एक महिला ने कहा कि मैने अन्य स्थानों पर काम किया है जहाँ आप काली काफी भी नहीं माँग सकते तो वहीं दूसरे व्यक्ति ने कहा कि आप अपना मुँह खोलते हुए भी भयभीत होते हैं कि कहीं किसी को यह न लगे कि आप जो बोल रहे हैं वह आक्रामक है।
ये लोग किसी विश्वविद्यालय , टेलीविजन स्टेशन या चर्च में नहीं हैं वरन् ये लोग ब्रिटिश जेल व्यवस्था के लोग हैं। ये वक्तव्य जेलों में नस्ली सम्बन्ध पर आधारित वृत्त चित्रों में व्यक्त किए गये और यह मेरे लिए सर्वाधिक चौंकाने वाला वक्तव्य है। लन्दन के डेली टेलीग्राफ के डेविड सैप्सटेड ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वास्तव में क्या घटित हुआ?
53 वर्षीय कोलिन रोज तीन संतानों का पिता पूर्व गार्ड पिछले 21 वर्षों से जेल व्यस्था की सेवा में है। 15 नवम्बर 2001 को उसने ब्लनडेस्टन जेल के द्वार पर किसी पैराशूट में अपनी चाबियाँ गिरा दी। उन चाबियों से इतनी असुविधा हुई कि निकट के ही किसी व्यक्ति से सलाह दी कि यह पैरशूट के निचले हिस्सों पर लगे प्लेट को पंक्चर कर सकता है। इस पर रोज ने मजाकिया लहजे में उसने जो कुछ कहा वह उसका जीवन बदलने वाला सिद्ध हुआ । ‘‘वहाँ पर ओसामा बिन लादेन का चित्र है ’’ जेल के अन्य कर्मचारियों ने यह वाक्य सुन लिया और इस असंवेदनहीनता पर नाराज हो गये। इस मामले पर ब्लूडेन्स्टन जेल के राज्यपाल जेरी नाइट ने दो सप्ताह पूर्व के इस उत्पीड़न पर स्टाफ को एक नोटिस जारी कर दिया । नाइट ने बताया कि उन्होंने अपने नोटिस में स्टाफ से कहा है कि वे संवेदनशीलता का ध्यान रखें और मामले को उत्तेजक होने से बचायें। या फिर जैसा कि डेली टेलीग्राफ ने मुखर होकर कहा है कि वे चाहते थे कि जेल में मुसलमानों की अधिक संख्या को देखते हुए स्टाफ आतंकवादी हमलों के सम्बन्ध में कोई चर्चा न करें ।
छ: महीने तक मामले की विभागीय जाँच हुई और मई 2002 में रोज को बर्खास्त कर दिया गया। उसने नियोजन अधिकरण के समक्ष उपील की और पैराशूट में चाबी डालने के अपने कुख्यात वक्तव्य को स्पष्ट किया।
“मुझे सुनाई पड़ा कि द्वार में प्रवेश कर रहे कुछ लोगों ने या सम्भवत: स्टाफ के सदस्यों में से किसी ने कहा कि चाबी धातु में से बाहर आ रही है। जब मैने इसे सुना तो कहा कि वहाँ ओसामा बिन लादेन का चित्र है। मेरा तात्पर्य था कि मै ओसामा बिन लादेन के काल्पनिक चित्र में चाबी से छेद कर दूँ । जेल में इसे लेकर तमाम चर्चायें हुई। रोज ने कहा कि मेरा वक्तव्य एक तात्कालिक मजरिया प्रतिक्रिया छा जो कार्य के बोझ से उत्पन्न हुई थी।” सुखद समाचार यह है कि अधिकरण ने रोज को बर्खास्त करने के निर्णय पर क़ड़ी प्रतिक्रिया की –
“राज्यपाल का व्यवहार दोषपूर्ण, अन्यायपूर्ण था और जहाँ तक इसके विरोध में इसका तर्क है हम उनकी व्याख्या स्वीकार नहीं करते। ऐसा प्रतीत होता है कि वे ऐसे कार्य को न्यायसंगत ठहराने पर तुले हैं जो पूर्णतया आनुपातिक नहीं है। उनकी ओर से यह गलत निर्णय है। नाइट ने आरम्भ से ही अनुमान कर लिया रोज को बर्खास्त कर दिया जाये। हमें इस बात की असहजता है कि नाइट की स्थिति का व्यक्ति जेल अधिकारी के भविष्य को दीर्घगामी स्तर पर इस प्रकार खराब करने का रवैया अपनाता है।”
अगली सुनवाई पर रोज की क्षतिपूर्ति का फैसला होगा परन्तु इस बर्खास्तगी से वह बुजुर्ग टूट गया है और अब वह 24,00 पौण्ड प्रतिवर्ष की नौकरी पर नहीं लौट सकता ।
दुखद समाचार यह है कि महारानी की जेल सेवा ने राज्यपाल नाइट द्वारा बर्खास्तगी के निर्णय को उचित ठहराया। प्रवक्ता ने कहा कि जेल सेवा नियोजन अधिकरण के निर्णय से अत्यन्त निराश हैं क्योंकि पूर्णतया स्वतंत्र अन्तरिक जेल सेवा अपील और सिविल सेवा अपील बोर्ड ने रोज की बर्खास्तगी का निर्णय जेल में नस्लवाद समाप्त करने के जेल सेवा नीति के अनुकुल था।
तो माना जाये कि नस्लवाद को समाप्त करने का अर्थ मुसलमान अपराधियों के तुष्टीकरण के लिए विश्व के सर्वाधिक खतरनाक आतंकवादी के विरूद्ध हल्के-फुल्के अन्दाज में किया गया वक्तव्य कड़े दण्ड की श्रेणी में आता है।