36 वर्षीय पाकिस्तानी मूल की आफिया सिद्दीकी एम आई टी से शिक्षा प्राप्त, ब्रैंडिस विश्वविद्यालय से न्यूरो साइंस में पी एच .डी और तीन संतानों की माँ है। उसे पिछले सप्ताह अमेरिकी सैनिकों की हत्या का प्रयास करने और अल कायदा के लिये कार्य करने का न्यूयार्क सिटी में आरोपी बनाया गया है।
उसकी गिरफ्तारी हमें पुनः स्मरण कराती है कि किस प्रकार अदृश्य रूप से इस्लामवादी घुसपैठिये आगे बढ रहे हैं। विशेष रूप से एक अनुमान के अनुसार अल कायदा के 40 कार्यकर्ता या सहानुभूति रखने वाले अमेरिकी गुप्तचर संस्थाओं में प्रवेश कर चुके हैं।
सी आई ए के गुप्तचर प्रतिरोध विभाग के पूर्व प्रमुख माइकल सुलिक के अनुसार इस प्रकार स्थापित घुसपैठिये भारी क्षति पहुँचा सकते हैं: "शीत युद्ध में टैंक और लडाकू विमान प्रमुख हथियार थे परंतु आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में अज्ञात शत्रु के विरुद्ध इसका स्थान अब गुप्तचरी ने लिया है" उनका कहना है , " इस्लामावादी जासूस राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये सोवियत जासूसों से कहीं बडा खतरा हैं" अभी तक अमेरिका और सोवियत संघ ने कभी परस्पर युद्ध नहीं किया परंतु अब हमारा राष्ट्र "युद्ध की स्थिति में है"
2001 से अब तक घुसपैठ के जो कुछ मामले सार्वजनिक हुए हैं वे निम्नलिखित हैं:
- वायु सेना ने एक यमनी आप्रवासी सादिक नाजी अहमद को सेवा मुक्त कर दिया जब उसके वरिष्ठ अधिकारियों को उसके अल कायदा समर्थक बयानों का पता चला । अहमद इसके तत्काल बाद डेट्रायट मेट्रो हवाई अड्डे पर सामान की जाँच करने वाला बन गया जिसने कि उसे वायु सेना की अपनी पृष्ठभूमि छिपाने के कारण हटा दिया। उसे गलत सूचना देने के आरोप में अठारह माह का कारावास दिया गया।
- शिकागो पुलिस विभाग ने पैट्रिसिया एंग हुसैन को उसके प्रशिक्षण ने तीन दिन बाद की हटा दिया जब उन्हें पता चला कि उसका पति मोहम्मद आजम हुसैन पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन मोहजिर कौमी मूवमेंट हकीकी का सक्रिय सदस्य होने के कारण गिरफ्तार हो चुका है।
- शिकागो पुलिस विभाग ने आरिफ सुलेजमानोवस्की को अपने 25वें जिला स्टेशन से सुपरवायजर के पद से हटा दिया जब उन्हें पता चला कि उसका नाम संघीय अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी निगरानी की सूची में शामिल है।
- मोहम्मद अलावी जो कि पालो वार्डे परमाणु प्लांट का इंजीनियर था उसे तब गिरफ्तार कर लिया गया जब वह ईरान से विमान से आया और उस पर आरोप था कि वह कुछ कोड और प्लांट की जानकारी ईरान ले गया था। इसके तत्काल बाद उसे चुराई हुई सामग्री एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के आरोप में दोषी सिद्ध किया गया ।
- एक लेबनानी आप्रवासी नदा नदीम प्रावटी जिसने कि एफ बी आई और सी आई ए दोनों के साथ कार्य किया था उसे धोखे से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने ,संघीय कम्प्यूटर से अविधिक रूप से अपने रिश्तेदारों के सम्बंध में तथा आतंकवादी संगठन हिजबुल्ल्लाह के बारे सूचना प्राप्त करने का और अमेरिका को ठगने के षडयंत्र में लिप्त होने का दोषी पाया गया ।
