओं के साथ दोनों के मध्य जो मूलभूत अंतर है वह है राष्ट्रपति बुश और केरी के मध्य चरित्र का अंतर .एक ओर चुनौती देने वाला जहां बार –बार अपना दिमाग बदलता है वहीं राष्ट्रपति एक स्थिति पर टिके हुए हैं.
कुछ अवसरों पर केरी बुश जैसी शब्दावली का प्रयोग करते हैं . उदाहरण के लिए सितंबर 2004 में उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को शीत युद्ध की भांति गंभीर बताया . इस मनोभाव में उन्होंने भविष्यवाणी कर डाली कि इस युद्ध का परिणाम बतायेगा कि हम और हमारे बच्चे स्वतंत्रता में जीते हैं या भय में.
यद्दपि अनेक अवसरों पर श्री केरी युद्ध और उसके महत्व को अस्वीकार कर देते हैं . जनवरी 2004 में आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को स्वीकार करते हुए उन्होंने इसे समय – समय पर सैन्य युद्ध मानते हुए कहा कि यह लंबा चलेगा और इसका वर्णन किया कि मूल रुप में यह खुफिया और कानून प्रवर्तन अभियान है . तब से अब तक अनेक बार वे इस आतंकवाद को संघर्ष मानकर न कि युद्ध मानकर उठा चुके हैं. जहां तक याद पड़ता है उन्होंने इस महीने के आरंभ में एक साक्षात्कार में यही विषय उठाया है .
“ हमें फिर से उस स्थान पर लौटना है जहां हमारे जीवन का ध्यान केवल आतंकवादियों पर नहीं होगा .वे शोरगुल करने वाले लोग हैं .एक पूर्व कानून प्रवर्तक व्यक्ति होने के नाते मैं जानता हूं कि हम वेश्यावृत्ति को कभी समाप्त नहीं कर पायेंगे .हम अवैध जुआ समाप्त नहीं कर पायेंगे . लेकिन हम इसे कम कर सकते हैं और उस सीमा तक संगठित कर सकते हैं जहां से यह बढ़ न सके .क्या यह लोगों के जीवन को रोज खतरा उत्पन्न नहीं करता .क्या यह ऐसी चीज नहीं है जिससे हमें रोज लड़ना पड़ता है लेकिन यह हमारे जीवन के सूत्र को खतरा उत्पन्न नहीं कर रहा है .”
इससे पता चलता है कि केरी अस्थिर व्यक्ति हैं, एक समय तो वे आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को शीत युद्ध की भांति ऐतिहासिक घटना के रुप में चित्रित करते हैं तो दूसरे क्षण उनके लिए यह छोटी चीज हो जाती है जिसकी तुलना वेश्यावृत्ति और अवैध जुआ से की जा सकती है .इसके विपरीत श्री बुश ने 11 सितंबर से ही उस दिन जो कुछ घटा उसकी गंभीरता से चर्चा की उसके बाद से ही वे लंबे वैचारिक संघर्ष की बात करते आए हैं जिसमें अधिनायकवादी स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए आतंक का उपयोग कर रहे हैं. उनके अनुसार शत्रु का उद्देश्य अमेरिका को नष्ट करने से कम कुछ नहीं है . बुश निश्चित रुप से स्थिर हैं. कुछ लोगों ने उनपर हठी होने का आरोप लगाया है और उन्होंने निश्चित रुप से आतंकवाद को हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती माना है .
जहां तक केरी के आतंकवाद को शोर-गुल मानने की बात है तो बुश ने अधीरता पूर्वक कहा कि अब और अधिक असहमति क्या हो सकती है .? उन्होंने इसपर टिप्पणी की कि हमारा उद्देश्य आतंकवाद को कम करके शोरगुल के स्तर तक लाने का नहीं है . हमारा उद्देश्य आक्रामक बनकर आतंकवाद को पराजित करना है . आतंकवादियों को नष्ट करना है तथा स्वतंत्रता और मुक्ति को समस्त विश्व में फैलाना है . इससे भी अधिक विस्तृत रुप में उन्होंने कहा कि केरी ने मौलिक रुप से आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को ठीक से नहीं समझा है.
केरी के पक्ष के अन्य लोग भी युद्ध की धारणा का तिरस्कार करते हैं.डेमोक्रेट की ओर से संभावित गृह मंत्री रिचर्ड होलब्रुक ने कहा कि “शाब्दिक अर्थो में हम आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की स्थिति में नहीं है .यह तो वैसे ही है जैसे गरीबी के विरुद्ध युद्ध .यह एक रुपक है ” . इसका उत्तर देते हुए बुश ने कहा “ यदि कोई सोचता है कि हम रुपक से लड़ रहे हैं तो हम अपने शत्रु को नहीं समझ पा रहे हैं और न ही हमें अंदाजा है कि युद्ध कैसे जीता जाए और अमेरिका के लोगों को सुरक्षित रखा जाए...”
अंत में यह विषय व्यक्तिगत अनुभव का भी है. एक प्रश्न के उत्तर में कि 9-11 ने उन्हें किस प्रकार परिवर्तित किया है.. केरी ने कहा कि इसने मुझे परिवर्तित नहीं किया है . इसके विपरीत बुश ने अत्यंत गंभीरता पूर्वक इस बात पर जोर दिया कि उस दिन की घटना ने उनके सोच और उद्देश्य को ही बदल दिया है. मैंने स्वयं से और लोगों से प्रतिज्ञा की कि 11 सितंबर की घटना को कभी नहीं भूलूंगा .
फ्रेड बार्नेस ने अत्यंत सारगर्भित तरीके से कहा है कि जार्ज बुश 12 सितंबर के व्यक्ति हैं जबकि जॉन केरी 10 सितंबर के .
अमेरिका के मतदाताओं को अगले सप्ताह बहुत गंभीर चुनाव करना है कि वे 11 सितंबर से पूर्व कानून प्रवर्तन पर मॉडल पर लौटना चाहते हैं या फिर उस दिन से ही जारी युद्ध के मॉडल को जारी रखना चाहते हैं. अमेरिका के लोगों के लिए ऐतिहासिक निर्णय का अवसर है कि क्या वे इस्लामिक आतंकवाद के भौतिक खतरे के प्रति गंभीर हैं.यह एक ऐसा भी जनादेश है जो समस्त सभ्य विश्व की ओर से लिया जाने वाला है . इसलिए बहुत कुछ दांव पर लगा है .