मध्य एशिया में लोकतंत्र स्थापित करने की बुश प्रशासन की शीघ्रता का एक सीधा प्रभाव दिख रहा है. यदि हमास जैसे आतंकवादी संगठन चुनावों में जीत कर जायेंगे तो पश्चिमी शक्तियां उन्हें आतंकवादी के रुप में वर्गीकृत करने के स्थान पर उनके साथ बात –चीत आरंभ कर देंगी ऐसे निष्कर्ष निकालने के पीछे कई कारण हैं .
एलेस्टर क्रुक और उनके फोरम का प्रयास तथा यूरोपिय संघ द्वारा इस्लामवादियों के साथ बात-चीत की संभावनायें तलाश करने की कोशिश व व्हाइट हाउस के प्रवक्ता द्वारा हमास के सदस्यों को पेशेवर व्यवसायी की संज्ञा देना ऐसे ही कारण हैं . हमास के बारे में लीपा-पोती करने से पहले यह समझ लेना चाहिए कि इस संगठन ने न केवल 400 इजराइलियों को मौत के घाट उतारा है वरन् अमेरिका के विरुद्ध युद्ध की भी तैयारी की है .
विचारधारा के आधार पर युद्ध को न्यायसंगत ठहराने का प्रयास हुआ है . 2003 में इस संगठन ने राष्ट्रपति बुश को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु बताया तथा 2004 में उन्हें ईश्वर का दुश्मन , इस्लाम और मुसलमानों का दुश्मन बताया . 2004 में एक प्रेस रिलीज़ में अमेरिका को शत्रु घोषित करते हुए उसे फिलीस्तीन के विरुद्ध आक्रमण में इजरायल का भागीदार बताया गया .इसमें कहा गया कि अमेरिका को इजरायल के साथ भागीदारी की अपनी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी.
हमास के आतंकवादी केन्द्र सक्रिय हो सकते हैं .2002 के आरंभ में एलीलेक ने न्यूयार्क सन् में खुलासा किया कि एफ.बी.आई इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि हमास और हिज्बुल्लाह के एजेंट अमेरिका में घुसपैठ कर चुके हैं..वहां वे चंदे का संग्रह और रणनीतिक तैयारियों में जुटे हैं. एफबीआई के आतंकवादी प्रतिरोध से जुड़े रहे डेनिस लौरमेल ने स्वीकार किया कि ये केन्द्र सक्रिय होने की क्षमता रखते हैं .
फरवरी 2005 में एफ.बी.आई के निदेशक रॉबर्ट मूलर ने इस खतरे की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा यद्यपि यह हमास के लिए बड़ा रणनीतिक परिवर्तन होगा परंतु अमेरिका में इसका नेटवर्क सैद्धांतिक रुप में अमेरिका में आतंकवादी गतिविधियां करने के लिए सक्षम है . सरकार के वरिष्ठ आतंकवाद प्रतिरोधी अधिकारी के अनुसार हमास ओसामा बिन लादेन की आतंकवादी शाखा के साथ विलय कर रहा है और दोनों मिलकर अमेरिका के उपर हमले कर सकते हैं.उनके पास इसकी रणनीतिक योजना है , क्षमता है और जब उपयुक्त समय होगा वे ऐसा करेंगे भी . आतंकवाद प्रतिरोध के विशेषज्ञ बोयज़ गानोर का मानना है कि आमतौर पर हमास अमेरिका की धरती पर आतंकवादी हमलों के साथ नहीं जुड़ा है लेकिन यह असंभव नहीं है कि हमास अपनी रणनीति में परिवर्तन कर दे और वे जरुर इस विकल्प के लिए तैयार होंगे .
हमास का विस्तार विश्व स्तर पर हो चुका है . रिपोर्टों के अनुसार यह सक्रिय हो कर अफगानिस्तान , ईराक और कुवैत में अमेरिकी सेनाओं के विरुद्ध हमले की योज़ना बना रहा है . 2004 में कोसोवो की जेल में तीन अमेरिकी अधिकारियों को मारने वाले फिलीस्तीनी अहमद मुस्तफा इब्राहिम अली का संभवत: हमास के साथ संपर्क था .
फिलीस्तीनियों का गुस्सा अमेरिका में हिंसा का वातावरण खड़ा कर सकता है .हमास के विरुद्ध एफ.बी.आई की ओर से आतंकवाद प्रतिरोध का नेतृत्व करने वाले केन पीर निक ने न्यूयार्क सन् को बताया कि गाज़ा में उतार चढ़ाव की घृणा की भावना धीरे-धीरे अमेरिका स्थित हमास और हिजबुल्लाह के केन्द्रों के साथ संयुक्त हो जायेगी . पिछले दो वर्षों में हमने अमेरिका में उनके समर्थकों द्वारा भड़काउ भाषण देते सुना है . किसी समय वे वार भी कर सकते हैं .
हिंसक हमास के संभावित सदस्य अमेरिका में दिखने भी लगे हैं .
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नवंबर 2003 में इजरायल ने 23 वर्षीय फिलीस्तीनी मूल के कनाडा के अप्रवासी जमाल अक्काल को गिरफ्तार किया और एक वर्ष बाद उसे अमेरिका में यात्रा करने वाले इजरायली अधिकारियों तथा अमेरिका और कनाडा के यहूदी समुदाय के नेताओं को मारने की योजना बनाने का दोषी पाया गया.
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अगस्त 2004 में लंबे समय से हमास के आर्थिक पुरुष रहे इस्माइल सेलिम एल्वारासे को मारिलैंड के पुल की वीडियो टेपिंग करते पकड़ा गया.बाल्टीमोर सन् की रिपोर्ट के अनुसार इसने आतंकवाद प्रतिरोधक जांचकर्ताओं को चौकन्ना कर दिया. उन्होंने इस घटना को हमास द्वारा पुल का सर्वेक्षण मानते हुए हमास और अल-कायदा के संभावित रिश्तों की तलाश शुरु कर दी . अदालती कार्यवाई में अधिकारियों ने आरोप लगाया कि एल्वाराशि ने जो चित्र खींचे हैं उनमें नजदीक स् लिए गए कुछ ऐसे चित्र भी हैं जो पुल के पूरे ढ़ांचे को एकजुट रखने के लिए बहुत जरुरी हैं.
संक्षेप में इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि हमास अपनी इच्छा अनुसार अमेरिका पर हमले कर सकता है . जून 2003 में राष्ट्रपति बुश ने कहा था कि “ स्वतंत्र विश्व में जो लोग स्वतंत्रता और शांति से प्रेम करते हैं उन्हें हमास के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए तथा हमास को ध्वस्त किया जाना चाहिए.” यही भावना अमेरिका की नीति में झलकनी चाहिए .