ए जे पी टेलर ने इंग्लिश हिस्ट्री 1914 -1945 ( आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1970) में यह यादगार वाक्याँश लिखा
अगस्त 1914 तक कोई भी कानून को मानने वाला अंग्रेज अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सकता था और शायद ही पोस्ट आफिस और पुलिस से परे राज्य के अस्तित्व को अनुभव करता हो। वह कहीं भी और कैसे भी रह सकता था जैसा वह पसंद करता ।
वह अपने देश को सदैव के लिये छोड सकता था या किसी दूसरे देश की यात्रा बिना किसी पासपोर्ट या आदेश के कर सकता था। बिना किसी प्रतिबंध के किसी भी देश में अपने पैसे की अदला बदली कर सकता था। जिन शर्तों पर वह अपने देश में सामान खरीदता था उन्हीं शर्तों पर वह विश्व के किसी भी देश से सामान खरीद सकता था। इस प्रकार कोई भी विदेशी इस देश में बिना किसी आदेश या पुलिस को बताये बिना निवास कर सकता था।
यूरोप महाद्वीप के अन्य देशों के विपरीत राज्य इस बात को आवश्यक नहीं करता था कि नागरिक सेना में अपनी सेवा प्रदान करे। कोई अंग्रेज यदि चाहे तो नियमित सेना , जलसेना या थल सेना के लिये सूचीबद्ध हो सकता था। यदि वह चाहे तो राष्ट्रीय सुरक्षा की माँग को नजरअंदाज भी कर सकता था। बडी संख्या में घरेलू लोग समय समय पर जूरी की सेवा के लिये बुलाये जाते थे।
नहीं तो जिनकी इच्छा हो वही राज्य की सेवा करें। अंग्रेजों को कर भी काफी कम मात्रा में देना होता था जो कि 1913- 14 में 200 मिलियन पौंड था जो कि कुल राष्ट्रीय आय का 8 प्रतिशत था। अधिक विस्तार से कहें तो राज्य का कार्य केवल उनकी सहायता करना था जो अपनी सहायता नहीं कर पाते थे। इसने वयस्क नागरिकों को अकेला छोड दिया था।
टिप्पणी: 2011 में तो कोई ऐसे सीमित राज्य के बारे में कल्पना ही कर सकता है।