क्या कानून प्रवर्तकों को मुसलमानों की रुपरेखा तैयार करनी चाहिए या नहीं?
अमेरिका एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसका उत्तर नकारात्मक ढंग से दिया है . पिछले सप्ताह जारी की गई रिपोर्ट में इसमें जोर दे कर कहा गया है कि कानून प्रवर्तकों द्वारा नस्ल, धर्म , मूलदेश , नस्लीय व धार्मिक रुप रेखा को छद्म रुप से आपराधिक संदेह में प्रयोग करने से अमेरिका के 3 करोड़ 20 लाख लोगों को क्षति पहुंची है . इसने यहां तक दावा किया कि इस प्रयास से राष्ट्रीय सुरक्षा भी कमतर होती है.
कानून प्रवर्तन ने निश्चय ही स्पष्ट रुप से रुपरेखा के किसी भी प्रकार का खंडन किया है. परंतु मैं एमनेस्टी की बात से सहमत हूं कि रुपरेखा तैयार की जा रही है .विशेषरुप से आतंक के संदेही उनलोगों की जिन्हें गिरफ्तार करने का कोई कारण नहीं है और जो किसी अपराध के उपयोगी साक्ष्य हैं.
अब्दुल्ला अल किद्स नामक इस्लाम में धर्मान्तरित उस अमेरिकी व्यक्ति का ध्यान करिए जिसे 2003 के आरंभ में उपयोगी साक्ष्य के रुप में गिरफ्तार किया गया था और फिर दो सप्ताह बाद छोड़ दिया गया था . एक एफ.बी .आई के सुपरवाइजर नार्म ब्रउन ने इस गिरफ्तारी के तीन कारण दिए हैं.
- जिहाद नाम को वेबसाइट पर किद्स की रुचि थी.एफ.बीआई ने इसकी व्याख्या पवित्र युद्ध के रुप में की .
- इदाहों में रहते हुए इसने कट्टरपंथी शेखों की विचार की पुस्तकें और टेप बेचे.
- किद्स के पास ऐसा विडियो था जो 11 सितंबर के अपहरण और आतंकवादी घटना से जुड़ा था .
परंतु मैं भी उग्रवादी इस्लाम का विशेषज्ञ होने के नाते किद्स की तीन आपत्तिजनक गतिविधियों के साथ नियमित जुड़ा रहता हूं. मेरी वेबसाईट पर जिहाद में अतिशय रुचि दिखाई जाती है, मैंने व्यक्तिगत् और संस्थागत रुप से कट्टर शेखों की शिक्षा को फैलाया है और 11 सितंबर से संबंधित सामग्री मेरे अभिलेखागार में संचित है , परंतु गैर-मुसलमान होने के नाते इन चीजों ने किसी भी प्रकार से संदेह उत्पन्न नहीं किया . स्पष्ट रुप से कुछ अंशों में किद्स की गिरफ्तारी उसकी इस्लामी पहचान के कारण हुई .वह अकेला मुसलमान नहीं है जिसकी गिरफ्तारी अमेरिका में धर्म के कारण हुई है .
अयूब अली खान और जवीद अजमथ नामक दो भारतीय मुसलमानों को 12 सितंबर को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वे ट्रेन में चढ़ रहे थे . उनके पास 5 हजार डॉलर मिले साथ ही हेयर डाई और बॉक्स कटर मिला. उन्हें 11 सितंबर की घटना का संदेही मानकर 1 वर्ष के लिए हिरासत में ले लिया गया . छूटने के तत्काल बाद दावा किया गया कि उनकी रुपरेखा तैयार हो गई है. यह तो स्वत; स्पष्ट है कि वे दोनों मुसलमान नहीं होते तो पुलिस को उनमें और बॉक्स कटर में बहुत कम रुचि होती.
ब्रॉन्डन मेफील्ड – एफ.बी.आई ने 15 लोगों के अंगुलियों के निशान लिए ताकि 11 मार्च 2004 को स्पेन के बम विस्फोट के संबंध में भेजे गए अंगुलियों के निशान के नमूने से मिलाया जा सके . इन 15 संभावित संदिग्धों में मेफील्ड नामक मुसलमान पर ध्यान दिया गया क्योंकि इस्लामवादियों और जिहादियों से उसके संपर्क थे . मेफील्ड को 16 दिन के बाद जेल से रिहा कर दिया गया जब अंगुली के निशान दोषपूर्ण पाए गए.
अबदुल्ला हिगेजी – गिरे हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के मलबे से होटल से बाहर आसमान से जमीन तक के ट्रांस सीवर लेने के कारण एक महीने तक हिरासत में रखा गया . जब एक पायलट ने आकर ट्रांस सीवर पर अपना दावा किया तो उसे छोड़ दिया गया.
इससे भी विस्तार में अंजना मल्होत्रा ने चिन्हित किया है कि आतंकवाद अन्वेषण के संबंध में उपयोगी साक्ष्य के संबंध में हिरासत में लिए गए 57 लोगों में एक साक्ष्य मुसलमान था . आतंकवाद के विरुद्ध अग्रिम कारवाई के इस धुंधले क्षेत्र में इसका भी महत्व है कि वह एक कौन है. इसका अर्थ है कि रुपरेखा तैयार होती है . किसकी और कैसे ?
11 सितंबर के आयोग में संकेत दिया गया है कि इस्लामवादी आतंकवाद अमेरिका के समक्ष एक भयंकर खतरा है और कुछ अपवाद को छोड़ दें तो इस्लामवादी आतंकवाद में मुसलमान ही संलग्न हैं. इसलिए मुसलमानों के बजाए गैर-मुसलमानों की ओर ध्यान देना भारी भूल होगी.
इसके बाद भी एमनेस्टी इंटरनेशनल इस बात की अवहेलना कर रहा है कि अग्रिम जेल की कारवाई से लाभ हुआ है . इससे आतंकवाद को रोका जा सका है और अन्य दूसरे अपराधों से भी निपटा जा सका है जैसे मोहम्मद जुनैद बाबर , माहेर हवाश , जकारिया सोब्रा , जेम्स उजामा, मोहदार अबदुल्ला , नाविल अलमराभ , ओनबकारा बरत् , सोलेमान एस बिहेरी और मोहम्मद अल कुघाईन के मामले में.
बहुत से उपयोगी साक्ष्यों के मामले अब भी निपटाए जाने शेष हैं जैसे इस्माइल सलीम एलबरासे , मोहम्मद कमाल एल जहाबी , अली शेख खलाह अलमारी , जोस पडीला , उजेर पराचा और मोहम्मद अबदुल्ला वारसेम को सजा दिलानी शेष है . एमनेस्टी इंटरनेश्नल ने कड़ा नियम बना रखा है जिसमें नागरिक स्वतंत्रता को इस्लामवादी आतंकवाद से सुरक्षा से अधिक प्राथमिकता दी गई है.मुझे अधिक चिंता उस भीषण आतंकवाद की है जैसे मध्य कस्बे मैनहट्टन में दूषित बम बनिस्बत एक निर्दोष व्यक्ति द्वारा जेल में कुछ समय बिताने के .
वर्तमान युद्ध में रुपरेखा एकमात्र जटिल मुद्दा बनकर उभर रहा है.पश्चिम की सरकारों को इस विषय से मुकरने के बजाए इसका सामना करना चाहिए.