राजनीतिक स्तम्भकार और सांस्कृतिक समीक्षक मार्क स्टेयन ने America Alone: The End of the World as We Know It नामक उल्लेखनीय पुस्तक लिखी है. उन्होंने विनोद, रिपोर्ताज और गहन चिन्तन जैसे प्राय: कठिनाई से एकत्र होने वाले गुणों को एकत्र कर उनका प्रयोग इस समय के सबसे महत्वपूर्ण विषय पश्चिम पर इस्लामवादी खतरे पर किया है.
श्रीमान स्टेयन एक विनाशकारी अवधारणा प्रस्तुत करते हैं जो अलग-अलग टुकड़ों में है इसलिये मैं उन्हें एक साथ प्रस्तुत करूँगा-
वे अपने विषय का आरम्भ दो अधिनायकवादी विरासत से करते हैं. फासीवादियों की चुनावी सफलता के अभिघात से यूरोपीय देशों ने विश्व युद्ध के पश्चात् ऊपर से नीचे तक ऐसी प्रणाली विकसित की कि समस्त राजनीतिक श्रेणी को लोकप्रिय दबाव के अधीन लाया जा सके. इसके परिणामस्वरूप स्थापित ढाँचा मतदाताओं को अपनी सन्तान समझने लगा.
दूसरा- शीतयुद्ध के दौरान सोवियत बुराई के समक्ष यूरोप और कनाडा की दुर्बल प्रतिक्रिया ने अमेरिकी नेतृत्व को प्रेरित किया कि वह प्रभावी रूप से उनकी सुरक्षा पर नियन्त्रण स्थापित करे. इस शालीन और दूरगामी नीति के चलते 1991 में विजय प्राप्त हुई परन्तु इससे अनचाहे और कम प्रशंसनीय दुष्प्रभाव के रूप में यूरोप अपनी धनराशि का उपयोग कल्याणकारी राज्य की स्थापना में करता रहा. इस कल्याणकारी राज्य के कुछ घातक परिणाम हुये-
बच्चों की परिचारिका की भूमिका वाले इन राज्यों ने यूरोप को नवजात स्थिति में पहुँचा दिया और राज्य ने जलवायु परिवर्तन जैसे छद्म मुद्दों पर चिन्ता करते-करते अपने पुरूषों को नारी बना दिया. इससे वे नपुंसक स्थिति में पहुँच गये और पैदा होने से लेकर मृत्यु तक का सारा कार्य राज्य ने अपने हाथ में ले लिया और वयस्कता के प्रमुख क्रियाकलाप भी उसके ही हाथों में चले गये. 1980 से जन्म दर घट गई जिससे आज के कर्मचारियों के लिये पेन्शन प्राप्त करने का आधार अनुपयुक्त हो गया.
- जैसा काम वैसा वेतन के ढाँचे के कारण ऐसी अन्तर्पीढ़ी की योजना बनी जिसमें आज के कर्मचारी को पेन्शन के लिये अपने बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है.
- इस भूजनांकिकी पतन का अर्थ हुआ कि रूस, इटली और स्पेन के जनजातीय लोग अपनी जनसंख्या की विकासात्मक मृत्यु की ओर अग्रसर हैं.
- इससे आत्मविश्वास का पतन हुआ और यह सभ्यतागत थकाव में परिवर्तित हो गया जिससे यूरोप के लोग अपने लिये लड़ने के लिये तैयार न हो सके.
अब आर्थिक गति को बनाये रखने के लिये आवश्यक है कि विदेशी कर्मचारियों को स्वीकार किया जाये. यूरोप के लोगों ने आवश्यक लाखों आप्रवासियों के लिये कोई दीर्घगामी नीति बनाने के स्थान पर जो भी आया उसे स्वीकार करने की नीति अपना ली. स्टेयन के अनुसार भौगोलिक निकटता, भूजनांकिकी में उग्रता और संकटपूर्ण वातावरण के कारण नये यूरोपवासियों की आपूर्ति में इस्लाम सबसे आगे है.
भूजनांकिकी, राजनीतिक और सांस्क़तिक दुर्बलता के कारण मुसलमान व्यापक रूप से यूरोप को परिवर्तित कर रहे हैं. “इस्लाम के पास युवा हैं और इच्छा है”, और यूरोप के पास “अवस्था और कल्याण है” या इसे यूँ कहें कि, “पूर्व आधुनिक इस्लाम उत्तर आधुनिक ईसाइयत को परास्त कर रहा है”. स्टेयन बड़े स्पष्ट शब्दों में भविष्यवाणी करते हैं कि अधिकांश पश्चिमी विश्व 21वीं शताब्दी तक नहीं बच पायेगा और यदि सब नहीं तो अधिकांश यूरोपीय देश हमारे जीवन काल में प्रभावी रूप से अदृश्य हो जायेंगे. वे इसमें और जोड़ते हैं कि, “यह उस विश्व का समापन है जैसा हम उसे जानते हैं”.( इसके विपरीत मैं मानता हूँ कि अभी भी इस भाग्य को बदलने का समय यूरोप के पास है).
America Alone में स्टेयन ने इस बात को विस्तार से स्पष्ट किया है कि विकसित देशों की बड़ी शक्तियों ने यूरोप को इतना अशक्त बना दिया है कि वह बिना किसी प्रायश्चित के यूरेबिया में अपने परिवर्तन का प्रतिकार नहीं कर सका. यूरोप की उत्तराधिकारी जनसंख्या अपनी जगह पर आ चुकी है और अब प्रश्न केवल इतना है कि भूमि का हस्तान्तरण कब होगा. वे यूरोप को एक उपनिवेश बताते हुये कहते हैं कि मैड्रिड, लन्दन के बम विस्फोट और एम्सटर्डम में थियो वान गाग की हत्या यूरोप के गृहयुद्ध का आरम्भ है.
America Alone का शीर्षक स्टेयन की इस अपेक्षा पर आधारित है कि अमेरिका अपेक्षाकृत स्वस्थ भूजनांकिकीय रूपरेखा के कारण इस संकट में से अकेला बच पायेगा. स्टेयन के पाठक मूलरूप में अमेरिकी हैं इस कारण वे चेतावनी देते हैं, “ यूरोप मर रहा है परन्तु अमेरिका नहीं”. महाद्वीप तेजी से दूसरों को ग्रहण कर रहा है उस मात्रा में अमेरिका नहीं. वे फिर अमेरिकावासियों से कहते हैं इसे ध्यान से देखो अन्यथा यही तुम्हारे साथ घटित होने जा रहा है.
वे दो आवश्यक सुझाव भी देते हैं- पहला यूरोप के मदपूर्ण कल्याणकारी सिद्धान्त को अस्वीकार करें. उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरे से कुछ कम न मानें, राज्य को समेटें तथा आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत आविष्कार के गुण पर अधिक जोर दें. दूसरा साम्राज्यवादी आकांक्षा को अमेरिकी किले तक ही सीमित न रहने दें वरन् कट्टरपंथी इस्लाम की विचारधारा को नष्ट करें , इस्लाम को सुधारने में सहायता करें और पश्चिमी सभ्यता का विस्तार नये स्थानों तक ले जायें.
यदि अमेरिका उभरते हुये विश्व के कुछ भागों को नया स्वरूप देने की इच्छा रखे तो क्या वे उसका साथ देंगे. यदि वे इसमें असफल रहते हैं तो आशा करिये नये अन्ध युग की जिसमें समस्त विश्व के मानचित्र का अधिकांश भाग आदिकालीन होगा.