कट्टरपंथी इस्लाम के साथ युद्ध में कुछ असाधारण स्थिति उस समय सामने आई जब एक प्रमुख इस्लामवादी संगठन ने मेरे प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणी को वापस लेते हुए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली . इससे कट्टरपंथी इस्लाम के विकास को अवरुद्ध करने की दिशा में छोटा ही सही लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठा है . संशय की यह स्थिति दो वर्ष पूर्व उस समय उत्पन्न हुई जब राष्ट्रपति बुश ने संघीय सरकार में मुझे एक पद पर नियुक्त किया .इस्लामवादियों और वामपंथियों ने मेरी इस नियुक्ति का विरोध किया और इसके लिए उन्होंने मेरी ऐसी घेराबंदी करने की कोशिश की ताकि मैं खुद को किसी मुसीबत में डाल लूं . इसी क्रम में अप्रैल 2003 में मुझसे प्रश्न किया गया कि क्या द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी अमेरिकियों को बंदी बनाए जाने से मैं सहमत हूं ? मैंने इस प्रश्न की अवहेलना यह कह कर की कि इस विषय में पर्याप्त जानकारी नहीं है .इस संबंध में मेरी उत्सुकता जगी और मैंने मिचेल माल्किन की पुस्तक ( In Defense of Internment) पढ़ी और 2004 के अंत में एक पुस्तक लिखकर कहा कि 1940 के आरंभ में जापानी अमेरिकियों को बंदी बनाने का निर्णय उचित और समझदारी पूर्ण था.
मिकीगॉन विश्वविद्यालय के जुआन कोल ने इस निष्कर्ष को तोड़ मरोड़ कर ऐसे प्रस्तुत किया “ मैं मुसलमानों पर शिकंजा कसने का शौकीन हूं और उन्हें यंत्रणा शिविरों में रखना चाहता हूँ ’’ . इस गलत बात का मैंने तुरंत उत्तर दिया “ मैं मुसलमानों को बंदी बनाने के पक्ष में नहीं हूं . मैं कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध वैचारिक लड़ाई की बात करता हूं और यह समझाने पर ज़ोर देता हूं कि इस्लामवादी हमारे दुश्मन हैं .मैं गैर – इस्लामवादी मुसलमानों को कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना करते देखता हूं और उन्हें बंदी बनाने के बजाए इस युद्ध को जीतने में उनकी सक्रिय भूमिका को आवश्यक मानता हूं .’’
लेकिन मामला हाथ से निकल चुका था . 350 से भी अधिक वेबसाईटों ने इस झूठ को प्रचारित किया कि मैं अमेरिका के मुसलमानों को यंत्रणा शिविरों में भेजना चाहता हूं .एक इस्लामवादी प्रकाशन में मेरा एक कार्टून प्रकाशित हुआ जिसमें मुझे इस बात की वकालत करते दिखाया गया था कि अमेरिका के मुसलमानों को जितना जल्दी बंदी बनाया जाय उतना ही अच्छा है .
यंत्रणा शिविरों की बात करते हुए मुझे सामूहिक नरसंहार की वकालत करने वाले व्यक्ति के रुप में चित्रित करने का विशेष प्रयोजन था .ओन्टारियो स्थित कनाडियन इस्लामिक काँग्रेस के वाहिदा वैलियंटे ने 29 अप्रैल 2005 को अपने संगठन के साप्ताहिक बुलेटिन में लिखा कि मैं (डैनियल पाईप्स ) हिटलर का अनुयायी हूं ,हिटलर के दांव पेंच का इस्तेमाल करता हूं और मैं अमेरिका को मुसलमानों की नस्ल से मुक्त करना चाहता हूं.
क्या यह सिद्ध करने की आवश्यकता है कि श्री वैलियंटे द्वारा चित्रित मेरा यह स्वरुप बिल्कुल झूठ था जैसा कि नेशनल पोस्ट एडिटोरियल ने भी लिखा .क्या मुझे इस बात पर ज़ोर देना पड़ेगा कि मैं हिटलर से कितनी घृणा करता हूं , नरसंहार कितना भयानक होता है और मैंने कभी भी अमेरिकी मुसलमानों को निकालने का या उन्हें मारने की बात नहीं की .
इन मामलों की सफाई देने के बजाए मैंने एक दूसरा रास्ता अपनाया .दो कानूनी कंपनियों के माध्यम से वैलियंटे ,कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस और कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस के अध्यक्ष मोहम्मद एल माजरी को मानहानि का कानूनी नोटिस भिजवा दिया.
10 जून को कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस ने माफी मांगते हुए अपना वक्तव्य वापस ले लिया. “कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस और वैलियंटे अपने उस स्तंभ के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि डैनियल पाईप्स हिटलर के अनुयायी हैं , उनके दांव पेंच का इस्तेमाल करते हैं और अमेरिका को मुसलामानों की नस्ल से मुक्त करना चाहते हैं.” कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस ने मुकदमे का पूरा खर्च दिया और मेरे सम्मान में कनाडा की एक संस्था को दान भी दिया .
कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस का यह कदम मेरे स्मरण में अभूतपूर्व है .पश्चिम के इस्लामवादी संगठन अबतक लगातार आक्रमण ही करते रहे हैं तथा मीडिया से जुड़े विभिन्न लोगों जैसे पाल हार्वे , मारटीमर जकरमैन , अमेजन और नाईक जैसे व्यवसायी संगठनों ,पादरियों , स्तंभकारों , राजनेताओं , उच्च श्रेणी के अमेरिका के जेनरल और अमेरिका के राष्ट्रपति तक को माफी मांगने के लिए विवश कर चुके हैं. इससे पहले कभी उन्होंने ( इस्लामवादी ) मान हानि के लिए माफी नहीं मांगी थी. कनाडियन इस्लामिक कांग्रेस द्वारा बयान वापस लेने की घटना इस्लामवादियों के विशेषाधिकार के दंभ और छूट प्राप्त करने की मानसिकता को तोड़ती है. कम से कम कनाडा में यह स्थापित हुआ है कि इस्लामवादियों को अपने विरोधियों के विरुद्ध झूठ बोलने की छूट प्राप्त नहीं है. कानून का राज उनपर भी लागू होता है. जो लोग कट्टरपंथी इस्लाम के विकास को लेकर चिंतित हैं उनके लिए यह उत्साहवर्धक होगा कि कट्टरपंथी इस्लाम को भी रोका जा सकता है और पराजित किया जा सकता है. मुझे आशा है कि इस अधिनायकवाद के विरुद्ध अन्य लोग भी मेरे साथ खड़े होंगे.