- वहीदा तहसीन जो कि पाकिस्तानी आप्रवासी थी और एक पर्यावरण संरक्षण एजेंसी में एक संवेदनशील विष विशेषज्ञ के विभाग पर कार्यरत थी उसे धोखे का आरोपी पाया गया और उसे वापस उसके देश भेज दिया गया। वर्ल्ड नेट डेली डाट काम के अनुसार, " मामले की जाँच करने वालों को शक था कि उसने स्वास्थ्य के लिये हानिकारक दस्तावेजों को विष और केमिकल पेस्टीसाइड के लिये प्रस्तुत किया । तहसीन ऐसे विषय की विशेषज्ञ थी जो कि सार्वजनिक जल व्यवस्था से जुडा होता है"
- 31 वर्षीय वेस रसूल जो कि अफगानिस्तानी आप्रवासी था और फेयरफाक्स काउंटी का सार्जेंट था उसे बिना अनुमति के पुलिस डाटाबेस की जाँच करने और कम से कम एक संघीय आतंकवादी जाँच को नष्ट करने का दोषी पाया गया।
- 32 वर्षीय नादिर पी ज़ेनेलाज जो कि अल्बानिया मूल की थी और 11 सितम्बर की आपातकाल के समय कार्यरत थी उसे न्यूयार्क राज्य डाटाबेस में अविधिक रूप से खोजबीन करने और उसमें से एक ऐसे व्यक्ति की जो कि एफ बी आई की आतंकवादी सूची की निगरानी सूची में शामिल था।
तीन अन्य मामले जरा कम स्पष्ट हैं । 21 वर्षीय बसाम खलाफ को जो कि फिलीस्तीनी मूल का ईसाई था उसे परिवहन सुरक्षा प्रशासन ने हवाई अड्डे से समानों की जाँच करने वाले दायित्व से मुक्त कर दिया क्योंकि उसके संगीत सीडी में 11 सितम्बर की प्रशंसा करता हुआ संगीत था। एफ बी आई के विशेष एजेंट गमाल अब्दुल हफीज ने इस्लामवाद समर्थक व्यवहार की परिपाटी दिखाई , जो कि लेखक पाल स्पेरी के अनुसार सामी अल अरियन को आतंकवाद के आरोप से मुक्त कराने में सहायक रहा। मिस्र के आप्रवासी हेशाम इस्लाम जो कि अमेरिका की नौसेना का कमांडर था और रक्षा विभाग के उप सचिव का विशेष सहायक था , उसे पेंटागन ने मुक्त कर दिया परंतु बडा प्रश्न अब भी शेष है और वह उसकी जीवनी और भावभंगिमा का है।
अन्य पश्चिमी देश जैसे आस्ट्रेलिया, कनाडा , इजरायल, नीदरलैंड और ब्रिटेन भी घुसपैठ के प्रयास का शिकार रहे हैं । ( अधिक विस्तार के लिये मेरा वेबलाब देखें"Islamists Penetrate Western Security.)
इन आँकडों से कोई भी आश्चर्य कर सकता है कि सरकार की एजेंसियों के सामने कौन सी विपत्ति आ सकती है जिसमें कि कुछ ने जिहाद और इस्लाम जैसे शब्द हटा दिये हैं गम्भीर रूप से उनके लिये आंतरिक खतरा है?
पश्चिमवासियों को फ्रेड घुसिन और कामिल पाशा जैसे मुस्लिम एजेंट का ऋणी होना चाहिये जो कि आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में निर्णायक रहे हैं। यह कहते हुए भी मैं 2003 के अपने वक्तव्य पर कायम हूँ 2003 statement कि, " इस दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य से नहीं बचा जा सकता कि कानून प्रवर्तन , सेना और कूटनीतिक पुलिस विभाग में सरकारी मुस्लिम कर्मचारियों पर आतंकवाद के साथ सम्पर्क के लिये नजर रखी जानी चाहिये"